समाचार और आलेख

Term Path Alias

/sub-categories/news-and-articles

कुंभ से अमृत छलकाने की तैयारी
Posted on 12 Jan, 2013 10:37 AM

इलाहाबाद में संगम पर आस्था का सैलाब उमड़ने को तैयार है। सरकार भी जी-जान से तैयारियों में जुटी है। दंडी स्वामियों के साधना-स्थल पर कार्य गतिशील है। अखाड़ों के विशालकाय प्रवेश-द्वार वाले बैनर टंग चुके हैं। बांस की सीमा-रेखा बनाकर, टिन से घेर कर तंबुओं की परिधि बनाने में संन्यासी जुटे दिखने लगे हैं। अखाड़ों की धर्मध्वजा ईशान कोण में फहरा रही हैं। कई प्रख्यात धर्माचार्यों के पंडाल और प्रवेश-द्वार चकाचौंध पैदा कर रहे हैं। लैपटॉप और मोबाइल लिए साधु अपने निर्माण कार्य की निगरानी करते तथा परंपरा और आधुनिकता की संस्कृति में रचे-बसे दिख रहे हैं। सारा वातावरण किसी विशाल यज्ञ की तैयारियों में जुटा जान पड़ता है।

भारतीय जनमानस की अंतश्चेतना में आधुनिकता के मोहपाश के बावजूद धर्म और अध्यात्म के प्रति आस्था की जड़ें कितनी मजबूत हैं, इसका साक्षात्कार रेत पर बसे आस्था के शहर से गुजरते हुए आसानी से हो सकता है। कुंभ के लिए बसाए गए इस शहर में-
‘चंवर जमुन अरु गंग तरंगा।
देखि होहिं दुख दारिद भंगा’।।


की पवित्र भावना से लोक-परलोक सुधारने के लिए जुटे श्रद्धालुओं, संतों-महात्माओं, नागाओं और धर्मभीरुओं की आस्थाएं न डगमगाएं इसलिए सरकार ने भी खासी मेहनत-मशक्कत कर रखी है। लंबी तैयारी है। लेकिन स्नान से पहले इन तैयारियों की परीक्षा संभव नहीं है।
‘‘मेवात के जोहड़’’ का डॉ. एसएन सुब्बाराव द्वारा लोकार्पण
Posted on 10 Jan, 2013 01:04 PM अलवर । जोहड़ पर लिखी गई पुस्तक ‘‘मेवात के जोहड़’’ का पिछले दिनों लोकार्पण सर्वोदय समाज के नेता डॉ. एसएन सुब्बाराव ने किया। इस अवसर पर पूरे मेवात में हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई एकता के लिए काम करने वाल डा. एस.
कुंभ में होता है आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार
Posted on 08 Jan, 2013 03:07 PM विश्व में भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां कुंभ और सिंहस्थ जैसे महापर्व मानए जाते हैं। देश के चार तीर्थ स्थलों उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयाग के तट पर ये महापर्व मनाए जाते हैं। प्रयाग में 14 जनवरी से कुंभ शुरू होगा।
पनचक्की से पूरी होंगी ऊर्जा जरूरतें
Posted on 05 Jan, 2013 11:09 AM उत्तराखंड का परंपरागत जल प्रबंधन मनुष्य की सामुदायिक क्षमता और आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण है। जल, अन्य प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और प्रबंधन को और अधिक सरलीकृत करने हेतु इसमें ग्रामीणों के सहयोग लेने की और अधिक आवश्यकता आन पड़ी है। हिमालय की कठिन परिस्थितियों में यहां के निवासियों ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की टिकऊ विधियां तो विकसित की लेकिन सरकारी हस्तक्षेप ने इन विधियों को इनसे दूर कर दिया। भारत के हिमालय क्षेत्र के गांवों में ही लगभग दो लाख घराट यानी पनचक्कियां मौजूद हैं। इसी तरह विश्वभर के पहाड़ी क्षेत्रों में बीस लाख पनचक्कियां तीसरी, चौथी सदी से लोगों की सेवा कर रही हैं। इन पनचक्कियों से गेहूं पिसाई एवं अन्य तरीके के काम लिए जाते रहे हैं। अब इन पनचक्कियों के जरिए पिसाई के अलावा ऊर्जा ज़रूरतों को भी पूरा करने का काम लिए जाने की तकनीक विकसित होने पर इनका महत्व बढ़ रहा है। इन घराटों को ग्रामीण क्षेत्र के कारखाने के रूप में भी इस्तेमाल किए जाने से कई जगह इनको समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। इन घराटों में छिटपुट तकनीकी सुधार से ही इन मिलों की क्षमता में यहां काफी हद तक वृद्धि की सकती है वहीं इससे ऊर्जा उत्पादन एवं लेथ मशीन चलाने जैसे काम लिए जा सकते हैं। इससे पिसाई के साथ-साथ अन्य अभियांत्रिक कामों को भी इन पनचक्कियों द्वारा अंजाम दिया जा सकता है।
मण्डलायुक्त के साथ जिला प्रशासन ने किया काली नदी का निरीक्षण
Posted on 03 Jan, 2013 10:59 AM संस्था ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से दिए नदी सुधार के सुझाव ,काली नदी सुधार हेतु होगा कमेटी का गठन तथा तैयार होगा विजन डॉक्यूमेंट।
प्रवासी पक्षियों ने बदनाम चंबल को बनाया खूबसूरत
Posted on 28 Dec, 2012 12:06 PM दूर देशों में बढ़ रही ठंड व बर्फबारी के कारण चंबल सेंचुरी में प्रवासी पक्षियों की आमद में वृद्धि बरकरा
बाल अधिकारों की उपेक्षा
Posted on 17 Dec, 2012 11:46 AM मध्यप्रदेश में बाल अधिकारों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है, जबकि बाल अधिकारों की उपेक्षा से पैदा होने वाली समस्याओं के कारण न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी मध्य प्रदेश की बदनामी हो रही है। मध्य प्रदेश उन राज्यों में से एक है, जहां सबसे ज्यादा बच्चों के खिलाफ हिंसा होती है, सबसे ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं, सबसे ज्यादा बच्चों की मौत होती हैं। कुपोषण, डायरिया एवं पानी के कारण होने वाली बीमारिय
सबकी राय का सम्मान और साझेदारी का ऐलान
Posted on 17 Dec, 2012 10:58 AM राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन की पर्यावरणीय प्रबंधन योजना बनाने वालों के दिमाग में एक बात तो साफ है कि जरूरत क्या है। वे अच्छी तरह जानते हैं कि वाकई होना क्या चाहिए। उन्हें यह भी मालूम है कि तकनीक, पैसा, सामाजिक सहयोग, न्यायपालिका, नगरपालिका और शासकीय तंत्र के एकजुट हुए बगैर गंगा बेसिन की पर्यावरण प्रबंधन योजना का सफल क्रियान्वयन संभव नहीं होगा। इन सभी का सहयोग चाहिए, तो योजना निर्माण के शुरुआती स्तर स
आजादी बचाओ आंदोलन का पानी के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन
Posted on 13 Dec, 2012 10:15 AM भारत में पानी के निजीकरण के लिए विश्वबैंक तथा अन्य फंडिंग एजेंसियों के दबाव में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पानी के कारोबार में मुनाफा कमाने का मौका देने के लिए बड़े पैमाने पर केंद्र और राज्य सरकारों की कोशिशें चल रही हैं। केंद्र सरकार की जल नीति-2012 इसी दिशा में पहला बड़ा कदम है। संविधान में संशोधन करके पनी के मुद्दे को राज्य सूची से निकाल कर समवर्ती सूची में डालने का इरादा है जिससे कि केंद्र सभी र
मुफ्त में मिलने वाला पानी अब बोतल में बिक रहा है
हिंदी सिनेमा में पानी
Posted on 08 Dec, 2012 12:26 PM पानी अलग-अलग रूपों में हिंदी फिल्मों का हिस्सा अपने शुरुआती दौर से ही बना रहा, कभी बरसात के रूप में, कभी नदियों के रूप में, कभी आंसुओं के रूप में तो कभी बाढ़ और सूखे की तबाही के रूप में।
×