सत्यनारायण भटनागर

सत्यनारायण भटनागर
नारद पुराण में जल संचय एवं संरक्षण के स्वर
Posted on 17 Mar, 2016 11:33 AM

जल संचयएक बार अप्रैल और मई के महीने में मुझे व्यक्तिगत कारणों से उ
जीवन है, बहता जल
Posted on 10 Mar, 2016 03:30 PM

वह कुनकुनी /धूप थी। बादलों की भागदौड़ आसमान में चल रही थी। बादल सूरज पर आवरण बनकर छा जाते और छाया कर रहे थे। पर जब बादल छट जाते और सूरज छा जाता तब आसमान पर अजीब तमाशा होता। ठंडी हवा बह रही थी। वह बगीचे में अकेला बैठा था।
पानी है अनमोल
Posted on 21 Jan, 2016 02:23 PM

चंपक वन के राजा भोरसिंह बड़े दयालु और न्यायप्रिय व्यक्ति थे। वन के पशु-पक्षियों के प्रति उनके मन में बड़ा स्नेह था। चंपक वन में उन्होंने एक विशाल उद्यान बनाया था जिसमें विभिन्न तरह के वृक्ष थे, जो फल और फूलों से लदे रहते थे। क्यारियों में रंग-बिरंगे पुष्पों के पौधे थे जिनमें पुष्प खिलते थे। कई रंग-बिरंगी तितलियाँ व भौंरे इनके आस-पास गुँजन करते रहते थे।
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