दिल्ली सरकार ने मानी बात, पर कहा खतरे जैसी स्थिति नहीं
स्वास्थ्य मंत्री डा. वालिया ने एंटीबॉयटिक के तर्कसंगत इस्तेमाल की जरूरत पर बल दिया और कहा कि तीसरी व चौथी पीढ़ी के एंटीबॉयटिक का इस्तेमाल अत्यंत सीमित होना चाहिए। इसके अलावा केन्द्र ने एंटीबॉयटिक को लेकर एक राष्ट्रीय नीति भी तैयार की है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने इस बारे में कई अनुसंधान की अनुमति दी है।
दिल्ली सरकार ने स्वीकार किया है कि राजधानी में सुपरबग एनडीएम-1 मौजूद है लेकिन यह भी कहा कि इसकी मौजूदगी से किसी खतरे जैसी कोई स्थिति नहीं है। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि राजधानी में यह खतरनाक सुपरबग मौजूद है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल महीने में लेंसर्ट ने दिल्ली के पानी में इस वायरस की मौजूदगी की बात कही थी। इसके बारे में कहा जाता है कि यह ऐसा वायरस है जिस पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता। इसकी मौजूदगी को लेकर पैदा हुए हालात पर विचार-विमर्श करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया ने विभिन्न विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई। इसमें मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डीन, लोकनायक अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक, सर गंगाराम अस्पताल के विशेषज्ञों का दल, एनआईसीडी की अतिरिक्त निदेशक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।बैठक में विशेषज्ञों ने कहा कि यह सही है कि जांच के दौरान राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग, चाचा नेहरू और गंगाराम जैसे अस्पतालों के आईसीयू में यह सुपरबाग पाया गया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसकी मौजूदगी बहुत ही न्यूनतम स्तर .04 प्रतिशत 0.08 प्रतिशत के बीच है और इसे चिंताजनक नहीं कहा जा सकता। यह भी कहा गया कि दिल्ली में इस वायरस की मौजूदगी कोई अचंभा वाली बात नहीं है क्योंकि विश्व भर में इसकी मौजूदगी है। दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी यूरोप के देशों समेत अधिकांश देशों में इसके होने का पता चला है। खास बात यह है कि दिल्ली के पानी और सीवर में इसका कोई संक्रमण नहीं पाया गया है।
पिछले साल एक विदेशी पत्रिका द्वारा जारी किए गए अध्ययन में दावा किया गया था कि दिल्ली के पानी में यह सुपरबग मौजूद है। बाद में दिल्ली जल बोर्ड ने दावा किया था कि उसके पानी में किसी प्रकार का कोई सुपरबग नहीं है। अब एक बार फिर से विशेषज्ञों ने जल बोर्ड के दावे की पुष्टि कर दी है। स्वास्थ्य मंत्री डा. वालिया ने एंटीबॉयटिक के तर्कसंगत इस्तेमाल की जरूरत पर बल दिया और कहा कि तीसरी व चौथी पीढ़ी के एंटीबॉयटिक का इस्तेमाल अत्यंत सीमित होना चाहिए। इसके अलावा केन्द्र ने एंटीबॉयटिक को लेकर एक राष्ट्रीय नीति भी तैयार की है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने इस बारे में कई अनुसंधान की अनुमति दी है। दिल्ली सरकार ने भी सभी अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण समितियों को सक्रिय करने के निर्देश दिए हैं।
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