Posted on 11 Mar, 2016 01:11 PM 1. हम लोग अपना हाथ-मुँह धोते समय अनावश्यक पानी नल से गिरते रहने देते हैं। 2. कपड़े धोने या बर्तन धोने के बाद बचे इस पानी को हम अपने शौचालय की सफाई हेतु प्रयोग कर सकते हैं फिर भी हम साफ और ताजा पानी शौचालय सफाई हेतु उपयोग करते हैं। 3. नहाने में हम कई बाल्टी पानी खर्च कर देते हैं जबकी एक-दो बाल्टी पानी से हम अच्छी तरह स्नान कर सकते हैं।
Posted on 11 Mar, 2016 12:44 PM पृथ्वी पर जीवन के लिये दो प्राथमिक चीजें हैं : हवा और पानी। इन दोनों के अभाव में जीवनयापन सम्भव नहीं हो सकता। पानी हमारे जीवन के लिये हवा के बाद सर्वाधिक आवश्यक तत्त्व है। मानव शरीर का 70 प्रतिशत भाग पानी से ही निर्मित है। प्रकृति ने भी पृथ्वी पर और उसके नीचे तीन चौथाई भाग में पानी संग्रहित किया हुआ है। फिर भी आज न तो घर में पानी है और न खेत में तथा ज
Posted on 10 Mar, 2016 03:52 PM कनीना हरियाणा के जिला महेंद्रगढ़ के उप-मंडल का छोटा सा गाँव है जहाँ जिले का एकमात्र नवोदय विद्यालय स्थित है। इसी गाँव का एक साधारण सा किसान महाबीर सिंह ने बागवानी के क्षेत्र में वो सफलता हासिल की कि उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। किसान महाबीर सिंह ने आज से महज पाँच वर्ष पहले ही अपना काम शुरू किया और आज बागवानी के साथ दलहन जाति की फसलें उगाकर, केंचुआ पालन करके, ड्रिप सिंचाई, बायो गैस
Posted on 10 Mar, 2016 03:30 PM वह कुनकुनी /धूप थी। बादलों की भागदौड़ आसमान में चल रही थी। बादल सूरज पर आवरण बनकर छा जाते और छाया कर रहे थे। पर जब बादल छट जाते और सूरज छा जाता तब आसमान पर अजीब तमाशा होता। ठंडी हवा बह रही थी। वह बगीचे में अकेला बैठा था।
Posted on 10 Mar, 2016 01:50 PM इसे कुदरत की बिडम्बना ही कहेंगे कि धरती पर सत्तर प्रतिशत पानी होने के बावजूद इंसान दिनोंदिन प्यासा होता जा रहा है। एक तथ्य यह भी है कि धरती पर मौजूद पानी का केवल दो प्रतिशत पानी ही इंसान के प्रयोग के अनुकूल है। पानी अब इंसान को आसानी से मुहैया नहीं हो रहा है। इंसानी लापरवाही और कमजोर प्रबन्धन के चलते न केवल हिन्दुस्तान बल्कि दुनिया के कई मुल्क पीने के पानी की किल्लत से दो-चार हो रहे हैं। पान
Posted on 10 Mar, 2016 12:50 PM लोहाघाट। चम्पावत नगर क्षेत्र के नौले प्राचीन धरोहर के साथ ही हमारे पूर्वजों की पर्यावरण के प्रति जागरुकता को भी दर्शाते हैं। प्रत्येक नौले के निकट किसी-न-किसी प्रजाति का वृक्ष होता है। इन नौलों/धारों के आस-पास पीपल, वट आदि के पेड़ और ऊँचाई वाले क्षेत्र में प्रयः बांज, देवदार आदि के पेड़ नजर आते हैं। हमारी परम्पराओं में जल संस्कृति के अनेक स्वरू