चंदेरी : स्वर्ग यहीं है


मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक और सौन्दर्य से ओतप्रोत जगह है चंदेरी। बेतवा एवं उर्वशी नामक नदियों का सुरम्य घाटी में बसे चंदेरी में इतिहास और पुरातत्व का खजाना है। समुद्र तट से 1300 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह अंचल प्राकृतिक छटा से सजा एक अनुपम और सैर स्थल है। सुंदर झीलों, तालाबों, सजी-धजी बावड़ियों, पर्वत मालाओं और हरे-भरे वनों से अलंकृत चंदेरी बहुत ही चित्रमयी है। यहाँ की सुंदरतम बत्तीसी बावड़ी फारसी में खुदा हुआ है- ‘स्वर्ग यहीं है’। पर्यटकों के लिये यहाँ एक और आकर्षण है। किले के ऊपर जौहर ताल के किनारे भारतीय नारी के अस्तित्व प्रेम एवं आत्मसम्मान का एक गौरवशाली पृष्ठ लिखा हुआ है। इस पावन स्थली और खूनी दरवाजे पर रक्त से लिखी उत्सर्ग और शौर्य की गाथा आज भी बोल रही है। चंदेरी का प्राचीन नाम ‘चंद्रगिरि’ था। चंदेरी में बुंदेल राजपूतों और मालवा के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई अनेक इमारतें यहाँ देखी जा सकती है। इस ऐतिहासिक नगर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। 11वीं शताब्दी में यह नगर एक महत्त्वपूर्ण सैनिक केंद्र था और प्रमुख व्यापारिक मार्ग भी यहीं से होकर गुजरते थे। वर्तमान में बुन्देलखण्डी शैली में बनी हस्तनिर्मित साड़ियों के लिये चंदेरी काफी मशहूर है।

चन्देरी के मशहूर दर्शनीय स्थल


कोशक महलः इस महल को 1445 ई. में मालवा के महमूद खिलजी ने बनवाया था। यह महल चार बराबर हिस्सों में बंटा हुआ है। कहा जाता है कि सुल्तान इस महल को सात खंडों में बनवाना चाहते थे, लेकिन मात्र तीन खंड ही बनवा सके। महल के हर खंड में बालकनी, खिड़कियाँ और छत पर की गई शानदार नक्काशियाँ हैं।

परमेश्वर तालः इस खूबसूरत ताल को बुन्देला राजपूत राजाओं ने बनवाया था। ताल के निकट ही एक मंदिर बना हुआ है। राजपूत राजाओं के तीन स्मारक भी यहाँ पर देखे जा सकते हैं। चंदेरी नगर के उत्तर पश्चिम में लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर यह ताल स्थित है।

ईसागढ़ः चंदेरी से लगभग 45 किलोमीटर दूर ईसागढ़ तहसील के कड़वाया गाँव में अनेक खूबसूरत मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में एक मंदिर दसवीं शताब्दी में कच्चा पंगहटा शैली में बना है। मंदिर का गर्भगृह, अंतराल और मंडप मुख्य आकर्षण हैं। चंदल मठ यहाँ के अन्य लोकप्रिय प्राचीन मंदिर हैं।

बूढ़ी चंदेरीः ओल्ड चंदेरी सिटी को बूढ़ी चंदेरी के नाम से जाना जाता है। 9वीं और 10वीं शताब्दी में बने जैन मंदिर यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं। जिन्हें देखने के लिये हर साल बड़ी संख्या में जैन धर्म के अनुयायी आते हैं।

शहजादी का रोजाः यह स्मारक कुछ अनजान राजकुमारियों को समर्पित है। स्मारक के अंदरूनी हिस्से में शानदार सजावट है। स्मारक की संरचना ज्योमिती से प्रभावित है।

जामा मस्जिदः चंदेरी की जामा मस्जिद मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। मस्जिद के गुम्बद और वीथिका काफी सुंदर हैं।

देवगढ़ किलाः चंदेरी से 71 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में देवगढ़ किला स्थित है। किले के भीतर 9वीं और 10वीं शताब्दी में बने जैन मंदिरों का समूह है। जिसमें प्राचीन काल की कुछ मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं। किले के निकट ही 5वीं शताब्दी का विष्णु दशावतार मंदिर है, जो अपनी सुंदर मूर्तियों और नक्काशीदार स्तंभों के लिये जाना जाता है।

बत्तीसी बावड़ीः गोल, चौकोर और समकोण बावड़ियों से भरे इस नगर में अफगान वास्तुकला की दूसरी जगमगाती निशानी चार मंजिला घाटों से सजी यह बावड़ी है। इसकी सुंदर सीढ़ियों के ऊपर, बीच में पटे हुए स्वागत द्वारों ने इसे भव्य बना दिया है। 60-60 फीट लंबी-चौड़ी यह बावड़ी आज भी नयनाभिराम है। यहाँ पर फारसी में लिखा है, जिसका अर्थ है- ‘जो स्वर्ग की एक झलक देखना चाहता है, वह यहाँ आकर थोड़ा विश्राम करे, क्योंकि स्वर्ग इसी के समान हैं’।

थूबोनजी और राक-कटः चंदेरी के पश्चिम में 10 किलोमीटर की दूरी पर प्राकृतिक झील के किनारे जंगल में एक तपोवन था। कालांतर में इसी को थूबोनजी कहा जाने लगा। यहाँ पर 25 जैन मंदिरों के शिखर आकाश रेखा की शोभा बढ़ा रहे हैं।

.चंदेरी किलाः यह किला चंदेरी का सबसे प्रमुख आकर्षण है। बुन्देला राजपूत राजाओं द्वारा बनवाया गया यह विशाल किला उनकी स्थापत्य कला की जीवंत मिसाल है। किले के मुख्य द्वार को खूनी दरवाजा कहा जाता है। पहाड़ी की एक चोटी पर बना हुआ है। जो 5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। इसका निर्माण राजा कीर्तिपाल ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। इस किले में तीन प्रवेश द्वार हैं। ऊपर के द्वार को हवापुर दरवाजा और नीचे के द्वार को खूनी दरवाजा कहा जाता है। किले के दक्षिण-पश्चिम में एक रोचक दरवाजा है। जिसे कट्टी-घट्टी में कहा जाता है। चंदेरी किले के अंदर पर्यटन के कई आकर्षण हैं, जैसे खिलजी मस्जिद, नौखंडा महल, हजरत अब्दुल रहमान की कब्र आदि। यहाँ से शहर का रोचक दृश्य देखा जा सकता है।

कब जाएंः


कभी-भी जा सकते हैं। मौसम सुहावना रहता है। गर्मी, जाड़ा और अपने समय के अनुसार होती है।

कैसे जाएंः


वायुमार्ग- ग्वालियर चंदेरी का निकटतम एयरपोर्ट है। जो लगभग 227 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध रहती हैं।

रेलमार्ग- अशोक नगर, ललितपुर चंदेरी का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहाँ से बसों और टैक्सियों की सुविधा है।

सड़क मार्ग- राज्य के अधिकांश हिस्सों से सड़क मार्ग द्वारा चंदेरी पहुँच सकते हैं। झाँसी, ग्वालियर, टीकमगढ़ आदि शहरों से नियमित बस एवं टैक्सी की सुविधा रहती है।

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