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पानी का संकट और सरकार की बेपरवाही
Posted on 24 May, 2011 08:43 AM

वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जल संकट दूर करने के शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए तो

water scarcity
पानी पर सबका हक है
Posted on 18 May, 2011 10:58 AM

भारत में दुनिया के कुल जल संसाधनों का 4 फीसदी जल उपलब्ध है। राष्ट्रीय एकीकृत जल संसाधन विकास आय

मुअनजोदड़ोः लघुता में भी महत्ता
Posted on 09 May, 2011 04:14 PM

वह कोई खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहरी पर पांव रख कर सहसा सहम जा सकते हैं, जैसे भीतर कोई

अस्सी चूल्हों का गणतंत्र
Posted on 09 May, 2011 02:44 PM

इस इलाके में एक शब्द प्रचलित है - ठेंगापाली। ठेंगा माने डंडा और पाली माने बारी। यानी ठेंगा क

यमुना को नदी बनाने का एक और सरकारी अभियान अगस्त से
Posted on 07 May, 2011 09:41 AM नई दिल्ली। दिल्ली का मैला ढो-ढो कर गंदे नाले में तब्दील हो चुकी यमुना नदी की सफाई का सरकारी अभियान आगामी अगस्त महीने से शुरू हो जाने की उम्मीद है। योजना आयोग ने भी नदी की दुर्दशा की ओर दिल्ली सरकार का ध्यान दिलाते हुए सफाई सुनिश्चित करने की नसीहत दी है।
बुंदेलों की सरज़मी की बदकिस्मती के लिए जिम्मेदार कौन?
Posted on 04 May, 2011 11:55 AM

यह राज्य के खस्ताहाल प्रशासन की देन नहीं तो क्या कहा जाएगा?

अब 2जी स्पेक्ट्रम की तरह बंटेगा पानी
Posted on 02 May, 2011 04:50 PM

अब पानी या तो सरकार के हाथ में है या धीरे-धीरे सरकार उसे अपनी पसंद की कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्

water
गंगा की 7,000 करोड़ से होगी सफाई
Posted on 29 Apr, 2011 11:13 AM नई दिल्ली। गंगा नदी की सफाई के लिए 7,000 करोड़ रुपए की परियोजना मंजूर की गई है। इसे राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण लागू करेगा। इसमें 5,100 करोड़ रुपए केंद्र सरकार और शेष 1,900 करोड़ रुपए उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें वहन करेंगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। विश्व बैं
पूरा जहर नहीं साफ हो पाता यमुना का
Posted on 26 Apr, 2011 09:32 AM नई दिल्ली। हरियाणा यमुना में अमोनिया के साथ एल्यूमिनियम भी भेज रहा है। यह एल्यूमिनियम पानीपत के उर्वरक व चम़ड़े की फैक्ट्री से छोड़ा जाता है। अमोनिया की मात्रा को दिल्ली जलबोर्ड साफ तो कर देता है लेकिन एल्यूमिनियम की मौजूदगी कुछ हद तक बनी रहती है और लोगों के घरों में यही पानी पहुंचता है।
सूखे बुन्देलखंड में जल संस्कृति बचाने की साझी पहल
Posted on 25 Apr, 2011 04:29 PM

केन-बेतवा गठजोड़ यहाँ के समाज के साथ धोखा है, केन-बेतवा नदियों को जोड़ने के स्थान पर समाज को केन-बेतवा से जुड़ना शुभ होता। हमारी सरकारों व नेताओं को देर में समझ आया कि नदियों को जोड़ना अप्राकृतिक है। तत्काल केन-बेतवा गठजोड़ रद्द करें, तभी हमारी पूज्य नदियाँ पवित्र होंगी।

बुन्देलखंड की अस्मिता नदियों, तालाबों से जुड़ी है। हमारे पूर्वजों ने बड़ी मेहनत व लगन के साथ यहां के नदियों, तालाबों को बचाने के लिए जीवन समर्पित किया। लेकिन आज की आधुनिक सरकारें व आधुनिक समाज ने बुन्देलखंड की नदियों को सूखाने तथा तालाबों को मिटाने की इबारत लिख दी है।
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