संस्था ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से दिए नदी सुधार के सुझाव ,काली नदी सुधार हेतु होगा कमेटी का गठन तथा तैयार होगा विजन डॉक्यूमेंट।
नीर फाउंडेशन के आग्रह पर मण्डलायुक्त, मेरठ मृत्युंजय कुमार नारायण ने काली नदी का निरिक्षण किया। उनके साथ जिलाधिकारी, मेरठ, मुख्य अभियंता, मेरठ विकास प्राधिकरण, मुख्य विकास अधिकारी, नगर आयुक्त, मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग, अधीक्षण अभियंता, जल निगम, अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण, क्षेत्रीय प्रबंधक, जेएनएनयूआरएम, क्षेत्रीय अधिकारी, पर्यावरण तथा क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी साथ रहे। काली नदी का निरीक्षण करने के बाद मण्डलायुक्त कार्यालय में काली नदी संरक्षण पर आगे की रणनीतिक बैठक भी की गई।
नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी ने जानकारी दी कि मेरठ जनपद के बीच से होकर गुजरने वाली काली नदी के भयंकर प्रदूषण व उसके दुष्परिणाम सबके सामने है। इसी चिंता को लेकर संस्था ने मण्डलायुक्त महोदय से काली नदी के निरिक्षण का आग्रह किया गया था। आज उन्होंने सभी जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ काली नदी का निरिक्षण किया।
सबसे पहले सभी अधिकारियों को गढ़ रोड स्थित काली नदी पर ले जाया गया। वहां नदी के अन्दर डाले जा रहे नगर-निगम के कचरे को दिखाया गया तथा वहां स्थिति काली नदी के प्रदूषण के बारे में भी उन्होंने देखा। इसके बाद काफिला जलालपुर गांव के पीछे काली नदी पर पहुंचा। इस स्थान पर ऑडियन नाला काली नदी में आकर मिलता है। यहां पर नदी व नाले में अटी पड़ी गंदगी को देखकर मण्डलायुक्त ने अपनी नाराज़गी भी जाहिर की। यहां उन्होंने किसानों द्वारा नदी के पानी से सिंचाई के लिए लगाए गए पम्प भी देखे। इस नदी के पानी से सिंचाई करने के कारण ही यहां की सब्जियों व अन्य फ़सलों में कीटनाशकों के अंश पहुंचना प्रारम्भ हो चुके हैं।
इन दोनों स्थानों के निरिक्षण के पश्चात् सभी अधिकारी मण्डलायुक्त कार्यालय पहुंचे। यहां पर नीर फाउंडेशन द्वारा काली नदी के परिचय से लेकर वास्तविक स्थिति के संबंध में एक प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया। इसमें काली नदी के सुधार के संबंध में भी कुछ बिन्दु प्रस्तुतिकरण के माध्यम से सामने रखे गए। बिंदु निम्न हैं:-
नदी में गिरने वाले सभी प्रकार के गैर-शोधित तरल कचरे (उद्योगों का व शहरों का सीवेज) को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए।
किसी भी प्रकार का ठोस कचरा नदी में न डाला जाए।
नदी के बेसिन से कब्जा हटाया जाए।
नदी के दोनों किनारों पर ऐसे वृहद वृक्षारोपण किया जाए। यहां ऐसे पेड़ लगाए जाएं जो कि जल प्रदूषण को धीरे-धीरे कम करते हों।
एक बार पूरी नदी की सफाई कराई जाए।
इसके बाद एक से दो किलोमीटर की दूरी पर छोटे-छोटे चेक डैम बनाए जाएं।
नदी किनारे के गांवों में समय-समय पर जागरूकता कार्य किए जाएं।
हैल्थ कैंप लगाए जाएं।
दीवार लेखन किराया जाए।
नदी किनारे के गांवों में सभी तालाब साफ कराए जाएं।
नदी किनारे जिन गांवों के पानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है वहां टंकी लगाई जाए।
नदी किनारे गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
नदी किनारे के गांवों में नदी के पानी से सिंचाई न कराई जाए।
प्रस्तुतिकरण के पश्चात् मण्डलायुक्त ने सर्वप्रथम नगर आयुक्त से नदी सुधार के संबंध में जाना।
नगर आयुक्त:- काली नदी में शहर के नालों के माध्यम से डेरियों से गोबर सीधे ही बहा दिया जाता है। जिससे नाले व नदी में सिल्ट जम जाती है। वहीं इसमें सबमर्सिबल पम्प से बहुत अधिक भू-जल भी खींचा जाता है। इसके लिए उन्होंने कहा कि गोबर को नालों में न बहाकर किसी एक स्थान पर लाने की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने नालों व नदी में पॉलिथीन के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने की बात कही। नगर निगम का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 2013 तक प्रारम्भ हो जाएगा। नालों के सौन्दर्यकरण व साफ बनाए रखने के लिए 409 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग:- मेरठ की सभी डिस्टलरी जीरो डिस्चार्ज पर चल रही हैं। सभी भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। किसी भी उद्योग को नदी में अपना गंदा पानी डालने की इजाजत नहीं है।
मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग:- काली नदी की सफाई हेतु शासन से साढे पांच करोड़ का बजट पास हुआ है। यह सफाई 28 किलोमीटर की दूरी में की जाएगी, जोकि नंगली से मवाना तक होगी।
मुख्य अभियंता, मेरठ विकास प्राधिकरण:- प्राधिकरण की सभी कॉलोनियों में छोटे-छोटे एस टी पी लगाए जा रहे हैं जोकि घरेलू सीवेज के लिए हैं।
मुख्य अभियंता, जल निगम:- नदी किनारे के वे गांव जहां पर जल प्रदूषण की दिक्कत है उनमें से तीन गांवों में टंकियां लगाई जा चुकी हैं और तीन गांवों के प्रस्ताव पास हो चुके हैं।
मुख्य विकास अधिकारी:- प्रारम्भिक तौर पर छोटे-छोटे कदम नदी को साफ करने के लिए उठाए जाने चाहिए। लेकिन दूरगामी असर के लिए एक विजन डाक्यूमेंट होना बहुत जरूरी है।
जिलाधिकारी के निर्देश:-
मेरठ के सभी जल स्रोतों को देखकर तथा उनमें प्रदूषण के कारणों को जानकर एक योजना तैयार की जाएगी।
सभी डेरी संचालकों के यहां बिजली विभाग के साथ जाकर उनके द्वारा डेरी से गोबर बहाये जाने में इस्तेमाल किए जाने वाले सबमर्सिबल पम्प को बंद कराने की कार्यवाही की जाएगी।
पॉलीथीन रोकने के लिए कैम्पेन चलेगा।
नालों में पॉलीथीन व अन्य कचरा रोकने के लिए तकनीकी रूप से समर्थ जाल की व्यवस्था होगी।
मेरठ विकास प्राधिकरण अपनी नई कॉलोनियों में सबमर्सिबल पम्प पर प्रतिबंध लगाए।
नदी किनारे वृहद वृक्षारोपण किया जाएगा।
सभी नालों की सफाई वर्षा से पहले और बेहतर तरीके से कराई जाएगी।
दूरगामी परिणामों के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार करने हेतु एक कमेटी बनाई जाएगी।
जागरूकता कार्यक्रम चलेंगे।
मण्डलायुक्त:-
नालों व नदी की सफाई कराई जाए।
सफाई के साथ-साथ नदी किनारे वृक्षारोपण कराया जाए।
दूरगामी परिणामों के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जाए तथा उसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाए।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग उद्योगों व नदी जल की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मण्डलायुक्त ने आशा व्यक्त की कि आज की विजिट से नदी की बेहतरी के प्रयास प्रारम्भ हो चुके हैं। इसको और आगे बढ़ाया जाएगा।
जिलाधिकारी के निर्देश पर संस्था नदी की सफाई व बेहतरी के लिए तकनीकि सहायता हेतु आई आई टी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग की लेगी। शीघ्र ही उनकी एक विजिट जिलाधिकारी व सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ काली नदी पर कराई जाएगी। जिससे कि वे नदी की सफाई के संबंध में एक तकनीकी रिपोर्ट तैयार कर सकें।
हम इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे। इसके लिए समाज का प्रसाशन के साथ सहयोग करेंगे। इस तरह की विजिट मुजफ्फरनगर, हापुड़, बुलंदशहर व अलीगढ़ जिला प्रशासन के साथ भी की जाएगी। इस दौरान संस्था के लिटिल, मनोज कुशवाहा व श्याम आदि भी मौजूद रहे।
नीर फाउंडेशन के आग्रह पर मण्डलायुक्त, मेरठ मृत्युंजय कुमार नारायण ने काली नदी का निरिक्षण किया। उनके साथ जिलाधिकारी, मेरठ, मुख्य अभियंता, मेरठ विकास प्राधिकरण, मुख्य विकास अधिकारी, नगर आयुक्त, मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग, अधीक्षण अभियंता, जल निगम, अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण, क्षेत्रीय प्रबंधक, जेएनएनयूआरएम, क्षेत्रीय अधिकारी, पर्यावरण तथा क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी साथ रहे। काली नदी का निरीक्षण करने के बाद मण्डलायुक्त कार्यालय में काली नदी संरक्षण पर आगे की रणनीतिक बैठक भी की गई।
नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी ने जानकारी दी कि मेरठ जनपद के बीच से होकर गुजरने वाली काली नदी के भयंकर प्रदूषण व उसके दुष्परिणाम सबके सामने है। इसी चिंता को लेकर संस्था ने मण्डलायुक्त महोदय से काली नदी के निरिक्षण का आग्रह किया गया था। आज उन्होंने सभी जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ काली नदी का निरिक्षण किया।
सबसे पहले सभी अधिकारियों को गढ़ रोड स्थित काली नदी पर ले जाया गया। वहां नदी के अन्दर डाले जा रहे नगर-निगम के कचरे को दिखाया गया तथा वहां स्थिति काली नदी के प्रदूषण के बारे में भी उन्होंने देखा। इसके बाद काफिला जलालपुर गांव के पीछे काली नदी पर पहुंचा। इस स्थान पर ऑडियन नाला काली नदी में आकर मिलता है। यहां पर नदी व नाले में अटी पड़ी गंदगी को देखकर मण्डलायुक्त ने अपनी नाराज़गी भी जाहिर की। यहां उन्होंने किसानों द्वारा नदी के पानी से सिंचाई के लिए लगाए गए पम्प भी देखे। इस नदी के पानी से सिंचाई करने के कारण ही यहां की सब्जियों व अन्य फ़सलों में कीटनाशकों के अंश पहुंचना प्रारम्भ हो चुके हैं।
इन दोनों स्थानों के निरिक्षण के पश्चात् सभी अधिकारी मण्डलायुक्त कार्यालय पहुंचे। यहां पर नीर फाउंडेशन द्वारा काली नदी के परिचय से लेकर वास्तविक स्थिति के संबंध में एक प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया। इसमें काली नदी के सुधार के संबंध में भी कुछ बिन्दु प्रस्तुतिकरण के माध्यम से सामने रखे गए। बिंदु निम्न हैं:-
नदी में गिरने वाले सभी प्रकार के गैर-शोधित तरल कचरे (उद्योगों का व शहरों का सीवेज) को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए।
किसी भी प्रकार का ठोस कचरा नदी में न डाला जाए।
नदी के बेसिन से कब्जा हटाया जाए।
नदी के दोनों किनारों पर ऐसे वृहद वृक्षारोपण किया जाए। यहां ऐसे पेड़ लगाए जाएं जो कि जल प्रदूषण को धीरे-धीरे कम करते हों।
एक बार पूरी नदी की सफाई कराई जाए।
इसके बाद एक से दो किलोमीटर की दूरी पर छोटे-छोटे चेक डैम बनाए जाएं।
नदी किनारे के गांवों में समय-समय पर जागरूकता कार्य किए जाएं।
हैल्थ कैंप लगाए जाएं।
दीवार लेखन किराया जाए।
नदी किनारे के गांवों में सभी तालाब साफ कराए जाएं।
नदी किनारे जिन गांवों के पानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है वहां टंकी लगाई जाए।
नदी किनारे गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
नदी किनारे के गांवों में नदी के पानी से सिंचाई न कराई जाए।
प्रस्तुतिकरण के पश्चात् मण्डलायुक्त ने सर्वप्रथम नगर आयुक्त से नदी सुधार के संबंध में जाना।
नगर आयुक्त:- काली नदी में शहर के नालों के माध्यम से डेरियों से गोबर सीधे ही बहा दिया जाता है। जिससे नाले व नदी में सिल्ट जम जाती है। वहीं इसमें सबमर्सिबल पम्प से बहुत अधिक भू-जल भी खींचा जाता है। इसके लिए उन्होंने कहा कि गोबर को नालों में न बहाकर किसी एक स्थान पर लाने की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने नालों व नदी में पॉलिथीन के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने की बात कही। नगर निगम का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 2013 तक प्रारम्भ हो जाएगा। नालों के सौन्दर्यकरण व साफ बनाए रखने के लिए 409 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग:- मेरठ की सभी डिस्टलरी जीरो डिस्चार्ज पर चल रही हैं। सभी भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। किसी भी उद्योग को नदी में अपना गंदा पानी डालने की इजाजत नहीं है।
मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग:- काली नदी की सफाई हेतु शासन से साढे पांच करोड़ का बजट पास हुआ है। यह सफाई 28 किलोमीटर की दूरी में की जाएगी, जोकि नंगली से मवाना तक होगी।
मुख्य अभियंता, मेरठ विकास प्राधिकरण:- प्राधिकरण की सभी कॉलोनियों में छोटे-छोटे एस टी पी लगाए जा रहे हैं जोकि घरेलू सीवेज के लिए हैं।
मुख्य अभियंता, जल निगम:- नदी किनारे के वे गांव जहां पर जल प्रदूषण की दिक्कत है उनमें से तीन गांवों में टंकियां लगाई जा चुकी हैं और तीन गांवों के प्रस्ताव पास हो चुके हैं।
मुख्य विकास अधिकारी:- प्रारम्भिक तौर पर छोटे-छोटे कदम नदी को साफ करने के लिए उठाए जाने चाहिए। लेकिन दूरगामी असर के लिए एक विजन डाक्यूमेंट होना बहुत जरूरी है।
जिलाधिकारी के निर्देश:-
मेरठ के सभी जल स्रोतों को देखकर तथा उनमें प्रदूषण के कारणों को जानकर एक योजना तैयार की जाएगी।
सभी डेरी संचालकों के यहां बिजली विभाग के साथ जाकर उनके द्वारा डेरी से गोबर बहाये जाने में इस्तेमाल किए जाने वाले सबमर्सिबल पम्प को बंद कराने की कार्यवाही की जाएगी।
पॉलीथीन रोकने के लिए कैम्पेन चलेगा।
नालों में पॉलीथीन व अन्य कचरा रोकने के लिए तकनीकी रूप से समर्थ जाल की व्यवस्था होगी।
मेरठ विकास प्राधिकरण अपनी नई कॉलोनियों में सबमर्सिबल पम्प पर प्रतिबंध लगाए।
नदी किनारे वृहद वृक्षारोपण किया जाएगा।
सभी नालों की सफाई वर्षा से पहले और बेहतर तरीके से कराई जाएगी।
दूरगामी परिणामों के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार करने हेतु एक कमेटी बनाई जाएगी।
जागरूकता कार्यक्रम चलेंगे।
मण्डलायुक्त:-
नालों व नदी की सफाई कराई जाए।
सफाई के साथ-साथ नदी किनारे वृक्षारोपण कराया जाए।
दूरगामी परिणामों के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जाए तथा उसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाए।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग उद्योगों व नदी जल की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मण्डलायुक्त ने आशा व्यक्त की कि आज की विजिट से नदी की बेहतरी के प्रयास प्रारम्भ हो चुके हैं। इसको और आगे बढ़ाया जाएगा।
जिलाधिकारी के निर्देश पर संस्था नदी की सफाई व बेहतरी के लिए तकनीकि सहायता हेतु आई आई टी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग की लेगी। शीघ्र ही उनकी एक विजिट जिलाधिकारी व सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ काली नदी पर कराई जाएगी। जिससे कि वे नदी की सफाई के संबंध में एक तकनीकी रिपोर्ट तैयार कर सकें।
हम इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे। इसके लिए समाज का प्रसाशन के साथ सहयोग करेंगे। इस तरह की विजिट मुजफ्फरनगर, हापुड़, बुलंदशहर व अलीगढ़ जिला प्रशासन के साथ भी की जाएगी। इस दौरान संस्था के लिटिल, मनोज कुशवाहा व श्याम आदि भी मौजूद रहे।
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