जलवायु परिवर्तन

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July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
June 7, 2024 Scientists question effectiveness of nature-based CO2 removal using the ocean
Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
June 6, 2024 एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम?
गर्म होते महासागर
May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
April 30, 2024 As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
सुरक्षित-ऊर्ज़ा तथा पर्य़ावरण
Posted on 23 Jul, 2011 04:15 PM

ग्लोबल-वार्मिंग(विश्विक-भूताप) की गंभीर चुऩौती का सामऩा करऩे के लिय़े भारत- ऊर्ज़ा के वैकल्पिक

गर्माते जल स्त्रोत
Posted on 21 Jul, 2011 01:54 PM

नासा की ताजा रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2060 तक धरती का औसत तापमान चार डिग्री बढ़ जाएगा, जिससे एक तरफ प्राकृतिक जलश्रोत गर्माने लगेंगे, वहीं लोगों का विस्थापन भी बढ़ेगा। पर्यावरण में आ रहे बदलावों से जूझने के लिए हर तरफ प्रयास हो रहे हैं। ऐसे ही कुछ प्रयासों से रूबरू पिछले दिनों अमरीकी वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार चौंकाती रिपोर्ट प्रस्तुत की है कि लगातार बढ़ता ताप धरती की अपेक्षा उसके जल श्रोतों को

समुद्र का मरीन इको सिस्टम खतरे में
Posted on 15 Jul, 2011 12:53 PM

हिमालय के ग्लेशियर ही नहीं, बल्कि समुद्र की मरीन इकोलॉजी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यह खतरा समुद्री मालवाहक जहाजों के घिट्टी पानी (ब्लास्ट वाटर) से आ रहे जीवाणुओं से हो रहा है जो एक महाद्वीप का पानी लेकर दूसरे में डाल रहे हैं। पानी के जहाजों के इस घिट्टी पानी के कारण जापान के समुद्र में फैले फुकुशिमा रिएक्टरों के रेडियो एक्टिव तत्व दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में पहुंचने का खतरा भी कायम

हरियाली बदल रही लेह की सूरत
Posted on 15 Jul, 2011 12:20 PM

‘ठंडे रेगिस्तान’ के नाम से मशहूर मटमैले लेह में अब हरी चादर दिखने लगी है। यह हरियाली लेह की शक्ल-सूरत बदल रही है। माना जा रहा है कि हरियाली बादल खींचने लगी है और यहां हर साल बारिश का दर बढ़ रही है। नतीजतन सदियों से लगभग नहीं के बराबर बारिश में जिंदगी गुजारने वाले लेह के लोगों का सामना अब हर साल होने वाली बरसात से हो रहा है।उधर, प्रशासन का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से यहां गर्मी बढ़ी है

हिमालय के चरित्र के अनुरूप बनें योजनायें
Posted on 14 Jul, 2011 01:13 PM

अन्तर्राष्ट्रीय भूगोलवेत्ताओं के संघ के तत्वावधान में पर्वतों एवं सीमांत क्षेत्रों में वैश्वीकरण के स्थानीय एवं क्षेत्रीय प्रभाव विषय पर 1 से 9 मई 2011 के बीच भूगोल विभाग डी.एस.बी. परिसर कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के प्रो.

जलवायु परिवर्तनः सबसे ज़्यादा असर ग़रीबों पर
Posted on 28 Jun, 2011 09:36 AM

इस बात से सभी सहमत हैं कि हमारे वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि ही जलवायु परिवर्तन की वजह है। इस नीले ग्रह (पृथ्वी) पर जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी यही है। यदि कोई संदेह रह गया है तो भारत में मानसून की आंख मिचौली और पूरी दुनिया में जलवायु का अनिश्चित व्यवहार इसके प्रमाण हैं। ऐसा माना गया है कि तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी से भी पूरा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ जाएगा। वहीं

बोझ ढोती धरती
Posted on 22 Apr, 2011 11:53 AM

पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत अमेरिका में आज से 41 साल पहले हुई।
इसका लक्ष्य है जीवन को बेहतर बनाया जाय। सवाल है कि जीवन बेहतर कैसे बने। साफ हवा और पानी बेहतर जीवन की पहली प्राथमिकता है लेकिन आज हवा और पानी ही सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। प्रकृति से अंधाधुंध छेड़छाड़ के चलते पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। वातावरण में कार्बन की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है।

प्यासी होती धरती
Posted on 22 Apr, 2011 11:34 AM

हमारे आस-पास के जीव-जन्तु और पौधे खत्म होते जा रहे हैं। हम केवल चिंता और चिंतन का नाटक कर रहे हैं। दूसरों के जीवन को समाप्त करके आदमी अपने जीवन चक्र को कब तक सुरक्षित रख पाएगा? ईश्वर के बनाए हर जीव का मनुष्य के जीवन चक्र में महत्व है। मनुष्य दूसरे जीव के जीवन में जहर घोल कर अपने जीवन में अमृत कैसे पाएगा?

'अगले सौ वर्षों में धरती से मनुष्यों का सफाया हो जाएगा।' ये शब्द आस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक फैनर के हैं। उनका कहना है कि ‘जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से इन्सानी नस्ल खत्म हो जाएगी। साथ ही कई और प्रजातियाँ भी नहीं रहेंगी। यह स्थिति आइस-एज या किसी भयानक उल्का पिंड के धरती से टकराने के बाद की स्थिति जैसी होगी।’ फ्रैंक कहते हैं कि विनाश की ओर बढ़ती धरती की परिस्थितियों को पलटा नहीं जा सकता। पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि कई लोग हालात में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।

धीरे-धीरे धरती से बहुत सारे जीव-जन्तु विदा हो गए। दुनिया से विलुप्त प्राणियों की ‘रेड लिस्ट’ लगातार लम्बी होती जा रही है।
water importance
डूब रहा है सुंदरवन
Posted on 07 Apr, 2011 12:07 PM बहत्तर साल के जलालुद्दीन ने ग्लोबल वार्मिंग का नाम तक नहीं सुना है। वे नहीं जानते कि यह किसी बला का नाम है। वे बस एक बात जानते हैं और यह कि दुनिया में होने वाले अत्याचारों और प्रकृति से छेड़छाड़ की वजह से अब बंगाल की खाड़ी के बढ़ते जलस्तर ने उनके पुरखों की पांच बीघे जमीन लील ली है। भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर बसे सुंदरवन के घोड़ामारा नामक जिस द्वीप पर जलालुद्दीन अपनी
ग्लोबल वार्मिंग और लापरवाह वैश्विक रवैया
Posted on 12 Mar, 2011 10:45 AM

अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि सभी क्षेत्रों खासकर तटीय शहरों, खेतों, जलीय इलाकों और समूचे पर्यावरण तंत्र पर वैश्विक तापमान वृद्धि का प्रभाव पड़ेगा। वर्ष 2060 तक तापमान की यह वृद्धि 4 डिग्री सेल्सियस तक हो सकती है। इससे खाद्य संकट बढ़ जाएगा और तटीय इलाकों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। कुछ इलाके डूब भी जाएंगे। धरती के गरमाने से एशिया के समुद्र तटीय

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