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जेजेएम से पत्थलघुटवा में जागी उम्मीद की नई किरण
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के साथ यह सब बदल गया। यह घोषणा इस टोला की महिलाओं के लिए आशा की एक किरण लेकर आई, क्योंकि इससे उनके घरों में पानी की सीधे आपूर्ति होगी। इसलिए, महिलाओं ने अपनी समस्याओं को जिला स्तर पर काम कर रहे पेयजल और स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के सामने रखा, जिन्होंने उनकी जरूरतों को तुरंत पूरा किया। Posted on 18 Sep, 2023 02:47 PM

झारखंड राज्य में रामगढ़ जिले के चित्तरपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मयाल गांव का पत्थलघुटवा टोला ( बसावट) मुख्य रूप से महतो लोगों का निवास है जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। हाल के दिनों तक, यह टोला जीवन यापन की सुगमता से संबंधित अधिकांश मापदंडों में पिछड़ गया, चाहे वह सड़क हो या सुरक्षित पेयजल । उस समय घरों के इन समूहों के एक छोर पर केवल एक सौर ऊर्जा से चलने वाली ओवरहेड पानी की टंकी थी। पत्थलघुटव

जेजेएम से पत्थलघुटवा में जागी उम्मीद की नई किरण
जल गुणवत्ता पखवाड़ा : जल गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के लिए 15 दिवसीय अभियान
इस अभियान के माध्यम से पानी की गुणवत्ता, भंडारण, सुरक्षित जल रख-रखाव और प्रबंधन से संबंधित नियंत्रण उपायों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए 1,00,000 जल बहिनियां, 273 पैनल में शामिल आईएसए और 19,000+ वीडब्ल्यूएससी राज्य के 19,676 गांवों में पहुंचेंगी। Posted on 18 Sep, 2023 02:37 PM

छत्तीसगढ़, जल जीवन मिशन के विजन के लिए प्रतिबद्ध है और यह 2024 तक 'हर घर जल' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से काम कर रहा है। क्षेत्र स्तर पर हर संभव प्रयास करके, छत्तीसगढ़ सरकार, जेजेएम के प्रत्येक घटक अर्थात पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी (डब्ल्यूक्यूएमएस), डीपीएमयू और एसपीएमयू की स्थापना और विशेषज्ञों की नियुक्ति, केआरसी को नियोजित करने, नियोजित आईएसए के लिए प्रशिक्षण

पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी
सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
खासकर सर्दी के आते ही लोगों को पानी की किल्लत का सामना करने की आदत हो गई है। साल-दर-साल समस्या विकराल होती जा रही है।  विशेषज्ञ मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, खनन और खेती के स्लेश एंड बर्न सिस्टम (झूम खेती) को झरनों के सूखने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। सख्त सरकारी निषेध के बावजूद, अनियंत्रित कटाई की समस्या एक चिंताजनक मुद्दा बनी हुई है। Posted on 18 Sep, 2023 02:28 PM

अरुणाचल प्रदेश अनुमानित 3.19 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल संसाधनों (सीजीडब्ल्यूबी, 2020) और भारत की एक तिहाई से अधिक जलविद्युत क्षमता के साथ प्रचुर जल संसाधनों से संपन्न है। कई प्रमुख नदियाँ जैसे कामँग, सियांग, सुबनसिरी, आदि और कई आर्द्रभूमि जैसे भागजंग, नगुला, आदि इसकी समृद्ध जैव विविधता का पोषण करती हैं। इतने विशाल जल संसाधनों के बावजूद, अरुणाचल प्रदेश पीने के पानी की कमी से जूझ रहा है।

सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
बुरहानपुर : देश का पहला 'हर घर जल' सर्टिफाइड ज़िला
कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान, बुरहानपुर जिला प्रशासन द्वारा किए गए निरंतर कार्य के फलस्वरूप 34 महीने की अवधि के भीतर इसके सभी 1.01 लाख ग्रामीण परिवारों को कार्यात्मक नल के पानी के कनेक्शन प्राप्त हो गए हैं। इसके अलावा, सभी 640 स्कूलों, 547 आंगनवाड़ी केंद्रों और 440 सार्वजनिक संस्थाओं में भी पीने योग्य पानी सुलभ है। 440 सार्वजनिक संस्थाओं में 167 ग्राम पंचायतें, 50 स्वास्थ्य देखरेख केंद्र, 109 सामुदायिक केंद्र, 45 आश्रमशाला, 2 सामुदायिक शौचालय और 67 सरकारी कार्यालय शामिल हैं। Posted on 16 Sep, 2023 01:59 PM

मध्य प्रदेश में दक्षिण का दरवाजा' कहे जाने वाला बुरहानपुर देश का पहला 'हर घर जल' सर्टिफाइड ज़िला बना। 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के समय बुरहानपुर में कुल 1.01 लाख परिवारों में से केवल 37, 241 ग्रामीण परिवारों (36.54%) की पीने योग्य पेयजल तक पहुंच थी। कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान, बुरहानपुर जिला प्रशासन द्वारा किए गए निरंतर कार्य के फलस्वरूप 34 महीने की अवधि के भीतर इसके सभी 1.01 लाख

दूर-दराज़ इलाकों की महिलाओं को सदियों पुरानी मजबूरी से मिली मुक्ति,Pc-जल जीवन संवाद
जल गुणवत्ता जांच के लिए कौशल विकास का भरपूर लाभ
भविष्य के बारे में सोचते हुए हम उपर्युक्त से दो बातें सीखते हैं। एक, हम इस प्रक्रिया में और अधिक विश्वास कैसे ला सकते हैं ताकि पानी के आंकड़ों को अधिक विश्वसनीय माना जा सके। दूसरी बात का संबंध इससे है कि कोई इस प्रक्रिया के माध्यम से बनाई गई विशाल कौशल पूंजी को कैसे पहचानता है और लंबी अवधि तक इससे कैसे लाभ प्राप्त करता है। Posted on 16 Sep, 2023 01:11 PM

जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी, भारत में वर्ष 2021-22 के दौरान एक क्रांति हो रही थी। जैसा कि महामारी की दूसरी लहर ने पूरे भारत को अपनी चपेट में ले लिया था, गढ़वा, झारखंड की आर्यमा कुमारी, गाँवों में मास्क पहनने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या में से एक थीं, जो झिझकते हुए एक-दूसरे से दूरी बना रही थीं, और हम जो समझते हैं उससे हटकर पानी की गुणवत्ता को 'देखने के लिए प्रशिक्षण ले रही थीं।

जल गुणवत्ता जांच के लिए कौशल विकास का भरपूर लाभ
10 करोड़ ग्रामीण घर : प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन द्वारा हासिल इस पड़ाव को 'सबका प्रयास' का अनुपम उदाहरण बताते हुए सराहा
गोवा ने देश का पहला 'हर घर जल सर्टिफ़ाइड' राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है, जिसका तात्पर्य है कि उसके हर गाँव के हर घर में नल से शुद्ध पेयजल की उपयुक्त मात्रा में नियमित रूप से आपूर्ति हो रही है, और इस तथ्य को उसके सभी गांवों ने अपनी-अपनी ग्राम सभा में विचार-विमर्श के बाद सत्यापित और प्रमाणित किया है Posted on 16 Sep, 2023 12:58 PM

आज़ादी का अमृत महोत्सव' की अनुपम छटा में एक और प्रकाशपुंज जोड़ते हुए देश ने 19 अगस्त, 2022 को 10 करोड़ से ज़्यादा (52.50%) ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा कर एक और पड़ाव पार कर लिया। देशभर में फैले इन ग्रामीण घरों के लोग अब अपने ही घर में बैठे-बैठे शुद्ध पेयजल की नियमित सप्लाई का भरपूर आनंद उठा रहे हैं, और इस सुविधा के हो जाने से अब वे भी शहरी लोगों की तरह बेहतर और सुखमय जीवन की कल्पन

10 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा
जेजेएम कर रहा है WASH क्षेत्र में प्रगति के लिए दुनिया का मार्गदर्शन
इस कार्ययोजना के तहत भारत और डेनमार्क, नीति आयोजना, विनियमन और कार्यान्वयन के साथ-साथ प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास तथा कौशल के क्षेत्र में मिलकर समाधान की खोज करेंगे। इस कार्य योजना को लागू करने और नियमित आधार पर प्रगति की समीक्षा करने के लिए एनजेजेएम, डीईपीए और भारत में डेनमार्क के दूतावास के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों के साथ संचालन समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा, डेनिश सरकार, डीडीडब्ल्यूएस और डीओडब्ल्यूआर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी प्रस्ताव किया गया है। Posted on 16 Sep, 2023 12:40 PM

पीने के पानी को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के एक भाग के रूप में एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। समुदाय के लिए आसानी से उपलब्ध पीने योग्य पेयजल जन स्वास्थ्य को बनाए रखता है और उसमें सुधार लाता है। पानी के संग्रह की कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं और लोगों.

जेजेएम कर रहा है WASH क्षेत्र में प्रगति के लिए दुनिया का मार्गदर्शन
पर्यावरण चेतना के बुनियादी आधार
विश्व में बढ़ते बंजर इलाके फैलते रेगिस्तान, कटते जंगल, लुप्त हो पेड़-पौधे और जीव जंतु, प्रदूषणों दूषित पानी, कस्बों एवं शहरों पर गहरा गंदी हवा, हर वर्ष बढ़ते बाढ़ एवं सूखे प्रकोप इस बात के साक्षी हैं कि हम अपनी धरती, अपने पर्यावरण की ठीक देखभाल नहीं की और इससे होने वा संकटों का प्रभाव बिना किसी भेदभाव समस्त विश्व, वनस्पति जगत और प्राण मात्र पर समान रूप से पड़ा है। Posted on 15 Sep, 2023 04:54 PM

आजकल विश्व भर में पर्यावरण और इसके संतुलन की बहुत चर्चा है। पर्यावरण क्या है, इसके संतुलन का क्या अर्थ है, यह संतुलन क्यों नहीं है, ये प्रश्न समय-समय पर उठते रहे हैं, लेकिन आज इन प्रश्नों का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि वर्तमान में पर्यावरण विघटन की समस्याओं ने ऐसा विकराल रुप धारण कर लिया है कि पृथ्वी पर प्राणी मात्र के अस्तित्व को लेकर भय मिश्रित आशंकाएं पैदा होने लगी हैं।

पर्यावरण चेतना के बुनियादी आधार
भारत में 2080 तक भूजल में तीन गुना कमी का खतरा
भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में पहले ही कहीं ज्यादा तेजी से अपने भूजल दोहन कर रहा है। आंकड़ों से पता चला है कि भारत में हर साल 230 क्यूबिक किलोमीटर भूजल का उपयोग किया जा रहा है, जोकि भूजल के वैश्विक उपयोग का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। देश में इसकी सबसे ज्यादा खपत कृषि के लिए की जा रही है। देश में गेहूं, चावल और मक्का जैसी प्रमुख फसलों की सिंचाई के लिए भारत बड़े पैमाने पर भूजल पर निर्भर है। Posted on 15 Sep, 2023 03:31 PM

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई वर्ल्ड वाटर  डेवलेपमेंट रिपोर्ट 2023 में जारी आंकड़ो से पता चला है कि 2050 तक शहरों में पानी की मांग  80 फीसद तक बढ़ जाएगी। वहीं यदि मौजूदा अकड़ों पर गौर करें तो दुनिया भर में शहरों में रहने वाले करीब 100 करोड़ लोग सकट से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इससे भारत सबसे ज्यादा  प्रभावित होगा जहां पानी को लेकर होने वाली खींचातानी कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले लेगी।  

भारत में 2080 तक भूजल में तीन गुना कमी का खतरा
भारत के वनों और शहरी हरियाली के संरक्षण द्वारा ही पर्यावरण बचाना संभव
भारतीय शहरों में पर्यावरण के प्रति लापरवाही से बचने और देश के जंगलों और शहरी हरियाली की रक्षा करने की दिशा में सशक्त नीति और अनुसंधान की अनिवार्यता पर बल दिया है। यह एक बेहद खतरनाक संकेत है कि हमारे देश में सन 1901-2018 की अवधि में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण औसत तापमान पहले ही लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है और अनुमान है कि यदि हमने माकूल कदम नहीं उठाये तो 2100 के अंत तक यह बढ़ोतरी लगभग 4.4 डिग्री सेल्सियस हो जायेगी। Posted on 15 Sep, 2023 02:36 PM

आज जरूरत इस बात की है कि हम जलवायु परिवर्तन संकट निदान की  दिशा में "थिंक ग्लोबली, एक्ट लोकली की नीति पर चलें" । वैश्विक अनुबंध आमतौर पर विकसित देशों के हितों के अनुरूप होती हैं लेकिन हमारी रिपोर्ट हमारे स्थानीय खतरों और निदान पर विमर्श करती है।

भारत के वनों और शहरी हरियाली के संरक्षण द्वारा ही पर्यावरण बचाना संभव
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