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झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि
बुन्देलखण्ड - तालाबों की खुदाई में ही खुदाई है
Posted on 20 Sep, 2016 01:04 PMबुन्देलखण्ड में जलसंकट कोई नया नहीं है। आज के हजार साल पहले से सूखे से निपटने के लिये बुन्देलखण्ड का समाज कोशिश करता रहा है। तब के राजाओं ने पानी के संकट से जूझने के लिये बड़े-बड़े तालाब बनाए थे। जल संकट से निजात के लिये बुन्देलखण्ड में आठवीं शताब्दी के चन्देल राजाओं से लेकर 16वीं शताब्दी के बुन्देला राजाओं तक ने खूब तालाब बनाए।
चन्देल राजकाल से बुन्देला राज तक चार हजार से ज्यादा बड़े-विशाल तालाब बनाए गए। समाज भी पीछे नहीं रहा। बुन्देलखण्ड के लगभग हर गाँव में औसतन 3-5 तालाब समाज के बनाए हुए हैं। पूरे बुन्देलखण्ड में पचास हजार से ज्यादा तालाब फैले हुए हैं।
परम्परागत सिंचाई के साधनों से क्यों विमुख हैं हम
Posted on 18 Sep, 2016 12:27 PM
आजकल कावेरी के जल के बँटवारे से जुड़ा विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे तो देश में इस विवाद के अलावा भी दूसरे राज्यों में जल के बँटवारे को लेकर बहुतेरे विवाद चर्चा में हैं। इनमें कृष्णा नदी जल विवाद, नर्मदा नदी जल विवाद, गोदावरी नदी जल विवाद, सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद और मुल्ला पेरियार बाँध से जुड़े विवाद प्रमुख रूप से चर्चित हैं। इनको लेकर राज्यों में आज भी टकराव कायम है।
मध्य पश्चिमी हिमालय उत्तराखण्ड के जलस्रोतों में जल उपलब्धता (Spring water availability of mid western Himalaya, Uttarakhand)
Posted on 15 Sep, 2016 02:22 PMसारांश:
मछली पालन कर सुनील कमा रहे लाखों रुपए
Posted on 21 Aug, 2016 03:06 PMपढ़ाई करने के बाद जब कहीं रोजगार नहीं मिला तो मछलीपालन में लग
संकट में हैं महाभारतकालीन जलकुण्ड
Posted on 06 Aug, 2016 11:27 AM
शिवपुरी में महाभारतकालीन ऐसे 52 कुण्ड हैं, जो जलराशि से तो बारह माह भरे ही रहते हैं, नवग्रह मण्डल की सरंचना से भी जुड़े हुए थे। अब इन कुण्डों में से 20 कुण्ड अस्तित्व में हैं, जबकि 32 कुण्ड लुप्त हो चुके हैं।
संकट में ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स
Posted on 05 Aug, 2016 12:59 PM
तीन सौ साल से भी पुराने शहर कोलकाता के पूर्वी क्षेत्र में विशाल आर्द्रभूमि है। इसे ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स (पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि) कहा जाता है। इस आर्द्रभूमि के पीछे गगनचुम्बी ईमारतों की शृंखला देखी जा सकती है।
इस वेटलैंड्स की खासियत यह है कि इसमें शहर से निकलने वाले गन्दे पानी का परिशोधन प्राकृतिक तरीके से होता है लेकिन इन दिनों यह आर्द्रभूमि संकट में है। पता चला है कि इस जलमय भूखण्ड को बचाए रखने के लिये जितनी मात्रा में गन्दा पानी डाला जाना चाहिए उतना नहीं डाला जा रहा है।
अस्तित्व बचाने की जंग लड़ता जनकल्याण तालाब
Posted on 02 Aug, 2016 03:00 PMवाराणसी। कभी कई बीघे में फैले इस तालाब का रकबा आज सिमटकर लगभग 10 बिस्वा में ही शेष रह गया है। सरकारी दस्तावेजों में कहने को तो यह जगह आज भी जनकल्याण तालाब के नाम से दर्ज है जिसमें इसका रकबा 23 बिस्वा प्रदर्शित होता है। लेकिन वर्तमान में ना तो वहाँ कोई तालाब जैसी जगह दिखलाई पड़ती है और ना ही आसपास कही पानी की एक बूँद।
वे तालाब जो कभी लोगों के पानी की आवश्यकताओं को पूरा करते थे, आज खुद अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद करते दिख रहे हैं। वाराणसी में कभी सैकड़ों की संख्या में पोखरे, तालाब, कुण्ड, जलाशय और बावलियाँ हुआ करती थीं लेकिन वर्तमान में ज्यादातर या तो अवैध अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी हैं या फिर भू-माफियाओं द्वारा पाट दी गई हैं।
चंदेरी : स्वर्ग यहीं है
Posted on 02 Aug, 2016 02:24 PMमध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक और सौन्दर्य से ओतप्रोत जगह है चंदेरी। बेतवा एवं उर्वशी नामक नदियों का सुरम्य घाटी में बसे चंदेरी में इतिहास और पुरातत्व का खजाना है। समुद्र तट से 1300 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह अंचल प्राकृतिक छटा से सजा एक अनुपम और सैर स्थल है। सुंदर झीलों, तालाबों, सजी-धजी बावड़ियों, पर्वत मालाओं और हरे-भरे
देवास के किसानों की मौन क्रांति
Posted on 26 Jul, 2016 11:47 AMमध्य प्रदेश के देवास शहर में लगभग एक दशक पूर्व पीने का पानी ट्रेन से लाया गया था, उस समय के दौर में यह घटना अकल्पनीय थी। इसी के चलते चारों ओर शोर हुआ। चहुँ ओर लोगों ने यह पीड़ा और वेदना सुनी थी। लेकिन अब देश में किसी स्थान में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न होना अकल्पनीय नहीं रहा। शायद अब यह एक सामान्य घटना होगी। देवास के किसानों के चेहरे पर अब मुस्कुराहट है। उनकी स्थिति बयाँ करने के लिये शा