नदियों का पानी पी जाएंगे उद्योग

जलस्तर में लगातार गिरावट


10 वर्षों बाद उपजेगा घोर जल संकट
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने जांजगीर-चांपा जिले में 34 पावर कंपनियों से 40 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए एमओयू करके आम जनता के भविष्य को संकट में डाल दिया है। 40 हजार मेगावाट के विद्युत उत्पादन के लिए प्रतिवर्ष 16000 लाख घनमीटर पानी की जरूरत होगी, समझा जा सकता है कि इतनी बड़ी मात्रा में जब उद्योगों को पानी दिया जाएगा, तो आम जनता के लिए पानी कहां से आएगा ? सबसे खास बात यह है कि हर साल गर्मी के मौसम में इस जिले के जलस्तर में खासी गिरावट आ जाती है, तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे हालात में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जीवनदायिनी बनी नदियों का पानी सरकार ने उद्योगों को देने का फैसला कर भविष्य के लिए परेशानी पैदा कर दी है।

प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से अपने हाथ खोल रखे हैं। देश की जानी मानी कंपनियां वीडियोकान, मोजरबेयर, केएसके महानदी, कर्नाटका पावर, एस्सार पावर आदि प्रदेश में अरबों-खरबों रूपए का निवेश बिजली उत्पादन के क्षेत्र में करने जा रही हैं। सरकार की इस सोच को हर कोई सराह सकता है कि उद्योगों से होने वाले विकास से आम जनता की आर्थिक परेशानियां कम होंगे, रोजगार के अवसर बढ़ेगे, अच्छी सड़कें बनेंगी, पढ़ाई का स्तर उंचा होगा और लोगों की बेरोजगारी खत्म होगी, लेकिन यह सिक्के का एक पहलू है। दूसरे पहलू पर गौर करें तो विकास के साथ-साथ एक तरह का विनाश भी समानांतर चलता है। उद्योगों से होने वाले विनाश को देखें तो पता चलता है कि जहां-जहां उद्योग लग रहे हैं, उन क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है, अपराध बढ़ रहे हैं, संयंत्र से निकलने वाले प्रदूषण से आम जनजीवन काफी प्रभावित होता है। संयंत्र से निकलने वाली राख का क्या वाजिब उपयोग होगा, इस बारे में कोई ठोस रणनीति सरकार नहीं बना सकी है, वहीं संयंत्रों की मशीनें चलने से तापमान भी बढ़ेगा। संयंत्रों की सुविधा के लिए राखड़ बांध बना दिए जाते हैं, जिससे हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि बेकार चली जाती है। हाल ही में पता चला है कि बिलासपुर जिले के सीपत में स्थापित नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन के राखड़ बांध में संयंत्र के अपशिष्ट जल के प्रवाह से रलिया तथा भिलाई गांव की 150 एकड़ भूमि दलदल हो गई है।

जांजगीर-चांपा जिला 80 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र माना जाता है, जहां नदियों का पानी नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचता है और यहां के किसान साल भर में दो फसलें उत्पादन करते हैं। हरियाली से समृद्ध ऐसे जिले में सरकार ने एक दो नहीं बल्कि 34 पावर कंपनियों से बिजली उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए एमओयू कर लिया। इन कंपनियों द्वारा कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक एक हजार मेगावाट संयंत्र को 400 लाख घनमीटर पानी आदर्श अवस्था में प्रति वर्ष लगता है, लेकिन व्यवहारिक स्थिति में इससे भी ज्यादा पानी का उपयोग होता है। महानदी पर बनाए गए गंगरेल बांध की जलभराव क्षमता 800 लाख घनमीटर है तथा सहायक नदियां पैरी, सोंढूर, शिवनाथ, अरपा, हसदेव, जोंक, तेल आदि हैं। राज्य सरकार ने पानी की उपलब्धता का गहन अध्ययन किए बगैर लगभग 20000 लाख घनमीटर पानी उद्योगों को देने का करार कर लिया है। यह आबंटन विगत तीस वर्षों के जल प्रवाह के आंकड़ों के हिसाब से काफी अधिक है।

जिले के नौ विकासखंडों में से डभरा, सक्ती व मालखरौदा में गर्मी के मौसम में जल संकट बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, यहां पर 250 मीटर तक जलस्तर नीचे चला जाता है, जिससे कई हैंडपंप सूख जाते हैं। इन क्षेत्रों की जमीन में शैल निर्मित चट्टानें हैं, जिसके कारण जल का स्तर वैसे भी काफी नीचे होता है।

अधिकतर तालाब तेज गर्मी की वजह से सूख ही जाते हैं, तब ग्रामीणों को आसपास बहने वाले नदी के भरोसे रहना पड़ता है। गर्मी के दिनों में वैसे भी आजकल नदियों में दूर-दूर तक रेत ही नजर आती है, पानी के नाम पर छोटा सा नाला बहता दिखाई देता है, ग्रामीण नालेनुमा बह रही नदी के जल का उपयोग पीने में भी करते हैं और नहाने में भी। बरसात के मौसम में वर्षा जल से ही नदियों में पानी आता है। लेकिन जब इतनी बड़ी मात्रा में उद्योगों को पानी दे दिया जाएगा, तो आगामी 10 वर्षों में ग्रामीणों का जीना दूभर हो जाएगा और जल संकट से आम जनता को खासी परेशानियां झेलनी पड़ेंगी, यह भी हो सकता है कि बाजार में बिकने वाले पानी के दाम पांच गुने हो जाएं और यह भी संभव है कि पानी की एक एक बूंद के लिए आम जनों को तरसना पड़े। ऐसे हालात पैदा होने से पहले सरकार को चिंतन करना चाहिए कि आम जनता के हितों के हिसाब से कितना औद्योगीकरण जरूरी है। अंधाधुंध औद्योगीकरण से त्रस्त आम जनता ने अब उद्योगों को स्थापित किए जाने का विरोध भी शुरू कर दिया है।

Path Alias

/articles/nadaiyaon-kaa-paanai-pai-jaaengae-udayaoga

Post By: Hindi
×