उत्तराखंड

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वर्षा जल के उपयोग से बढ़ी हरियाली (Greenery increased by Rain Water Harvesting)
Posted on 24 Aug, 2017 03:47 PM
पर्यावरण का बदलता परिवेश देश और दुनिया के लिये बड़ा घातक है। मोटी-मोटी सी एक बात हमारी समझ में आ जानी चाहिए, कि तमाम आर्थिक-सामाजिक पारिस्थितिकी गतिविधियाँ कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ी हैं। कई मामलों में खास तौर से पर्यावरण को बेहतर रखने के लिये प्राकृतिक रास्ता ही ढूँढना पड़ेगा।
भूमि एवं जल संरक्षण में बाँस का उपयोग (Importance of Bamboo in soil and water conservation)
Posted on 10 Aug, 2017 11:02 AM
बाँस, मनुष्य के लिये प्रकृति का अमूल्य उपहार है। बहुआयामी उपयोगों को देखते हुए इसे वनों का ‘हरा सोना’ कहा जाता है। यह पूरे विश्व में समुद्र तल से 7000 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है। संसार भर में बाँस की 75 से अधिक प्रजातियाँ व 1200 से अधिक उपजातियाँ पाई जाती हैं। भारत में बाँस की 114 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कश्मीर घाटी को छोड़कर बाँस सर्वत्र पाया जाता है। भारत में बाँस क
देवभूमि और एकीकृत विकास
Posted on 10 Aug, 2017 10:16 AM
पलायन करना इंसान की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। वह स्वेच्छा से पलायन करता है तो उसे बुरा नहीं कहा जाता, लेकिन आज उत्तराखंड में हो रहा पलायन स्वाभाविक नहीं है और न स्वेच्छा से किया गया पलायन है। यह मजबूरी में उठाया गया कदम है, जो रुकता नजर नहीं आ रहा है…
जल प्रदूषण के कारण और उपाय | Water Pollution Causes and Remedies in Hindi
इस ब्लॉग में हम जल प्रदूषण के कारणों और उपायों को समझेंगे। Know and understand the causes and solutions of water pollution in hindi. Posted on 09 Aug, 2017 01:08 PM


हमारी धरती पर अथाह जलराशि विद्यमान है। ‘‘केलर’’ महोदय के अनुसार हमारी धरती पर विद्यमान सम्पूर्ण जलराशि 1386 मिलियन घन किलोमीटर है। यदि ग्लोब को समतल मानकर सम्पूर्ण जलराशि को इस पर फैला दिया जाय, तो यह 2718 मीटर गहरी जल की परत से ढक जायेगा। महासागरों में कुल जलराशि का 96.5 प्रतिशत (1338 मिलियन घन कि.मी.) एवं महाद्वीपों में मात्र 3.5 प्रतिशत (48 मिलियन घन कि.मी.) जल उपलब्ध है।

Water Pollution
पर्यावरण से खिलवाड़ कर रहे हिमालयी राज्य
Posted on 01 Aug, 2017 11:24 AM
मौसम में बदलाव और जलवायु परिवर्तन के दौर में राज्य दैवीय आपदा
environment
सामुदायिक प्रयासों से किया कुलगाड़ में नौले को पुनर्जीवित
Posted on 27 Jul, 2017 04:30 PM

गाँव के उत्तर में एक नौला है, जिसे गाँववासी पनेरा नौला कहते हैं। यह पानी के स्रोत के साथ ग्रामीणों के लिये परम्परा एवं संस्कृति का केन्द्र है। यहाँ के निवासियों की मान्यता है कि नौले के जल में विष्णु का निवास स्थान होता है। शादी के बाद दूल्हा और दुल्हन नौले में जाते हैं और अपना मुकुट वहाँ स्थापित करके आते हैं। दुल्हन नौले के पानी को भरकर सभी परिवार वालों को पिलाती है और जब भी गाँव में कोई कथा, शीर्वाचन होता है उसकी सामग्री का विसर्जन भी वही होता है।

कुलगाड़, नैनीताल। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लाक में स्थित है कुलगाड़ गाँव। स्थानीय निवासियों की माने तो, पहाड़ी गधेरे के किनारे छोटे-छोटे खेतों के बीच बसे होने के कारण गाँव का नाम कुलगाड़ पड़ा। यह गाँव छोटा है, जैसे कि लगभग 80 फीसदी उत्तराखण्ड के गाँव हैं, जहाँ केवल 23 परिवार रहते हैं। हल्द्वानी से अल्मोड़ा जाने वाले नेशनल हाइवे नम्बर 87 से कुलगाड़ गाँव दिखता तो पास में है लेकिन कुछ दूर टेढ़े-मेढ़े रास्ते से पैदल चलकर यहाँ पहुँचा जा सकता है।

कुछ साल पहले गाँव के निवासी शहीद मेजर मनोज भण्डारी को श्रद्धांजलि देते हुए गाँव में सड़क पहुँच पाई है, जो अभी कच्ची है। स्थानीय बाजार, सुयालबाड़ी स्थित सड़क से गाँव स्पष्ट दिखाई देता है। जहाँ छोटे-छोटे सीढ़ीनुमा खेतों से ऊपर की ओर बसे गाँव को देखकर पहाड़ी गाँवों को बेहतर समझा जा सकता है।
पिथौरागढ़ के नौले-धारे
Posted on 21 Jul, 2017 09:55 AM
गाड़ गधेरे, नौले, धारे के बारे में सबने सुना होगा, धीरे-धीरे सब खत्म या कम होते जा रहे हैं लेकिन पहले ऐसा नहीं था, पहले इन नौलों गाड़ों गधेरों में कई बच्चों ने अपने पहले प्यार, पहली तैराकी और पहली ट्रेकिंग की ट्रेनिंग ली थी।
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