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उत्तरकाशी की लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना रद्द
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) के गंगा आंदोलन का उद्देश्य गंगा नदी को बांधने से बचाना और उसकी अविरल प्रवाह सुनिश्चित करना था। इस आंदोलन को संतों, विभिन्न सामाजिक संगठनों और पर्यावरणविदों ने लंबे समय से नदी की रक्षा के लिए शुरू किया था। इसी तरह, पर्यावरणविद प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल ने हरिद्वार के मातृ सदन में भागीरथी नदी पर बन रही लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना के विरोध में अनशन किया था। इस आंदोलन को ऐतिहासिक सफलता मिली, जब केंद्र सरकार ने गोमुख से 50 किलोमीटर दूर लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना को रद्द करने का फैसला लिया था। Posted on 03 Nov, 2023 12:47 PM

(गंगा के संदर्भ में जून, 2008 में कानपुर आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर गरूदास अग्रवाल ने उत्तरकाशी और दिल्ली में आमरण अनशन किया था। उनके आंदोलन के चलते उत्तराखण्ड सरकार ने जून, 2008 में मनेरी भाली द्वितीय चरण एवं पाला मनेरी परियोजना को निलंबित करने के आदेश जारी किए। जनवरी, 2009 में प्रोफेसर अग्रवाल ने दुबारा अनशन पर बैठने व हिंदू संतों व संगठनों के आंदोलित हो जाने के कारण केंद्र सरकार ने लोहारीनाग प

उत्तरकाशी की लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना रद्द,PC-Wikipedia
चिपको आन्दोलन के पचास साल : एक थीं गौरा देवी (भाग 2)
गौरा देवी चिपको आन्दोलन की सर्वाधिक सुपरिचित महिला रहीं। इस पर भी उनकी पारिवारिक या गाँव की दिक्कतें घटी नहीं। चिपको को महिलाओं का आन्दोलन बताया गया पर यह केवल महिलाओं का कितना था ? अपनी ही संपदा से वंचित लोगों ने अपना प्राकृतिक अधिकार पाने के लिए चिपको आन्दोलन शुरू किया था। Posted on 02 Nov, 2023 05:06 PM

(पिछले भागों में आपने पढ़ा कि किस प्रकार शेखर पाठक जी अपने साथियों के साथ गौरा देवी से मिले और कैसे हुई चिपको की शुरुआत। आज जानिये चिपको आंदोलन के बाद के परिदृश्य के बारे में।)

अस्कोट-आराकोट अभियान 1984,फोटो साभार:-शेखर पाठक
चिपको आन्दोलन के पचास साल : एक थीं गौरा देवी (भाग 1)
अगली सुबह रैणी के पुरुष ही नहीं, गोविन्द सिंह रावत, चंडी प्रसाद भट्ट और हयात सिंह भी आ गये। रैणी की महिलाओं का मायका बच गया और प्रतिरोध की सौम्यता और गरिमा भी बनी रही। 27 मार्च 1974 को रैणी में सभा हुई, फिर 31 मार्च को इस बीच बारी-बारी से जंगल की निगरानी की गई। Posted on 02 Nov, 2023 03:35 PM

जनवरी 1974 में जब अस्कोट आराकोट अभियान की रूपरेखा तैयार हुई थी, तो हमारे मन में सबसे ज्यादा कौतूहल चिपको आन्दोलन और उसके कार्यकर्ताओं के बारे में जानने का था। 1973 के मध्य से जब अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय स्थापना, पानी के संकट तथा जागेश्वर मूर्ति चोरी सम्बन्धी आन्दोलन चल रहे थे, गोपेश्वर, मंडल और फाटा की दिल्ली-लखनऊ के अखबारों के जरिये पहुँचने वाली खबरें छात्र युवाओं को आन्दोलित करती थीं लेकिन

गौरा देवी अस्कोट अभियन 84 के दौरान अपने घर में,फोटो साभार- शेखर पाठक
जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा का सवाल
विकासशील देशों को समुचित अनुकूलन प्रणाली विकसित कर जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी कृषि की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने की नीतियां एवं योजनाएं बनानी प्रांरभ कर देनी चाहिए। मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के विस्तार के कारण महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक कृषि संसाधनों; जल, भूमि, मृदा, वन एवं जैव विविधता का ह्रास तथा तीव्र अवनयन हुआ है। फलस्वरूप विगत तीन दशकों में कृषि उत्पादकता में भारी गिरावट आयी है। Posted on 01 Nov, 2023 12:21 PM

विगत वर्षों में विश्व के विकसित एवं विकासशील देशों में औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कृषि भूमि का विस्तार हुआ है। साथ ही जहां एक ओर शहरीकरण तथा यातायात के साधनों में वृद्धि के कारण सकल कृषि क्षेत्र में कमी आयी है, वहीं दूसरी ओर विकासोन्मुख देशों में अब कृषि योग्य भूमि के विस्तार की संभावनाएं बहुत ही सीमित हो गयी हैं। तीव्र गति से आगे बढ़ती हुई मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के

जलवायु परिवर्तन : संकट में कृषि, संकट में जीवन,Pc-सर्वोदय जगत
पहाड़ विध्वंस और गंगाविलास
आज उत्तराखण्ड और केन्द्र, दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। भाजपा आज भी खुद को हिंदू संस्कृति का पोषक बताते नहीं थकती है। आज कोई हिंदू संगठन नहीं कह रहा है कि जोशीमठ का धारी देवी मन्दिर हो या गंगा; आस्थावानों के लिए दोनों तीर्थ हैं। गंगा स्नान, संयम, शुद्धि और मुक्ति का पथ है। गंगा विलास काम, भोग और धनलिप्सा का यात्री बनाने आया है। गंगा हमारी पूज्या हैं। हम पहाड़ों के विध्वंस और गंगा पर भोग-विलास की इजाज़त नहीं दे सकते। यह हमारी आस्था के साथ कुठाराघात है।
Posted on 01 Nov, 2023 11:56 AM

16 जून, 2013 को केदारनाथ जल प्रलय आई। उससे पहले शिलारूपिणी परमपूज्या धारी देवी को विस्थापित किया गया। ऐसा श्रीनगर, गढ़वाल की एक विद्युत परियोजना को चलाते रहने की जिद्द के कारण किया गया था। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने इसे धारी देवी का तिरस्कार माना था। इस तिरस्कार को केदारनाथ प्रलय का कारण बताते हुए उन्होंने संसद में स्कन्द्पुरण के एक श्लोक का उल्लेख किया था:

गंगाविलास क्रूज,Pc-सर्वोदय जगत
ग्लोबल वार्मिंग ने पैदा किया जीवन पर संकट
मानव जीवन का अस्तित्व प्रकृति के संतुलन पर आधारित है. विकास की अंधी दौड़ में मानव समाज प्रकृति को व्यापक तौर पर क्षतिग्रस्त कर चुका है. वर्तमान वस्तुस्थिति यह है कि अपनी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है. भौतिक विकास के जिस आयाम तक हम अपनी प्रकृति को खींच लाये हैं, वहां से मानव जाति का अस्तित्व अंधकारपूर्ण दिख रहा है.
Posted on 01 Nov, 2023 11:24 AM

इटली की टाइबर नदी पर दो हजार साल पहले रोमन सम्राट नीरो द्वारा बनवाया गया पुल, जिसके अवशेष पानी में डूबे रहते हैं, इस बार नदी के सूखने के कारण देखे जा सकते हैं. यह सूचना इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए उत्सुकतापूर्ण हो सकती है, किंतु पर्यावरण की दृष्टि से चिंताजनक है. यह अपवाद नहीं है. ‘पो’ (इटली की गंगा),आरनो, एनीऐन आदि नदियां भी सूखे का सामना कर रही हैं.

ग्लोबल वार्मिंग ने पैदा किया जीवन पर संकट
विष्णुगाड पीपलकोटी पनबिजली परियोजना से प्रभावित हाट गांव और वर्ल्ड बैंक
ग्रामीणजनों को विश्वबैंक से न्याय की उम्मीद है। हाट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के कारण हाट गांव में स्थित पुरातन लक्ष्मी नारायण मंदिर बर्बाद हो जाएगा, जो कि एक ‘फिजिकल कल्चरल रिसोर्स’ है, और जिसपर ग्रामीणों की आजीविका टिकी हुई है। Posted on 31 Oct, 2023 05:01 PM

वर्ल्ड बैंक में शिकायत

उत्तराखंड के चमोली में भारत से जुड़ी एक ‘विष्णुगाड पीपलकोटी हाइड्रो पावर परियोजना’ मामले में, वर्ल्ड बैंक के इंस्पेक्शन पैनल ने 83 समुदायों की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, उसे दर्ज कर लिया है। विश्वबैंक की टीम दौरा भी कर चुकी है। ग्रामीणजनों को विश्वबैंक से न्याय की उम्मीद है। हाट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के कारण हाट गां

विष्णुगाड पीपलकोटी पनबिजली परियोजना, Pc-IWP
नौले-धारों और नदियों को 'सारा' से मिलेगा नया जीवन
वर्षा जल संरक्षण के लिए राज्य में सभी नौले, धारे और नदियों का मानचित्र बनाकर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। नदियों की शुरुआत से अंत तक के पानी को संग्रहित करने के उपायों में हजारों चेकडैम और जल संरक्षण के पौधे शामिल होंगे Posted on 31 Oct, 2023 02:49 PM

केंद्र सरकार ने ‘कैच द रेन कार्यक्रम’ के जरिए जलस्रोतों को सुधारने का प्रयास किया है। इसी प्रकार, उत्तराखंड में भी धामी सरकार वर्षा के पानी को संचय करके नौले-धारे और नदियों को संरक्षित और संवारने का प्रोजेक्ट आरंभ करने की योजना बना रही है। सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में, स्प्रिंग एंड रिवर रिज्यूविनेशन अथॉरिटी (सारा) की स्थापना को मंजूरी मिली, जो जलागम निदेशालय के तहत सोसायटी के रूप में पंजीकृ

नौले-धारे और नदियाँ
जलवायु परिवर्तन, गांधी और वैश्विक परिदृश्य
लालच, उपभोग और शोषण पर अंकुश होना चाहिए। विघटनरहित और टिकाऊ विकास का केंद्र बिंदु समाज की मौलिक जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए। ऐसा सतत विकास के लिए गांधी जी के विचारों को पुन: समझना और लागू करना ही होगा। Posted on 31 Oct, 2023 12:48 PM

गांधीजी ने कहा था कि धरती सारे मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, लेकिन किसी एक का भी लालच पूरा करने में वह असमर्थ है। जलवायु परिवर्तन या जलवायु विघटन के मूल में गांधी जी का यही विचार निहित है।

जलवायु परिवर्तन, गांधी और वैश्विक परिदृश्य
सुन्दरलाल बहुगुणा हिमालय-सा व्यक्तित्व था उनका
हिमालय में सक्रिय रहीं गांधीजी की शिष्या सरला बहन (जो अपने को विश्व नागरिक मानती थीं) की शिष्या विमला बहन के सुंदरलाल बहुगुणा के जीवन में आने के बाद इनके सोच- विचार और जीवन शैली में और भी प्रखरता आयी। विमला बहन ने जिस निष्ठा, भावना, समर्पण से जीवन भर साथ निभाया और उनका ध्यान रखा, ऐसे कम ही उदाहरण मिलते हैं। बहुगुणा जी के काम में विमला बहन का विशेष योगदान रहा Posted on 31 Oct, 2023 12:33 PM

पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के अनेक प्रेरणास्रोत रहे। उनके वनाधिकारी पिता अंबाप्रसाद बहुगुणा का देहावसान उनके बचपन में ही हो गया था। गंगा के प्रति अगाध श्रद्धा उन्हें पिता से विरासत में मिली। मां पूर्णा देवी ने कड़ी मेहनत करके परिवार का पालन-पोषण किया। हिम्मत रखने, कष्टमय जीवन से न घबराने और परिश्रम करने का संस्कार मां से मिला। गांधीवादी और स्वतंत्रता सेनानी देव सुमन (सुमन जी के नाम से प्रसिद्

सुन्दरलाल बहुगुणा,Pc-IwpFlicker
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