उत्तराखंड

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पर्वतीय कृषि: भूमि की उत्पादकता का कैसे हो अधिक सदुपयोग
Posted on 07 Dec, 2010 03:15 PM


मडुआ, गहत, पहाड़ी आलू, भट्ट, पहाड़ी गाय का दूध, घी और गौमूत्र आदि पहाड़ी उत्पादों ने बाजार में अपना प्रभुत्व जमाना आरम्भ कर दिया है। अब चुनौती है कि इनके उत्पादन को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाये।

बूंद-बूंद पानी
Posted on 20 Nov, 2010 07:30 AM उत्तराखंड के चंपावत जिले से 45 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है, तोली। जौलाड़ी ग्रामसभा के इस गांव में करीब 24 परिवारों का बसेरा है। आज से दो दशक पहले यहां पानी की बहुत किल्लत थी। लोगों को बहुत दूर से पानी ढोना पड़ता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब हर आंगन में पानी पहुंच चुका है। गांव वालों को यह सुविधा किसी सरकारी योजना से नहीं, बल्कि इसी गांव के निवासी कृष्णानंद गहतोड़ी और पीतांबर गहतोड़ी की सूझबूझ औ
कार्तिक की कहानी
Posted on 18 Nov, 2010 08:32 AM
पहाड़ों के घेरे में एक छोटा-सा गाँव था.
बी.पी.एल. शौचालय के नाम पर प्रधानों व सचिवों ने डकारे अठहत्तर लाख रूपये वर्ष २००७-०८ में
Posted on 14 Nov, 2010 10:07 AM संडीला विकास खण्ड, जनपद-हरदोई में ९७ राजस्व गांव में बी.पी.एल. व ए.पी.एल. परिवारों के लिए व्यक्तिगत परिवारों को शौचालयों का निर्माण हुआ | यह निर्माण वर्ष २००७ व २००८ में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत यह कार्य ग्राम पंचायत के सचिव व प्रधानों ने करवाया | इस कार्य के लिए सरकार द्वारा पन्द्रह सौ रूपये का अनुदान बी.पी.एल. परिवारों को दिया जाना था और ए.पी.एल.
ग्लेशियर के मलबे पर
Posted on 11 Nov, 2010 10:32 AM
देहरादून सूबे की सरकार सचिवालय तक ही कैद होकर रह गयी है,इस बात के जन सवाल हिमालयी गांवों के चौपालों से उठने लगे है।जिसका जबाब देने के लिए सरकार, प्रतिनिधीयों को हिमालयी गाँवों तक जाना होगा। भूस्खलन की पुरी तरह जद में आ चुके द्रोणागिरी गांव पहुंचे भारतीय वैज्ञानिकों के दल ने दैवी आफत के बाद पुराने ग्लेशियर के मलबे पर बसे द्रोणगिरी गांव पहुंच कर इस गांव में रह रहे 150 जनजातिय परिवारों की बदहाल
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