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मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम?
Posted on 22 Nov, 2011 09:38 AM

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।

मंदाकिनीमंदाकिनीएक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा-अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल बेहाल न होता।

उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। चित्रकूट का मनप्राण-मंदाकिनी का प्रवाह भी अब मंद पड़ गया है। मंदाकिनी नदी की 30 किमी तक सूख गई है। मंदाकिनी की आकर्षित करने वाली नीलिमा अब कालिमा

mandakini
पर्यावरण संरक्षक थे पूर्वज
Posted on 13 Nov, 2011 08:41 PM

हमने पर्यावरण के साथ खिलवाड़ तो किया ही, अपनी पुरातन पर्यावरण हितैषी परंपराओं को तिलांजलि दे दी

टिहरी बांध का जलाशय भरने से पहले पुनर्वास करो : सर्वोच्च न्यायालय
Posted on 09 Nov, 2011 10:12 AM ‘‘पुनर्वास तर्कों का विषय नहीं है। देश में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक रोटी, कपड़ा और रहने के लिये स्थान प्राप्त करने का हक है। प्रत्येक व्यक्ति के विकास से ही समाज का विकास होता है।’’ ये शब्द सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर0 एम0 लोधा ने न्यायमूर्ति एच0 एल0 गोखले के साथ, टिहरी 3 नवंबर को बांध संबंधी एन. डी. जयाल एंव शेखर सिंह बनाम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार तथा अन्य मुकदमों की सुनवाई के दौरान कहे।

इसके साथ ही बांध कंपनी टिहरी जलविद्युत निगम (टीएचडीसी) द्वारा झील का जलस्तर 830 मीटर तक किये जाने का निवेदन नामंजूर कर दिया। अदालत ने टीएचडीसी को पुनर्वास के लिये उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पुनर्वास पूरा करने के लिये मांगी गई 102.99 करोड़ की राशि देने का आदेश दिया।
18 नवम्बर को नईदिल्ली में नदी न्याय जनसुनवाई का आयोजन
Posted on 07 Nov, 2011 11:49 AM

तरुण भारत संघ के महासचिव एवं राष्ट्रीय जल बिरादरी के अध्यक्ष श्री राजेंद्र सिंह ने बताया कि इस समय सबसे भयानक भ्रष्टाचार नदियों में है। नदियों के नाम पर खरबों रुपये की नई योजनाएं बन रही है। नदियों में जल उपलब्धता के आंकड़े झूठे प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

जमनालाल बजाज पुरस्कारों की घोषणा
Posted on 07 Nov, 2011 11:25 AM

श्री अनुपम मिश्र नईदिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के पर्यावरण कक्ष के प्रभारी एवं द्वैमास

गैंडों को बसाएंगे पर हाथी कहां जाएंगे?
Posted on 04 Nov, 2011 05:01 PM

केंद्र और प्रदेश की सरकारों को चाहिए कि वह वनपशु से होने वाली फसल क्षति एवं जनहानि की मुआवजा की धनराशि इतनी पर्याप्त कर दे जिससे किसानों के आंसू भी पुंछे ही साथ में उनका दुख भी कम हो जाए। क्षेत्र की पूरी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अगर सार्थक और कारगर प्रयास समय रहते नहीं गये तो भविष्य में जो भी परिणाम सामने आएंगे उसमें वनजीवों तथा मानव को नुकसान ही उठाना पड़ेगा। जिसमें सर्वाधिक क्षति वन्यप्राणियों के हिस्से में आएगी।

उत्तर प्रदेश के एकमात्र दुधवा नेशनल पार्क के गैंडा परिवार पर मंडरा रहे आनुवांशिक प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से आसाम से जल्दी ही एक नर गैंडा दुधवा लाया जाएगा। नए गैंडा का परिवार बसाने के लिए गैंडा पुनर्वास परियोजना का क्षेत्रफल भी बढ़ाने की योजना है। इसके अंतर्गत सैकड़ों एकड़ में फैले प्राकृतिक भादीताल के वनक्षेत्र को ऊर्जाबाड़ से घेरकर संरक्षित किया जाएगा। दुधवा के तीस सदस्यीय गैंडा परिवार के लिए आशियाने का विस्तार भले ही ऊपर से ठीक-ठाक लग रहा हो लेकिन भादीताल इलाका को अपना पंसदीदा शरणगाह बनाकर रहने वाले लगभग चार दर्जन हाथी क्या ऊर्जा बाड़ के भीतर रह पाएंगे? यह स्वयं में विचारणीय प्रश्न है। यद्यपि गैंडा एवं हाथी एक साथ रह सकते हैं यह भी सर्वविदित है लेकिन इनके बीच होने वाले संघर्ष को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन सभी परिस्थितियों पर अध्ययन और विचार विमर्श के बाद ऐसी दूरगामी परियोजना पर कार्य किया जाना हितकर होगा जिसमें दोंनों प्रजाति के वनपशु सुरक्षित रह सकें।

इक्कीसवीं सदी में जल की बढ़ती महत्ता
Posted on 04 Nov, 2011 10:11 AM

हमारे ग्रह पर मौजूद ज्यादातर शुद्ध जल ध्रुवीय हिम प्रदेशों में जमी हुई अवस्था में है या फिर जमीन की अथाह गहराई मे मौजूद भूमिगत झीलों में जमा है, जहां तक पहुंचना संभव नहीं है। मात्र एक फीसदी शुद्ध जल लोगों को पीने व इस्तेमाल करने के लिए उपलब्ध है। पृथ्वी के ज्यादातर हिस्सों में लोग शुद्ध जल के लिए झीलों, नदियों, जलाशयों और भूमिगत जल स्रोतों पर निर्भर रहते हैं, जिनमें बारिश या हिमपात के जरिए पानी पहुंचता रहता है।

जैसा बीसवीं सदी में तेल को लेकर रहा, उसी तरह अब जल भी ऐसी अनिवार्य सामग्री हो सकती है, जिसके आधार पर इक्कीसवीं सदी करवट लेगी। हालांकि मैं कोई भविष्य वक्ता नहीं हूं जो यह बता सके कि अगली जंग पानी को लेकर होगी या नहीं, लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि जो लोग किसी भी रूप में जल के कारोबार से जुड़ते हैं, उनकी अगले दस साल में चांदी हो सकती है। धरती पर लोगों की आबादी सात अरब तक पहुंचने, लगातार होते शहरीकरण व तीव्र विकास के साथ पानी की मांग में बेतहाशा बढ़ोतरी होने वाली है। वॉशिंगटन स्थित एक पर्यावरण थिंक टैंक निकाय वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट से जुड़ी क्रिस्टी जेनकिंसन कहती हैं कि पिछली सदी में जल का इस्तेमाल जनसंख्या वृद्धि की तुलना में दोगुनी दर से बढ़ा है।

खण्डवा (मध्यप्रदेश) में निजीकृत जलप्रदाय परियोजना का अध्ययन
Posted on 03 Nov, 2011 09:35 AM छोटे और मझोले आकार के शहरों की बुनियादी ढाँचा विकास परियोजना (यूआईडीएसएसएमटी) के तहत मध्यप्रदेश के कस्बे खण्डवा में जलप्रदाय आवर्धन हेतु निजी कंपनी से अनुबंध किया गया है। यह प्रारंभिक नोट इसी शहर के केस अध्ययन पर आधारित है। इस अनुबंध के तहत शहर की जलप्रदाय योजना एक निजी कंपनी विश्वा इंफ्रास्ट्राक्चर्स एण्ड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दी गई है।
खण्डवा जिले का मैप
अनुपम जी को जमनालाल बजाज पुरस्कार
Posted on 29 Oct, 2011 12:37 PM

पानी और पर्यावरण पर काम करने वाले मशहूर पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र को साल 2011 के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार दिया गया है। उनको यह पुरस्कार आगामी 7 नवंबर को मुंबई में दिया जाएगा। अनुपम मिश्र को यह पुरस्कार ग्रामीण विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जा रहा है। अनुपम मिश्र की पुस्तक आज भी खरे हैं तालाब ने देश में नये सिरे से तालाबों के बारे में जागरुकता पैदा की है।

जमनालाल बजाज पुरस्कार चार श्रेणियों में दिया जाता है जिसमें ग्राम विकास में तकनीकि का योगदान, ग्राम विकास में अभूतपूर्व योगदान, महिला और बाल विकास के क्षेत्र में किया जा रहा काम और विश्व पटल पर गांधी विचार के आधार पर किये जा रहे काम को हर साल यह पुरस्कार दिया जाता है।

अनुपम मिश्र
सुपर बग मौजूद है, लेकिन खतरे नहीं
Posted on 11 Oct, 2011 11:28 PM

दिल्ली सरकार ने मानी बात, पर कहा खतरे जैसी स्थिति नहीं

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