उत्तराखंड

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बूँद-बूँद को सहेजना ही जल संकट का निदान
Posted on 03 Nov, 2016 03:16 PM


जानकारों का कहना है कि उत्तराखण्ड पहाड़ी राज्य में यदि सरकार व गैर सरकारी ढाँचागत कार्यों में वर्षाजल के संरक्षण की योजना अनिवार्य कर दी जाय तो राज्य में जल सम्बन्धी समस्या का निदान यूँ ही हो जाएगा। इस राज्य में ऐसी कोई नीति अब तक सामने नहीं आई है।

सरुताल
हिमखण्डों की चौड़ी होती दरारें
Posted on 29 Oct, 2016 11:52 AM
हिमालय के करीब 50 जीवनदायी हिमनद झीलें अगले कुछ सालों में किन
Glacier
पानी के शहर में प्यासे लोग
Posted on 28 Oct, 2016 12:29 PM
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल में नौलों की एक संस्कृति रही है। इस बार अल्मोड़ा यात्रा के दौरान उस संस्कृति से साक्षात्कार का अवसर मिला। मैंने वहाँ पाया कि कत्युरी राजाओं ने इस सन्दर्भ में बहुत काम किया है।
पाताल देवी धारा
उफरैखाल के नौले-धारे से पानीदार समाज
Posted on 27 Oct, 2016 11:24 AM

2200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित उफरैखाल जैसे खूबसूरत स्थल के आसपास के नौले-धारे सूख चुके थे। ग्रामीणों को हलक तर करने को कई-कई किमी की दूरी पैदल नापकर पानी की व्यवस्था करनी पड़ती थी। खासकर पहाड़ की रीढ़ मानी जानी वाली महिलाओं का अधिकांश वक्त इसमें जाया हो रहा था। हलक तर करने को तो पानी मिल रहा था, लेकिन मवेशियों के लिये इसकी व्यवस्था खासी मुश्किल हो रही थी। साथ ही पास की पहाड़ी भी सूख रही थी। 1986 तक हालात और ज्यादा खराब हो चुके थे।

गंगा और यमुना जैसी नदियों का उद्गम उत्तराखण्ड है। ये नदियाँ न सिर्फ उत्तराखण्ड, बल्कि देश के अन्य राज्यों की प्यास भी बुझा रही हैं। अब विडम्बना देखिए कि गंगा-यमुना के मायके यानी उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों के लोग ही प्यासे हैं। इसे देखते हुए ही बारिश की बूँदों को सहेजने की कोशिशें यहाँ परम्परा का हिस्सा बनी।

ब्रिटिश गढ़वाल से पहले तक गढ़वाल क्षेत्र में ही 3200 से अधिक चाल-खाल और हजारों की संख्या में नौले-धारे जीवित थे। और तो और खालों के नाम ही स्थानों का नामकरण भी हुआ। जयहरीखाल, गूमखाल, रीठाखाल, चौबट्टाखाल, बेदीखाल ऐसे अनेक कस्बाई इलाकों के नाम वहाँ बनी खालों के नाम पर ही पड़े।
हिमालय की उत्‍पत्ति : कुछ संशय, कुछ सुझाव
Posted on 25 Oct, 2016 04:03 PM

हिमालय के उत्थान में क्षेप भ्रंशों का विशेष महत्त्व है। आमतौर पर माना जाता है कि इन भ्रंश

मिजोरम संक्षेत्र का संक्षिप्त भूवैवर्तनिक विश्लेषण
Posted on 25 Oct, 2016 03:31 PM
अवस्थिति एवं पहुँच मार्ग : मिज़ोरम राज्य भारत के सीमान्त उत्तर पूर्व में स्थित है। सामरिक दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मिज़ोरम राज्य दो देशों से घिरा है। मिज़ोरम के पूर्व में म्यांमार तथा पश्चिम में बांग्लादेश स्थित हैं। मिज़ोरम भौगोलिक निर्देशांक विस्तार 210 56‘ उत्तर-240 31‘ उत्तर अक्षांश एवं 920 16‘ पूर्व-130 26‘ पूर्व देशान्तर के बीच है
सहस्त्रधारा : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण
Posted on 20 Oct, 2016 04:59 PM
सहस्त्रधारा देहरादून में स्थित एक अत्यन्त मनोरम एवं दर्शनीय स्थान है, जो शहर से लगभग 11 कि.मी. दूर है। यहाँ बूँद-बूँद कर जल चूना पत्थर से टपकता रहता है और हजारों धाराओं वाले झरने का निर्माण करता है, यह झरना छिछला और लगभग 9 मीटर गहरा है। झरने का जल बाल्दी नदी से मिलता है और अन्ततः पवित्र गंगा में विलीन हो जाता है।
विज्ञान और चिंतन के अद्भुत सम्मिश्रण : ईवान एफ्रेमोव
Posted on 20 Oct, 2016 04:30 PM

भारत के लिये एफ्रेमोव का एक अलग ही महत्व है और वो इसलिये कि उनकी कहानियों और विचारों में

मौसम परिवर्तन एक प्राकृतिक चक्र या मानवीय
Posted on 20 Oct, 2016 04:13 PM
मौसम परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान वृद्धि वर्तमान पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य में मानव सभ्यता हेतु गम्भीर चिन्ता का विषय बन कर उभर रहे हैं। वैज्ञानिक एवं गैर वैज्ञानिक वर्ग जलवायु परिवर्तन के सभ्भावित कारणों, उनसे होने वाली समस्याओं एवं उनसे बचने व क्षति कम करने के उपायों को ढूंढने में लगा है। विश्व के अधिकांश संस्थानों में हो रहे शोध कार्य वर्तमान जलवायु परिवर्तन व तापमान वृद्धि को मानवीय कार्यकल
घटते वन, बढ़ती आपदाएं
Posted on 20 Oct, 2016 03:37 PM

जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, बाढ़, तूफान, भू-स्खलन आदि वैश्विक समस्याएं हैं। अतः समय-स

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