Posted on 29 Jul, 2016 09:22 AM आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। जनसंख्या विस्फोट शहरीकरण, वाहनों की संख्या में वृद्धि, अत्यधिक औद्योगीकरण के कारण जंगलों की कटाई और सफाई की जा रही है। फिर भी प्राकृतिक कच्चे माल की कमी हो जा रही है। उदाहरण स्वरूप लकड़ी की मात्रा कम हो रही है और फर्नीचर की मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने के लिये कृत्रिम पदार्थों का उत्पादन शुरू हुआ। इस कृत्रिम पदार्थ को प्लास्टिक नाम से जाना जाता है।
वातावरण में उपस्थित ऐसे तत्व या कण जो उसकी शुद्धता को प्रभावित करते हैं प्रदूषक कहलाते हैं और उनकी उपस्थिति से जो वातावरण दूषित होता है उसी को प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण का असर जीव-जन्तुओं पर तो होता ही है साथ ही साथ वह तमाम निर्जीव वस्तुओं पर भी बुरा प्रभाव डालता है।