जलवायु परिवर्तन

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Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
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Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
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Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
जलवायु परिवर्तन और मध्यप्रदेश
Posted on 04 Jul, 2009 12:46 PM

क्या धरती बन रही है चिता?


मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का सीधा असर देखा और महसूस किया जा सकता है। यह एक अहम अनाज उत्पादक इलाका रहा है पर यहां पिछले सात सालों में इसके चलते किसानों व पान उत्पादकों का जिंदगी बदल कर रख दी है। जलवायु परिवर्तन ने यहां कृषि आधारित आजीविका और खाद्यान्न उत्पादन पर खासा असर डाला है। मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी जिलों में पिछले 9 सालों में खाद्यान्न उत्पादन में 58 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। पिछले चार-पांच सालों में बेहद कम पानी बरसने या कई क्षेत्रों में सूखा पड़ने के चलते इस क्षेत्र के तकरीबन सभी कुएं सूख चुके हैं।
मौसम विभाग की भविष्यवाणियाँ
Posted on 29 Jun, 2009 04:37 PM
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा आधिकारिक रूप से जारी मानसून सम्बन्धी भविष्यवाणी के मुताबिक देश के कई भागों में कम वर्षा होने का पूर्वानुमान है। हालांकि जून माह से शुरु होने वाले चार माह के मानसून सीजन के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य औसत वर्षा होने का अनुमान है।
हिमालय की पुकार
Posted on 25 Jun, 2009 12:12 PM
वैश्विक तापमान वृद्धि का हिमालय पर पड़ने वाला प्रभाव स्पष्ट दिखाई देने लगा है। अब मध्य हिमालय की पहाड़ियों पर हिमपात नहीं होता। टिहरी के सामने प्रताप नगर की पहाड़ियों और उससे जुड़ी हुई खैर पर्वतमाला पर अब बर्फ नहीं दिखाई देती। यही नहीं, भागीरथी के उद्गम गोमुख ग्लेशियर में बर्फ पीछे हट रही है। हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि वर्ष 2030 में गोमुख ग्लेशियर पूर्णतया
वैश्विक गर्मी और जलवायु शरणार्थी
Posted on 03 Jun, 2009 02:21 PM
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में स्थित सागर द्वीप का निवासी बिप्लब मोंडल पिछले 25 वर्षों से एक शरणार्थी की तरह दिल्ली की गोविन्दपुरी नामक गंदी बस्ती में रह रहा है। पिछली बातों को याद करते हुए वह कहता है कि ‘मैं जब भी समुद्र को देखता था तो मुझे लगता था कि जैसे वह मेरे गांव में घुस आएगा।’ वह 1992 में दिल्ली में बस गया और दिहाड़ी पर काम करने लगा। साथ ही दिल्ली में बसने के लिए उसने मकान खरीदने के लिए
क्लाईमेट चेंज के नाम पर कार्बन का व्यापार
Posted on 14 May, 2009 10:08 AM हिमाचल सरकार ने पिछले दिनों क्लाईमेट चेंज पर नीति का मसौदा तैयार किया। विश्व भर में पिछले 5 वर्षों में शायद ही कोई और मुद्दा इतनी चर्चा और चिंतन का विषय रहा होगा जितना कि क्लाईमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन। और क्यों न हो जब यह विस्तृत रूप से साबित हो चुका है कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान से आने वाले समय में बदलते और अपूर्वानुमेय मौसम, बाढ़, साईक्लोन अन्य आपदाएं और स्वास्थ्य समस्याएं और गंभीर हो जाएंगी।

पृथ्वी के बढ़ते तापमान का मुख्य कारण है जीवाश्म इंधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग जिससे कार्बन डाइऑक्साइड की वायु में मात्रा हद से ज्यादा बढ़ जाती है। यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि विश्व के अधिकांश देश एक ऐसी विकास प्रणाली अपना चुके हैं जो प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन पर आधारित है।
<i>जलवायु परिवर्तन</i>
ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानसून विलंब
Posted on 13 Mar, 2009 07:07 PM शिकागो, 1/03,09। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अगली सदी तक ग्रीष्मकालीन मानसून में पांच से 15 दिन का विलंब हो सकता है तथा भारत सहित दक्षिण एशिया के बड़े हिस्से में वर्षा का स्तर काफी कम हो सकता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है। अध्ययन के अनुसार वैश्विक तापमान में वृद्धि से मानसून पूर्व की आ॓र रूख कर सकता है, जिससे हिंद महासागर, म्यामांर और बांग्लादेश में तो खूब बारिश होगी लेकिन पाकिस
नोबेल पचौरी
Posted on 06 Mar, 2009 08:04 AM
मनोज तिवारी
वाराणसी में भारतीय रेलवे के डीजल लोकोमोटिव वर्क्स से प्रबंधकीय कार्य की शुरुआत करने वाले भारत के एक सपूत आरके पचौरी ने नोबल शांति पुरस्कार में भारत को हिस्सेदारी दिलाई है। नैनीताल में जन्मे इस देसी सपूत ने दुनिया के बड़े से बड़े मंच पर हिंदुस्तान का परचम लहराया है। नोबल पुरस्कार में हिस्सेदारी बांटने का यह गौरव पचौरी की अध्यक्षता वाली इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) संस्था को मिला है। पारिस्थितिकी परिवर्तन और उसमें बनने वाली नीतियों में भी पचौरी का अंतर्राष्ट्रीय दखल हमेशा रहा है। इस दखल ने ही देश के इस पर्यावरणविद को पारिस्थितिकी के क्षेत्र में विश्वव्यापी आयाम दिलवाया।

नैनीताल की सुरम्य वादियां श्री पचौरी को हमेशा पर्यावरण सुरक्षा के प्रति उनके दायित्व की याद दिलाती रहीं।
अगर दुनिया को बचाना है .........
Posted on 08 Feb, 2009 07:45 AM

तो हिमालय को पेड़ों से ढकें


जागरण – याहू / प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा मानते हैं कि अगर दुनिया को बचाना है तो हिमालय को पूरी तरह पेड़ों से ढकना होगा। पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिग के खतरों सहित तमाम मुद्दों पर देहरादून में 'दैनिक जागरण' के मुख्य संवाददाता अतुल बरतरिया ने बहुगुणा से बातचीत की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-
चिंता करें जलवायु की?
Posted on 02 Feb, 2009 08:45 AM

मदन जैड़ा

गरमी का ताप : गरीबों का संताप
Posted on 02 Feb, 2009 08:11 AM

सुभाष चंद्र कुशवाहा

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