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मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन 
यह शोध पत्र मसाही गाँव, तहसील रुड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखण्ड के भूजल और तालाब की गुणवत्ता के मूल्यांकन को प्रस्तुत करता है। तालाब और भूमिगत जल से पानी के नमूने, पानी पीने के उद्देश्य के लिए उपयुक्तता की जाँच करने के लिए अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए थे Posted on 17 Apr, 2023 10:29 AM

भारत में भूजल की उपयोगिता पिछले कुछ दशकों के दौरान बढ़ी है। अत्यधिक भूजल दोहन के कारण कई जगहों पर भूजल तालिका में गिरावट पायी जा रही है और यह दीर्घकालिक चिन्ता का विषय है। ऐथ्रोपोजेनिक गतिविधियों के कारण देश के कई हिस्सों में भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है। पहले गांवों में तालाब कई उद्देश्यों के लिए अर्थात् पीने, स्नान और सिंचाई आदि कार्यों में प्रयोग होते थे लेकिन अब तालाव दिन-प्रतिदिन प्रदूषित

मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन,PC-amuj
पर्यावरण संवारती भारत की नदियां
अपनी कई सहायक नदियों के साथ भारत की नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। अधिकांश नदियां अपना जल बंगाल की खाड़ी में गिराती हैं। कुछ नदियों के प्रवाह उन्हें देश के पश्चिमी भाग से होते हुए और हिमाचल प्रदेश राज्य के पूर्व की ओर अरब सागर में ले जाते हैं। भारत की सभी प्रमुख नदियां तीन मुख्य जलसंभरों में से एक से निकलती है। भारत की नदियों को उत्पत्ति के आधार पर और उनके द्वारा बनाए गए बेसिन के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। Posted on 14 Apr, 2023 01:43 PM

भारत की नदियां भारतवासियों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नदियां हमें सिंचाई व पीने योग्य पानी, सस्ता परिवहन और बिजली प्रदान करती हैं। यह प्राकृतिक संसाधन पूरे देश में बड़ी संख्या में लोगों को आजीविका प्रदान करता है। यह महत्वपूर्ण बात है कि भारत के लगभग सभी प्रमुख शहर नदी के किनारे ही स्थित हैं। नदियां जीवनदायिनी होती हैं। प्रस्तुत लेख में लेखक ने भारत की प्रमुख नदियों, उनके प्राकृति

भारत की नदियां,PC-indianetzone
आइये, हम खुद लिखें एक निर्मल कथा  
नदी प्रदूषण मुक्ति असरकारी कार्ययोजना का सबसे पहला काम है अक्सर जाकर अपनी नदी का हालचाल पूछने का यह काम अनायास करते रहें। अखबार में फोटो छपवाने या प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट लगाने के लिए नहीं, नदी से आत्मीय रिश्ते बनाने के लिए यह काम नदी और उसके समाज में उतरे बगैर नहीं हो सकता। नदी और उसके किनारे के समाज के स्वभाव व आपसी रिश्ते को भी ठीक-ठीक समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। नदी जब तक सेहतमंद रही,उसकी सेहत का राज क्या था? Posted on 14 Apr, 2023 12:47 PM

नदी प्रदूषण मुक्ति असरकारी कार्ययोजना का सबसे पहला काम है अक्सर जाकर अपनी नदी का हालचाल पूछने का यह काम अनायास करते रहें। अखबार में फोटो छपवाने या प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट लगाने के लिए नहीं, नदी से आत्मीय रिश्ते बनाने के लिए यह काम नदी और उसके समाज में उतरे बगैर नहीं हो सकता। नदी और उसके किनारे के समाज के स्वभाव व आपसी रिश्ते को भी ठीक-ठीक समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। नदी जब तक

गंगा में प्रदूषण,Pc-Flicker IWP
पशुधन में फ्लोराइड विष का प्रभाव
पशु के शरीर में फ्लोराइड कई तरह से पहुँचता है, जैसे पीने का पानी, फ्लोराइड युक्त मिट्टी में उगाया हुआ चारा, खनिज मिश्रण तथा कारखाने से निकलने वाली प्रदूषित हवाएं ! हवा में मौजूद धूलि कण आदि। जहाँ फसलों को रॉक फॉस्फेट, मोनो अमोनियम तथा डाय अमोनियम फॉस्फेट पूरक खाद डाली जाती है। वहां की भारी फ्लोराइड विषाक्तता पायी जाती है, पृथ्वी के परत में मौजूद पानी में फ्लोराइड रिसता है Posted on 13 Apr, 2023 01:35 PM

पशु के शरीर में फ्लोराइड कई तरह से पहुँचता है, जैसे पीने का पानी, फ्लोराइड युक्त मिट्टी में उगाया हुआ चारा, खनिज मिश्रण तथा कारखाने से निकलने वाली प्रदूषित हवाएं !

पशुधन में फ्लोराइड विष का प्रभाव,Pc-(Farmers Weekly)
पिघलते ग्लेशियर भी क्लाइमेट इमरजेंसी की वजह 
हाल ही के वर्षों में वहां बर्फ इतनी तेजी से पिचलने लगी है कि जिसे देखकर डर लगता है डर की वजह यह है कि इन इलाकों की एक सेंटीमीटर बर्फ पिघलने का असर 60 लाख लोगों पर पड़ता है। इसका अभिप्राय यह है कि इस तरह 60 लाख नए लोग डूब क्षेत्र की जद में आ जाते हैं।
Posted on 12 Apr, 2023 02:30 PM

पिघलते ग्लेशियर भी क्लाइमेट इमरजेंसी की वजह,Pc-Flicker Hindi Water Portal
संदूषण जलराशियों के बुढ़ापे का संकेत
आधुनिक युग में पढ़ते औद्योगीकरण व विकास की अन्य मानवीय गतिविधियों के चलते विभिन्न जल स्रोतों के जल की गुणवत्ता पर काफी मात्रा में विपरीत प्रभाव पड़ा है। अतः जल प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। परन्तु जलराशियों के लिए प्रदूषण के अलावा संदूषण भी एक और समस्या है Posted on 11 Apr, 2023 02:57 PM

पृथ्वी पर लगभग 70 प्रतिशत भाग में जल का आधिपत्य है जिसमें यह मुख्यतः समुद्र, ग्लेशियर, नदियों, सरोवर, झरने व भूमिगत जल के रूप में उपलब्ध है। इन सभी जल स्रोतों पर सृष्टि के समस्त जीव-जन्तु किसी न किसी प्रकार निर्भर करते हैं। इस प्रकार समस्त जीव-जन्तुओं व के लिए पानी जीवन दायक सिद्ध होता है। हालांकि जीवों के लिए सभी जल  स्रोतों से जल उपलब्ध नहीं रहता है  ना ही वे हर स्रोत से जल प्राप्त कर सकते  ह

संदूषण जलराशियों के बुढ़ापे का संकेत,Pc-Encyclopedia Britannica
बिहार में भूगर्भीय जल संदूषण से पशुओं में फ्लोरोसिस से कुप्रभाव एवं बचाव के उपाय
भूजल में फ्लोराइड का प्रदूषण चट्टानों और अवसादों का अपक्षय और उनमें फ्लोराइड युक्त खनिजों के लीचिंग के कारण होता है। इनके अतिरिक्त उर्वरक और एल्यूमीनियम फैक्टरी के अवशिष्ट जल के भूजल में मिलने से भी पानी फ्लोराइड युक्त हो सकता है। फ्लोराइड की मात्रा कुछ खाद्य पदार्थों में भी अधिक होता है जैसे की समुद्री मछली, पनीर, तुलसी एवं चाय, खाद्य-सामग्री में फ्लोराइड की मात्रा मुख्यतः मिट्टी के प्रकार, भू-पटल में उपस्थित लवणों एवं उपलब्ध पानी पर निर्भर करती हैं। पशु एवम् मनुष्य के शरीर में फ्लोराइड अथवा हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल के अधिक प्रवेश होने से फ्लोरोसिस रोग होता है। इसके कारण पशुओं में बाँझपन, उत्पादन घाटा, दांत, हड्डियां, खुर, सींग में विकृति, और अन्य शारीरिक अंग प्रभावित हो सकते हैं।
Posted on 10 Apr, 2023 01:46 PM

जल हमारी सभी प्राकृतिक संपत्तियों में सबसे कीमती है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। धरती पर जल के तीन प्राकृतिक स्रोत है। वर्षा जल, भूजल और सतही जल । पृथ्वी के समस्त जल का 96.5 प्रतिशत समुद्री जल है जो कि सतही जल के श्रेणी में आता है। पृथ्वी का 3.5 प्रतिशत जल ही ताजा पानी है जिसे धरती पर पशु और पौधे इस्तेमाल करते हैं।

बिहार में भूगर्भीय जल संदूषण से पशुओं में फ्लोरोसिस से कुप्रभाव एवं बचाव के उपाय,pc-Fluoride Action Network
पर्यावरण प्रवाह: विकास एवं नदी जीवन के मध्य समझौता
भारत में औसत वार्षिक वर्षों की 90 प्रतिशत से अधिक वर्षा वर्षा के चार महीनों (जून से सितम्बर) की अवधि के दौरान होती है तथा वर्षा का वितरण बेहद असमान है और स्थानिक रूप में इसमें बहुत अधिक भिन्नता है। जिसके कारण वर्ष भर विभिन्न क्षेत्रों की पानी की मांग को पूरा करना अत्यधिक कठिन है। Posted on 10 Apr, 2023 11:37 AM

17 अप्रैल, 2017 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी) ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा कि गंगा नदी में निर्वाध जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उसमें न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह क्या होना चाहिए। शीर्ष पर्यावरण नियामक ने यह भी कहा कि जब तक पानी को अत्यधिक निकाले जाने और प्रदूषकों को उसमें बहा दिये जाने पर नियंत्रण नहीं लगाया जाता, तब तक गंगा को पूर्णरूपेण उसके असली रूप में वापस नहीं लाया जा सकेगा। र

पर्यावरण प्रवाह: विकास एवं नदी जीवन के मध्य समझौता,Pc-HT
जल गुणवत्ता जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू
जल प्रदूषण के लिए प्राथमिक कारण जल का अत्यधिक दोहन है जिसने जल प्रदूषण को काफी हद तक बढ़ाया है। पानी की गुणवत्ता संदूषण के विभिन्न कारणों से प्रभावित होती है, जिसमें शहरी और औद्योगिक अपशिष्टों की निकासी और खेतों से जल का बहना शामिल है नये अपशिष्ट पदार्थ इसी तरह जलमार्गों और झीलों में घुल जाते हैं। इस तरह के प्रदूषण मानव जीवन में प्राकृतिक तरीके से प्रवेश कर प्रभावित करते हैं और तब तक एकत्रित होते हैं जब तक कि वे खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाते जल प्रदूषण जलीय जीवों और कशेरुकियों की मृत्यु का भी कारण बनते हैं। Posted on 08 Apr, 2023 12:04 PM

 

 " पृथ्वी, वायु, भूमि और जल हमारे पूर्वजों से विरासत में नहीं हैं बल्कि हमारे बच्चों से हम पर ऋण हैं। इसलिए हम उन्हें उसी तरह से सौंपना होगा, जैसा हमें सौंपा गया था।" गांधी  

जल गुणवत्ता जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू,Pc-krishi alert
जल प्रदूषण निवारण एवं कानूनी नियंत्रण
प्रदूषण आज की एक ज्वलंत समस्या है। प्रदूषण पर्यावरण को ही दीमक की तरह खोखला कर रहा है। आज न केवल मानव जाति, अपितु पशु-पक्षी भी प्रदूषण से व्यथित एवं कुंठित हैं। जन जीवन प्रदूषण से प्रतिकूल प्रभावित हुआ है। विकलांगता, अंधापन आदि प्रदूषण के ही परिणाम है। प्रदूषण चाहे हवा हो या जल का प्रदूषण मानव जाति के लिए घातक है। यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय को इण्डियन कौसिंल फार एन्वायरो लीगल एक्शन बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया (ए.आई.आर. 1996 एस.सी. 1446) के मामले में यह कहना पड़ा कि अब समय आ गया है जब प्रदूषण निवारण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए शासन, प्रशासन और स्वैच्छिक संगठनों को पहल करनी होगी।

Posted on 08 Apr, 2023 10:41 AM

प्रदूषण आज की एक ज्वलंत समस्या है। प्रदूषण पर्यावरण को ही दीमक की तरह खोखला कर रहा है। आज न केवल मानव जाति, अपितु पशु-पक्षी भी प्रदूषण से व्यथित एवं कुंठित हैं। जन जीवन प्रदूषण से प्रतिकूल प्रभावित हुआ है। विकलांगता, अंधापन आदि  प्रदूषण के ही परिणाम है। प्रदूषण चाहे हवा हो या जल का प्रदूषण मानव जाति के लिए घातक है। यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय को इण्डियन कौसिंल फार एन्वायरो लीगल एक्शन बनाम यू

जल प्रदूषण निवारण एवं कानूनी नियंत्रण,pc-anokha gyan
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