केदार दत्त
केदार दत्त
उफरैखाल के नौले-धारे से पानीदार समाज
Posted on 27 Oct, 2016 11:24 AM2200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित उफरैखाल जैसे खूबसूरत स्थल के आसपास के नौले-धारे सूख चुके थे। ग्रामीणों को हलक तर करने को कई-कई किमी की दूरी पैदल नापकर पानी की व्यवस्था करनी पड़ती थी। खासकर पहाड़ की रीढ़ मानी जानी वाली महिलाओं का अधिकांश वक्त इसमें जाया हो रहा था। हलक तर करने को तो पानी मिल रहा था, लेकिन मवेशियों के लिये इसकी व्यवस्था खासी मुश्किल हो रही थी। साथ ही पास की पहाड़ी भी सूख रही थी। 1986 तक हालात और ज्यादा खराब हो चुके थे।
गंगा और यमुना जैसी नदियों का उद्गम उत्तराखण्ड है। ये नदियाँ न सिर्फ उत्तराखण्ड, बल्कि देश के अन्य राज्यों की प्यास भी बुझा रही हैं। अब विडम्बना देखिए कि गंगा-यमुना के मायके यानी उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों के लोग ही प्यासे हैं। इसे देखते हुए ही बारिश की बूँदों को सहेजने की कोशिशें यहाँ परम्परा का हिस्सा बनी।ब्रिटिश गढ़वाल से पहले तक गढ़वाल क्षेत्र में ही 3200 से अधिक चाल-खाल और हजारों की संख्या में नौले-धारे जीवित थे। और तो और खालों के नाम ही स्थानों का नामकरण भी हुआ। जयहरीखाल, गूमखाल, रीठाखाल, चौबट्टाखाल, बेदीखाल ऐसे अनेक कस्बाई इलाकों के नाम वहाँ बनी खालों के नाम पर ही पड़े।
हेस्को की मुहिम, गाँव संवरेंगे तो देश संवरेगा
Posted on 26 Oct, 2018 12:49 PMभारत की आत्मा गाँवों में बसती है और जब तक गाँवों का उत्थान नहीं होगा, तब तक सही मायने में विकास की कल्पना बेमानी है। इसी सूत्र वाक्य के तहत पद्मश्री डॉ.
नमामि गंगे ऐसे में कैसे निर्मल हो पाएगी गंगा
Posted on 07 Jun, 2018 06:52 PM
राष्ट्रीय नदी गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिये नमामि गंगे परियोजना को लेकर केन्द्र सरकार भले ही सक्रिय हो, लेकिन उत्तराखण्ड में धरातल पर वह गम्भीरता नहीं दिखती, जिसकी दरकार है। गंगा के मायके गोमुख से हरिद्वार तक ऐसी तस्वीर नुमायां होेती है।