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जल ईश्वर का अमूल्य उपहार है
जानिए जल क्या है जल के प्रकार जल की अवस्थाएं के बारे में
Posted on 27 Mar, 2024 12:37 PM

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जल ईश्वर का अमूल्य उपहार है
जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
जानिए चिपको आन्दोलन में पदयात्रा निकालने का क्या कारण था Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PM

मण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात

जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
खाद्य विज्ञान की समझ से ही सुखद मानव जीवन की रचना संभव है
जानिए हरयाणा के शीशपाल हरडू जी के सहयोग और प्रयोग से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिला और उनकी मेहनत रंग लायी Posted on 26 Mar, 2024 12:43 PM

शीशपाल हरडू जी मेरे मित्र हैं जो हरियाणा के सिरसा जिले के ऐलनाबाद ब्लाक के गाँव कुमथल के रहने वाले हैं। कोआपरेटिव विषय में पी.एच.डी.

गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का होगा कायाकल्प
जानिए गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का कायाकल्प के बारे में Posted on 26 Mar, 2024 12:39 PM

गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का कायाकल्प होगा। छह नदियों के बेसिन प्रबंधन की जिम्मेदारी 12 तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को सौपी गई है। इस संबंध में आज एक समारोह में अनुबंध पत्र हस्तांतरित किए गए।

गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का होगा कायाकल्प
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
जानिए क्यों चिपको आन्दोलन महिलाओं के एक बड़ी चुनौती बन गया Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AM

जनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.

जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
हिमालय का नूतन अभिषेक करें
जाने हिमालय जो कभी तपस्या की भूमि थी, अब वह भोग भूमि और सीमा के खतरे की भूमि कैसे बन गई है। Posted on 23 Mar, 2024 05:22 PM

मैं स्वः पं. गोविन्द वल्लभ जी पंत के प्रति, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। हिमालय में जन्म लेकर उन्होंने देश के लिये जो सेवाएँ की हैं, उससे हिमालय का गौरव बढ़ा है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में आत्म-विश्वास बढ़ा है।

हिमालय का नूतन अभिषेक करें
आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
जाने सरकारो द्वारा पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद क्यों कागजों पर उग रहे हैं असंख्य पेड़ Posted on 23 Mar, 2024 05:04 PM

सरकार ने देश भर में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए और करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। इससे महज कागज पर असंख्य पेड़ जरूर उग गए किन्तु असलियत में ये आज सीमित संख्या में ही नजर आते हैं। जहां जरूरत थी-चारे, फल, लकड़ी या खाद के लिए काम आने वाले पौधे की, वहां लुगदी और पल्प उद्योग में प्रयुक्त होने वाले पेड़ लगाए गए। वृक्षारोपण में न तो भू-क्षरण पर जोर दिया गया और न ही जल-संरक्षण पर।

आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
जानिए पर्यावरण संरक्षण और विकास एक साथ कैसे चल सकते है। Posted on 23 Mar, 2024 02:19 PM

बिगड़ते पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने वाले आन्दोलनों को उठे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर यह काफी आगे बढ़े है। लेकिन इसके साथ ही विकास बनाम पर्यावरण सुरक्षा का विवाद भी उठ खड़ा हो गया है। लेखक का मानना है कि यह व्यर्थ का विवाद है इसे वही लोग चला रहे हैं जो विकास की उसी धारा के पक्षधर हैं जिसने पर्यावरण का विनाश किया है।

पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
न बाढ़ रहे न सूखा
जानिए बाढ़ और सूखा दोनों का मूल कारण क्या है और कैसे इसे कम कर सकते हैं Posted on 23 Mar, 2024 01:08 PM

बाढ़ और सूखे की बाहरी पहचान उतनी ही अलग है जितनी पर्वत और खाई की-एक ओर वेग से बहते पानी की अपार लहरें हैं तो दूसरी ओर बूंद-बूंद पानी को तरसते सूखी, प्यासी धरती। इसके बावजूद प्रायः यह देखा गया है कि बाढ़ और सूखे दोनों के मूल में एक ही कारण है और वह है उचित जल-प्रबंध का अभाव। जल-संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने के कारण जो स्थिति उत्पन्न होती है, उसमें हमें आज बाढ़ झेलनी पड़ती है तो कल सूखे का सामन

न बाढ़ रहे न सूखा
बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
जानिए उत्तराखण्ड के 84 प्रतिशत सुरक्षित वन क्षेत्र वाले उत्तरकाशी जिले में वन क्यों असुरक्षित होते जा रहे है Posted on 23 Mar, 2024 12:40 PM

उत्तरकाशी जिले में 84 प्रतिशत क्षेत्र सुरक्षित वन का है और इस जिले में तीन वन प्रभाग है। उत्तर प्रदेश वन निगम से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के अनुसार टौंस वन प्रभाग से सन् 1985-86 में व्यापार के लिए 37,844,739 घन मीटर लकड़ी निकाली गई लेकिन गांव वालों की लघु मांग को दी गई 1004.44184 घन मीटर लकड़ी ही। टिहरी वन प्रभाग में जहां कार्य योजना के अनुसार गांव के लोगों को 10,088 घन मीटर लकड़ी निःशुल्क दी जान

बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
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