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दैनिक भास्कर की तिलक होली
Posted on 14 Mar, 2011 03:41 PM

पानी को देखते हुए पश्चिमी राजस्थान में वैसे ही किल्लत है। ऊपर से होली पर पानी खर्च करने से किल्

भारत में 2020 तक पानी की किल्लत :ब्लेक
Posted on 10 Mar, 2011 09:05 AM

वर्ष 2025 तक दुनिया के दो तिहाई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि वर्ष 2025 तक दुनिया के दो तिहाई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी, जबकि एशिया और खासतौर पर भारत में 2020 तक ही ऐसा होने की आशंका है। दक्षिण और मध्य क्षेत्र मामलों के सहायक विदेश मंत्री राबर्ट ब्लेक ने कहा,'विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि दुनिया के करीब दो तिहाई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी।

जल विरासत की कहानी कहते जलाशय
Posted on 02 Mar, 2011 01:13 PM

यह किसी कल्पनालोक की कथा या फिर किसी कहानी का हिस्सा नहीं, बल्कि हकीकत है। याद करें साठ-सत्तर का दशक जब जीवन की अहम जरूरत जल छोटे-छोटे गांवों, कस्बों व शहरों के तालाब, नाड़ियों, सरों व कुओं में लबालब भरा रहता था। मनुष्यों की ही नहीं, पशु-पक्षियों तक की जल जरूरतें स्थानीय स्तर पर ही पूरी हो जाया करती थीं। इसके पीछे लोगों की वह मेहनत काम कर रही होती थी, जिसके बल पर जलाशयों का निर्माण कराया गया था

सोड़ा गांवः फिर से सजने लगी चौपाल
Posted on 01 Mar, 2011 02:20 PM

भारत में लोकतंत्र का अर्थ लोक नियुक्त तंत्र बना दिया गया है, जबकि इसे लोक नियंत्रित तंत्र होना चाहिए था। संविधान द्वारा तंत्र संरक्षक की भूमिका में स्थापित है, जबकि उसे प्रबंधक की भूमिका में होना चाहिए था। ज़ाहिर है, संरक्षक लगातार शक्तिशाली होता चला गया और धीरे-धीरे समाज को ग़ुलाम समझने लगा। तंत्र आदेश देता है और लोक पालन करता है। लोक और तंत्र के बीच दूरी बढ़ती ही जा रही है। इस दूरी को कम करने

पेड़ों से बनते हैं जीवित पुल
Posted on 28 Feb, 2011 11:00 AM

पेड़ हमेशा से हमारे मित्र रहे हैं। इनका इस्तेमाल हम कई रूपों में करते हैं, लेकिन मेघालय के चेरापूंजी में पेड़ों का अनोखा प्रयोग किया जाता है। यहां पाए जाने वाले रबर ट्री की जड़ों से स्थानीय लोग नदी के ऊपर ऐसा मजबूत पुल बना देते हैं कि उस पर से एक साथ 50 लोग गुजर सकते हैं। इन्हें जीवित पुल कहते हैं।

शुद्ध पानी दे मौला!
Posted on 28 Feb, 2011 09:46 AM

पानी की शुद्धता जांचने के लिए ऐसे किट मुहैया कराये हैं जिनका केमिकल पानी में डालते ही रंग काला हो जाता है। मतलब पानी में भी कुछ काला है। इस कालेपन का थोड़ा पता अभी सोनभद्र, मिर्जापुर और बलिया सरीखे चुनिंदा जिलों में ही लग पाया है। नलों के जरिये पापी पेट में एईएस के पोषकों के अलावा आर्सेनिक और फ्लोराइड भी 5 से 30 फीसद तक जा रहा है। पैमाने पर यह मात्रा 2 फीसद तय है। फ्लोराइड के ज्यादा इस्तेमाल से कैल्शियम कम हो जाती है जिससे हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों की कार्यक्षमता घट जाती है। देश एका-एक उछल कर आर्थिक महाशक्ति बनने को बेकरार है। पर यह इतनी आसानी से कैसे सम्भव है।

दिसम्बर 2010 के दूसरे हफ्ते में बुद्ध की धरती कुशीनगर में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण की एक संगोष्ठी में स्वास्थ्य महानिदेशक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि और बाकी आला स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों के करीब 3 घंटे के तिलिस्मी कार्यक्रम में इतनी रहस्यमयी चर्चा हुई कि खजाने लुटने के डर से अंदरखाने से पत्रकारों को बेदलखल कर दिया गया। महज फोटोग्राफरों पर कृपा कर उन्हें सूटवाले नूरेचश्मों की मेज पर रखी ब्रांडेड शुद्ध पेयजल की बोतलों के साथ तस्वीरें खींचने की इजाजत दी गयी।

जल संचय पर सरकारो की संवेदनशून्यता
Posted on 23 Feb, 2011 09:41 AM

बाराबंकी। एक ओर जहां अपने व्यक्तिगत खर्चे से आई.जी.मानवाधिकार महेन्द्र मोदी जल संचय की नयी तकनीक एवं अविष्कार करने में जुटे हुए हैं तो वहीं अरबो रुपये इस मद पर लुटाने वाली केन्द्र व राज्य की सरकारें संवेदन शून्य बनी हुई है। चाहिए तो यह था कि अपने सरकारी उपक्रम के इस पुर्जे को जो अपने सीमित संसाधनो से मानवजीवन के लिए अतिउपयोगी जल की आपूर्ति तथा उसके संचय में अपना तन मन धन लगाए हुए को सम्मानित कर

नींद में डूबे हुए-से ऊंघते-अनमने जंगल
Posted on 21 Feb, 2011 10:38 AM

भवानी प्रसाद मिश्र की मशहूर कविता जब बचपन में सुना-पढ़ा करता था तो सतपुड़ा के जंगलों को लेकर तरह-तरह की बातें मन में उठती थीं।

सतपुड़ा के घने जंगल,
नींद में डूबे हुए से,
ऊंघते-अनमने जंगल।

ग्रे वॉटर रिसाइकलिंग से पूरी होगी जरूरत
Posted on 19 Feb, 2011 12:05 PM

दिल्ली में पानी की खपत बढ़ती जा रही है। साथ ही, सप्लाई और डिमांड के बीच का अंतर भी बढ़ रहा है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए जल बोर्ड लोगों को पानी की बर्बादी कम करने के लिए जागरूक भी कर रहा है, लेकिन जानकारों का मानना है कि जब तक ग्रे वॉटर का पूरा इस्तेमाल नहीं किया जाता, तब तक पानी की कमी दूर नहीं हो पाएगी। दिल्ली में हर दिन 200 मिलियन गैलन पानी की रिसाइकलिंग की जा सकती है और इससे 25 लाख लोगों

पनघटों पर पसरा सन्नाटा
Posted on 16 Feb, 2011 10:22 AM


बुजुर्गों की विरासत को भूल गये लोग जल स्तर गिरने से सूखे कुएं बावड़ी/ कचरा पात्र बने प्राचीन जल स्त्रोत
किसी दौर में एक गाना चला था -

…सुन-सुन रहट की आवाजें यूं लगे कहीं शहनाई बजे, आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे…

well
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