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/topics/large-dams-barrages-reservoirs-and-canals
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हाल ही में जयपुर में बांधों की सुरक्षा को लेकर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की और से बेहद भव्य तरीके से आयोजित इस कार्यक्रम में दुनियाभर के विशेषज्ञों ने बांधों को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कई सुझाव भी पेश किए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में छह हजार से अधिक बड़े-छोटे बांध हैं।
नर्मदा नदी पर निर्माणाधीन सरदार सरोवर बांध भारत के बड़े बांधों में से एक है। इस बांध का निर्माण, नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण वर्ष 1979 के उस निर्णय के उपरान्त शुरू हुआ जिसके द्वारा नर्मदा जल का बटवारा किया गया है। वर्ष 1980 में परियोजना की रूपांकन सम्बन्धी घटकों को अंतिम रूप दिया गया। अब उसके बाद की अवधि के निस्सारण / गाद (सिल्ट ) के आंकड़े भी उपलब्ध है
भारत जैसे देश में जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी समस्या है, विशेषकर कृषक समुदायों के लिए मानसून पर अधिक आश्रित होने एवं दक्षिण-पश्चिम मानसून के असामान्य व्यवहार के कारण वर्षा आधारित कृषि पर इसका प्रभाव सबसे अधिक है। वर्षा के वितरण में अधिक अंतर होने अंतर मौसमी विविधता एवं अत्यधिक तापमान ऐसे कारण हैं, जिनसे फसलों को नुकसान होता है। मानसून के आरंभ में देरी या लंबा शुष्क दौर एवं जल्दी मानसून का लौट
सम्पूर्ण भारत को वर्षा के रूप में जितना जल मिलता है उसका लगभग 5 प्रतिशत पड़ोसी देशों से आने वाली नदियाँ अपने साथ लाती है। यदि । हम केवल भारत की भूमि पर बरसने वाले औसत वार्षिक जल को देखें, तो यह लगभग 1215 मिलीमीटर है। यह वर्षा जल भी विश्व की ओसत वर्षा से कहीं अधिक है। समस्या यह है कि स्थान विशेष ओर मात्रा के परिपेक्ष में इसका बंटवारा अत्यंत विषम है। उत्तर-पूर्वी भारत में 2500 मिलीमीटर वार्षिक वर
स्वतंत्रता के दौरान, भारत में बांधों की संख्या नगण्य थी, लेकिन आजादी के बाद से यह अत्यधिक बढ़ गई। बाढ़ नियंत्रण, जल आपूर्ति, विद्युत उत्पादन और सिंचाई करने के लिए बड़े पैमाने पर बांधों को बनाया गया। स्वतंत्रता के दौरान, भारत में तकरीबन 300 बड़े बांध थे। इसलिए बांधों को मल्टीपल रिवर वैली प्रोजेक्ट्स के रूप में जाना जाता था। वर्ष 2000 तक बांधों की संख्य
बांग्लादेश में मेरा कई बार जाना हुआ है। जब भी गया तब नैतिकता, न्याय की विश्वशांति जलयात्रा के लिए ही गया। यह देश भारतखंड (हिन्दुकुश) का एक हिस्सा था। अभी भी है। इस देश और भारत में बहुत जुड़ाव सा दिखता है। इसमें उत्तर पूर्वी राज्यों तथा बंगाल से आना-जाना आज भी है, जबकि कांटेदार बाड़ लग गई है। लोगों का आना-जाना जब यह पूरा भारतवर्ष ही था, तब जैसा तो नहीं है; लेकिन आने-जाने वाले आज भी वैसे ही आ-जा