मानसून
अच्छे दिनों के लिए कितनी अच्छी कम बारिश
Posted on 31 Aug, 2014 12:35 PM‘आइस बकेट चैलेंज’ की जगह ‘राइस बकेट चैलेंज’ - संयोग से भारतीयों के लिए चावल की महत्ता बताने वाली यह चुनौती मंजुलता कलानिधि ने ऐसे समय पेश की है, जब मॉनसून-कम वर्षा, तापमान- 40 डिग्री और धूप-अधिक तीखेपन की चुनौती पेश कर रही है।बूंदें रचतीं जलकथा
Posted on 05 Aug, 2014 11:41 AMपूरब दिसि से उठी बदरियारिमझिम बरसत पानी
ऊंचे आकाश पर बसे बादल, हवा के पंखों पर सवार बादल, अपने अंक में चपल बिजली को समेटे बादल, देखने में श्याम बादल, गर्जन में घोर बादल द्रवित हुए जा रहे थे.. कालिदास ने बादलों की स्तुति उन्हें उच्च कुलोत्पन्न कह कर की है। ये उच्च कुलोत्पन्न बादल आज जलबूंदों का रूप लेकर मिटते जा रहे हैं।
क्यों है खास चातुर्मास
Posted on 28 Jul, 2014 11:06 AMभारत के पारंपरिक ज्ञानतंत्र की इस खूबी को अत्यंत बारीकी से समझने की जरूरत है कि एक ओर तो वह देवताओं के सो जाने का तर्क सामने रखे आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से शुरु चौमासे में विवाह लग्न आदि कई शुभ कार्यों की इजाजत नहीं देता, दूसरी ओर इस पावसी चौमासे मेंं इतने महत्वपूर्ण मौके आते हैं कि उन्हें हम पूरी श्रद्धा और नियम से निभाने का प्रावधान है।तभी से बादल बरसता है
Posted on 25 Jul, 2014 09:59 AMबहुत पुरानी बात है। तब धरती और बादल पास-पास रहते थे। इतने पास कि एक-दूसरे को छू लेते। उस समय धरती बहुत हल्की थी। इतनी हल्की कि हवा में उड़ जाती। कभी-कभी तो बादल धरती की पीठ पर सवार होकर पूरे अंतरिक्ष का चक्कर लगा आता।एक दिन की बात है। धरती ने बादल से कहा- ‘तुम्हें पीठ पर बिठाते-बिठाते मैं थक गई हूं। मैं अकेले कहीं दूर घूमने जाना चाहती हूं।’
पानी का असंतुलित बंटवारा
Posted on 25 Jul, 2014 09:26 AMपिछले तीन दशक में तो पानी की इस राजनीति पर कितना ही पानी गुजर गया,समाज का संतुलन बिगाड़ता पानी का असंतुलित बंटवारा
Posted on 24 Jul, 2014 10:14 AMमॉनसून संकट के बीच हरियाणा में पानी को लेकर हरियाणा में चार बड़ी खबरें आईं।एक : नहरी पानी को लेकर हुए संघर्ष में मुआना गांव के किसानों के दो गुटों में हुई गोलीबारी में एक किसान की मौत हो गई जबकि छह गंभीर रूप से घायल हो गए।
बरसात हो, तो यूं हो
Posted on 21 Jul, 2014 04:07 PMफरमाइशी बरसात के पैंडुलम के बीच वह आदमी अब भी निरपेक्ष बना हुआ है जिसे बरसात की सबसे ज्यादा जरू
बादल है उड़ती नदी और नदी है बहता बादल
Posted on 12 Jul, 2014 09:31 AMमेघ ही वह कहार हैं, जो प्रत्येक नदी-नाला, गाड़-गधेरे और कुआं-बावड़ी सहित हर जलस्रोत को तृप्त कर सबमें पानी भरते हैं। मेघ प्रतिवर्ष यह काम कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनथक करते हैं।मेघ बहुत साहसिक कहार हैं। यह खूब भारी डोली यानी ढेर सारा तरल वाष्प लेकर हजारों मील दूर से भारत की यात्रा की शुरुआत करते हैं।
मानसून के लिए नदियों के जलस्तर की होगी निगरानी
Posted on 07 Jul, 2014 01:27 PMदक्षिणी राज्यों में कृष्णा घाटी के दक्षिण में बहने वाली कावेरी, पेन्नार और अन्य नदियों की व्याप