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समाचार और आलेख
जल संचयन के रंग-ढंग (Types Of Water harvesting in Hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 12:39 PMजैसे कि पहले बताया गया है कि जितनी वर्षा होती है उसका एक भाग सतही प्रवाह के रूप में जलग्रहण क्षेत्र से बाहर निकल कर नालों और नदियों के माध्यम से बहते हुए धीरे-धीरे अंततः समुद्र में मिल जाता है। एक भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वातावरण में चला जाता है और बाकी मृदा में रिसता हुआ भूजल में मिल जाता है। वर्षा जल सतही और भूजल के माध्यम से उपयोग किया जाता है। जल की प्रकृति उच्च ढलान से निम्न ढलान की ओर
जल संचयन क्या है(What is water harvesting In hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 11:35 AMपरिचय
पृथ्वी का दो तिहाई भाग जल और एक तिहाई भाग थल है। यद्यपि जल इस ग्रह का सर्वाधिक उपलब्ध संसाधन हैं परन्तु मानव उपयोग के लिये यह तीव्र गति से दुर्लभ होता जा रहा है। इस अपार जल राशि का लगभग 97.5% भाग खारा है और 2.5% भाग मीठा है। इस मीठे जल का भी 75% भाग हिमखण्डों के रूप में, 24.5% भूजल, 0.03% नदियों, 0.34% झीलों एवं 0.06% वायुमण्डल में विद्यमान है। ज्यों-ज्यो
ताजी हवा उगाने के नुस्खे बताती किताब
Posted on 18 Nov, 2023 11:29 AMजब दिल्ली सहित देश का बड़ा हिस्सा वायु प्रदूषण से जूझ रहा है तब एक किताब इस समस्या के समाधान की बात करने के लिए आई है। गुरुवार को वायु प्रदूषण से जूझने के लिए वाणी पृथ्वी कड़ी के तहत वाणी प्रकाशन की पुस्तक 'ताजी हवा कैसे उगाएं' का लोकार्पण हुआ। लेखक, कमल मीतल और वरुण अग्रवाल मिलकर 'ताजी हवा कैसे उगाएं' में पर्यावरण समस्याओं और वायु गुणवत्ता के प्रति सहज, सरल भाषा में संवाद किया है।
सुरंगों में हिमालय का भविष्य
Posted on 17 Nov, 2023 01:25 PMऑल वेदर रोड की एक सुरंग धंसी
ऑल वेदर रोड के तहत धरासू-यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से डंडालगांव के बीच साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माणाधीन है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर भूस्खलन हुआ है। इस सुरंग का एक हिस्सा 150 मीटर खंड ढह गया है। यह चारधाम परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। इसके बन जाने के बाद
मध्य गंगा घाटी में घटता भू-जल विकास स्तर : समस्याएं एवं समाधान
Posted on 17 Nov, 2023 12:53 PMसारांश
पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भूगर्भिक स्तर की सभी रिक्तियों में विद्यमान जल को भू-जल कहा जाता है। अपने देश में लगभग 300 लाख हेक्टोमीटर भू-जल उपलब्ध है, जिसका लगभग 80 प्रतिशत हम उपयोग कर चुके हैं। यदि भू-जल विकास स्तर की दृष्टि से देखा जाए तो अपना देश घूमिल सम्भावना क्षेत्र से गुजर रहा है, जो शीघ्र ही सम्भावनाविहीन क्षेत्र के अन्तर्गत आ जायेगा। यही स्थिति
नदियों को जोड़ने की खामख्याली
Posted on 16 Nov, 2023 04:59 PMप्रधानमंत्री तथा उनकी इस घोषणा पर मेजें थपथपाने वाले सांसद शायद सोचते हैं कि जब सड़कों का नेटवर्क बन सकता है, तो नदियों का क्यों नहीं? इस सोच में देश के बुनियादी संसाधनों मिट्टियों, नदियों, सागर संगमों, पहाड़ों और जंगलों के प्रति और जलवायु की तमाम विविधताओं के प्रति नासमझी ही झलकती है।
फ्लोराइड : एक उभरती समस्या
Posted on 16 Nov, 2023 02:53 PMसार -
डेंटल फ्लोरोसिस, जो फीके काले धब्बेदार या चाकलेट-सफेद दांतों की विशेषता है.
जानें जल संरक्षण, संवर्धन व जलवायु परिवर्तन का सम्बन्ध
Posted on 16 Nov, 2023 12:33 PMपूरे विश्व में जल संरक्षण व संवर्धन की मूल समस्या का समाधान तभी हो पायेगा जब हम जल के ह्रास व पेय जल की कमी की समस्या की और विस्तृत व सम्पूर्ण पहलूओं को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाएं क्योंकि स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण व संवर्धन उतना ही आवश्यक है जितना जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ऋतु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को हल करने के प्रयास।
जलाभाव की त्रासदी
Posted on 16 Nov, 2023 11:29 AMजलाभाव की समस्या मात्र भारत की ही नहीं अपितु विश्व की सबसे जवलंत समस्या है जब 21वीं सदी के प्रारंभ में ही इस समस्या ने इतना विकराल रूप 'धारण कर लिया है तो आगे आने वाले वर्षों में इसका रूप कितना भयानक होगा यह सोचकर भी दिल दहल जाता है। जन जीवन का पर्याय है। जब पृथ्वी पर पीने योग्य जल ही नहीं होगा तो मानव जीवन की कल्पना करना ही व्यथ है।