चप्पे-चप्पे पर मौजूद हैं तबाही के निशान


अतिवृष्टि से नुकसान के आँकड़े अभी उपलब्ध नहीं हो पाये हैं, लेकिन 200 लोगों के जान गँवाने का अनुमान है। शासन द्वारा जारी सूची के अनुसार 1 जून से 25 सितम्बर 2010 के बीच 196 लोग मरे और 97 लोग घायल हो गये। 916 मवेशी भी दब कर या बह कर मर गये। 1,018 भवन पूरी तरह तथा 9,613 भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 903 मोटर मार्ग व पैदल रास्ते तथा 114 पुलिया नष्ट हुए। करीब 240.95 हैक्टेयर कृषि भूमि तथा कई सार्वजनिक भवन क्षतिग्रस्त हो गये। शिक्षा मंत्री के अनुसार शिक्षा विभाग को 160 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। 73 स्कूलों के पूरी तरह ध्वस्त हो जाने से उनमें पढ़ाई ठप्प है और 543 स्कूल भवनों की खतरनाक स्थिति देखकर अध्यापक पढ़ाने में डर रहे हैं।

 

नैनीताल


नैनीताल नगरपालिका ने एक करोड़ रु. की क्षति का आंकलन कर रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी है। सूखाताल में पानी भर जाने से अतिक्रमण कर अवैध रूप से मकान बना रह रहे एक दर्जन परिवार अन्यत्र शरण लिये हैं। इस झील से ढाई लाख लीटर पानी की रोज निकाल कर सीवर में बहाया जा रहा है, जो मालरोड में कई जगह फैलने के बाद रूसी गाँव के लिये खतरनाक हो गया। 17-18 सितम्बर को नैनीताल का सभी जगहों से सम्पर्क कट गया, बिजली गुम हो गई और पेयजल समस्या उत्पन्न हो गई। लोगों ने छत से आ रहे बरसाती पानी को उबाल कर काम चलाया। भवाली-अल्मोड़ा राजमार्ग की छड़ा से आगे करीब 5 किमी. सड़क पूरी तरह कोसी नदी में समा गई, जिसे बनने में कई महीने लगेंगे। नैनीताल-हल्द्वानी मार्ग भुजियाघाट के पास मटियामेट हो गया।

4 सितम्बर की रात धनगढ़ी के पास कार के बरसाती नाले में बह जाने से एक पर्यटक, राजीव गुप्ता की मृत्यु हो गई। रामनगर में कोसी नदी का अतिरिक्त पानी छोड़ने से मुरादाबाद व रामपुर के बीच राजमार्ग बन्द हो गया और दिल्ली-देहरादून के लिये यातायात ठप्प हो गया। रामनगर के धरमपुर नफनियाँ में बरसाती नाले का रुख बदलने कई एकड़ तैयार फसल तबाह हो गई। कानियाँ नाले से धरमपुर नफनियाँ में कई एकड़ कृषि भूमि रौखड़ में बदल गई। 200 परिवारों वाला चुकम गाँव पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया। कालाढूँगी से बिन्दुखत्ता तक का बहुत बड़ा इलाका एक तरफ गौला और दूसरी तरफ कोसी व अन्य छोटे-बड़े नालों के प्रकोप से जलमग्न हो गया। बिजली, पानी, यातायात सेवा, दूरसंचार आदि सेवाएँ ठप्प हो जाने व आवश्यक सामग्री उपलब्ध न होने से त्राहि-त्राहि मच गई। अपर मण्डलायुक्त हरीशचन्द्र सेमवाल के अनुसार बागेश्वर में 24, अल्मोड़ा में 41, नैनीताल में 18, उधमसिंह नगर में 11, पिथौरागढ़ में 7 व चम्पावत में 6 लोगों ने जानें गँवाईं। कुमाऊँ मण्डल में 361 मकान ध्वस्त हो गये और 21,571 परिवारों के 1,06,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए। जिलाधिकारी शैलेश बगौली के अनुसार जिले में सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान चार सौ करोड़ से अधिक का हुआ है। सड़कों की 290 करोड़ की क्षति आंकी गई है। करीब 5,500 हैक्टेयर जमीन तबाह हो गई।

 

अल्मोड़ा


अल्मोड़ा जनपद के लगभग सभी विकासखंडों से भी विनाश की खबरें हैं। सर्वोत्तम किसान माने जाने वाले मनान-ताकुला निवासी विद्याधर छिमवाल की गौशाला, मकान के अलावा 35 नाली भूमि में लहलहाती सब्जियाँ, 9 हजार वर्ग फीट मछली का तालाब, डेरी सहित 100 से अधिक फलदार पेड़ नष्ट हो गये। अल्मोड़ा-कौसानी मार्ग में पथरिया के पास पहाड़ी में दरार पड़ जाने से एक दर्जन गाँवों को जोड़ने वाला रास्ता दरक गया। रानीखत उपमंडल क्षेत्र के एरोली, बेड़ गाँव, मछखाली, पिलखोली, पातली, भुजान, धुराफाट, कंडारकुंआ आदि क्षेत्रों में भूस्खलन, पहाड़ खिसकने, सड़क धँसने, पैदल मार्ग ध्वस्त होने, मकानों के टूटने अथवा दरारें आ जाने से ग्रामवासी भयभीत हैं। जरूरी चीजों के अभाव से जूझते हुए वे रात को अन्यत्र शरण ले रहे हैं। रानीखेत से अल्मोड़ा, पिल्खोली, जालली, ताड़ीखेत, द्वाराहाट जाने मार्ग सड़क धँसने या बोल्डर आने से वे अवरुद्ध हो गये। प्रभावित 50 ग्रामों के तीन सौ परिवारों की व्यवस्था स्कूलों आदि में की गई है। अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ मार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध हो गया। भतरौंजखान क्षेत्र में भी सभी सड़कें बन्द होने से खाद्यान्न व जरूरी चीजों का अभाव हो गया है। अल्मोड़ा नगर के दुगालखोला से लगे माल गाँव वासियों तथा लमगड़ा के बजेठी गाँव की अनुसूचित बस्ती के लोगों ने अन्यत्र विस्थापित किये जाने की माँग की है। प्रभारी मंत्री प्रकाश पंत के अनुसार जिले के अति संवेदनशील 106 गाँवों को अन्यत्र बसाया जायेगा। 178 राहत केन्द्रों में 1015 लोग रह रहे हैं। कुल 948.34 किमी. सड़क, 74 पुल, 581 कलमट, 219 स्कूल, 9 स्वास्थ्य केन्द्र, 98 पैदल मार्ग नष्ट हो गये।

 

बागेश्वर


सुमगढ़ के हादसे से लोग उबरे भी न थे कि सरयू-गोमती ने रौद्र रूप धारण करते हुए किनारों की भूमि को काटते हुए तबाही मचा दी। मकानों का टूटना, सड़कों का धँसना, फसल और कृषि भूमि का तबाह होना आम बात हो गई। 2 सितम्बर की रात गरुड़ विकास खंड के तलसारी मरे गाँव, पाये गाँव और जखेड़ा ग्राम सभा के कई मकान या तो ढह गये या क्षतिग्रस्त हो गये। कांडा तहसील के काण्डा और चौनाला में भी अनेक मकान क्षतिग्रस्त हुए। गरूड़ घाटी में सौ हैक्टेयर भूमि पर खड़ी फसल तबाह हो गई। तहसील में 9 मकान ध्वस्त हुए और 96 बुरी तरह क्षतिग्रस्त। 20 पालतू पशु मरे। जिनखोला गाँव को अन्यत्र विस्थापित किये जाने की माँग की गई है। दो दर्जन से अधिक प्रभावित परिवारों वाले नाकुरी गाँव के लोग भी विस्थापन चाहते हैं। यहाँ मकानों में दरारें आ गईं हैं और अहाते धँस गये हैं। ट्रांसफार्मर फुँकने से इलाका में 16 सितम्बर से अँधेरे में है। नाकुरी, बद्रीनाथ, बलना, जीवाण, ज्याणा स्टेट, जड़ापानी व मौलधार में ध्वस्त मकानों के लोग अन्यत्र शरण लिये हैं। कौसानी-माछियाबगड़ मोटर मार्ग में नाली निर्माण नकिये जाने से सड़कों का मलवा बहकर मकानों को खतरा हो गया है।

बागेश्वर में सैंज गधेरे के उफनने से आसपास के घरों व खेतों में पानी भर गया। यही हाल मंडलसेरा का रहा। कपकोट- कर्मी, रिखाड़ी बदियाकोट, जगथाना- पड़कूनी, भानी- हरसिंयाबगड, बागेश्वर- भराड़ी सौंग, पोथिंग- चीराबगड़, भराड़ी- शामा, कांडा-दफौट, बागेश्वर- गरुड़, बागेश्वर- गिरेछीना, विजयपुर- कमेड़ीदेवी आदि मार्ग जगह-जगह मलुवा भर जाने या धँस जाने से अवरुद्ध हो गये। कर्मी के लोरा तोक के चारों ओर हो रहे भूस्खलन से 59 परिवार खतरे में हैं। टोलीगाड़ गधेरे के उफान से ऊपर की पहाड़ी दरकने लगी है। कई परिवारों ने अन्यत्र शरण ले रखी है। कई पुलिया ध्वस्त होने से आपसी सम्पर्क कट गया। लोरा के दलितबहुल मधनकनड़ा, लिमरी, दरली में 39 मकानों को खतरा है। ऐसा ही सलवाधांधल, कमूतोली और राबाड़ के अनेक मकानों को भी है। बागेश्वर जिले में 18 अगस्त से 21 सितम्बर तक 24 जानें गईं व 16 लोग गम्भीर रूप से घायल हुए। 354 पालतू पशु मरे। 524 परिवार बेघर हो गये। 71 मकान ध्वस्त व 453 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये। 150 से अधिक लोग खेतों में टेंट या तिरपाल लगा कर रह रहे हैं। जिले की 80 फीसदी योजनाएँ ध्वस्त हो गई हैं।

 

पिथौरागढ़


धारचूला तहसील के ग्राम कनार में दो मकान ध्वस्त हो गये। कूलागाड़, चेतलकोट, मांगती व वर्तीघाट में मोटर मार्ग अवरुद्ध होने के कारण कैलाश यात्रियों और व्याँस-चौंदास घाटियों को रहने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बूँदी में फँसे कैलाश यात्रियों को हैलीकॉप्टर से धारचूला लाया गया। मूनाकोट विकास खंड के अन्तर्गत पीपली से मकान ध्वस्त होने और जानवर मरने की खबर है। नेपाल निवासी नवीन कार्की तारों के सहारे भारत की ओर आते वक्त एलागाड़ के पास काली में बह गया।

 

चम्पावत


जिले में 7 लोगों की जान गई और 12 पशु मरे। एक मकान ध्वस्त हो गया और 21 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये। 43 मार्ग मार्ग प्रभावित हो गये। टनकपुर में शारदा के उफनाने से स्नान घाट, शारदा कॉलोनी सहित कई क्षेत्र जलमग्न हो गये। मायावती आश्रम मार्ग में मलवा भर जाने से आवाजही ठप्प हो गई। विद्युत व संचार व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो गई। पूर्णागिरी मार्ग पर ग्राम उचौलीगोठ में जागलीगाड़ से जबर्दस्त भूकटाव हो रहा है। नाले रुख गाँव की ओर होने से दो हैक्टेयर वनभूमि तबाह हो गई। बाराकोट विकास खण्ड के बिसराड़ी गाँव को भारी नुकसान हो गया। इस ग्राम पंचायत के अधिकांश सम्पर्क मार्ग क्षतिग्रस्त होने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति ठप्प हो गई।

 

उधम सिंह नगर


कॉर्बेट पार्क के साँवल्दे क्षेत्र से निकलने वाली रामगंगा की सहायक ढेला नदी ने काशीपुर-जसपुर क्षेत्र में तबाही मचा दी। ढकिया-गुलाबो ग्रामीणों की चार-चार एकड़ जमीन भी नहीं बची। 19 सितम्बर को शक्तिफार्म के निकट ठंडी नहर पार करते समय 23 वर्षीय संजू बह गया। किच्छा क्षेत्र के कोटखर्रा, चमन नगर, ग्रामसभा नजीबाबाद के दर्जनों मकान गौला नदी में समा गये। बाजपुर क्षेत्र के जोगीपुरा, गोबरा, बनखेड़ा आदि दर्जनों गाँवों में भारी क्षति हुई। सैकड़ों एकड़ भूमि फसल सहित तबाह हो गई और कई रिहायशी मकान धराशायी हो गये। रुद्रपुर के ग्राम छिनकी, कुरैया, मिलक, चकौनी के दर्जनों गाँव ट्रांसफार्मर फुँक जाने से कई दिनों से अंधेरे में हैं। कटना में आई बाढ़ से अनेक गाँवों में डूबे घरों से नावें लगा लोगों को बचाया गया। पानी के तेज बहाव से सितारगंज किच्छा मार्ग में आवाजाही ठप्प हो गई। बैगुल नदी की बाढ़ तथा अपर बैगुल नहर के ओवरफ्लो होने से सिडकुल- किच्छा, खटीमा मार्ग में तीन फीट पानी भर गया। पानी भरने से कई कच्चे मकान भरभराकर ढह गये। प्रशासन ने 274 गाँवों के 49 हजार लोगों के प्रभावित होने तथा विभिन्न विभागों की 209 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति का नुकसान होने की बात कही है। 13 मनुष्यों की जान गई, 25 पशु मरे। 158 मकान ध्वस्त हुए तथा 2894 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त।

 

देहरादून


नालों-नहरों, हरे-भरे खेतों को पाट कर सड़कों-बिल्डिंगों में बदल दिया गया देहरादून नगर जलमग्न हो गया। उफनाये कारमी नाले में बह जाने से कसाई बस्ती के मोहम्मद कैफ (41 वर्ष) की मौत हो गयी। ऋषिकेश में गंगा के उफान पर आने से कई घरों में पानी आ गया। तट पर बसे लोगों को हटा दिया गया। भूस्खलन से मालदेवता में शेर की शिल्ला मोटर मार्ग, सौंग मार्ग ध्वस्त हो जाने से 80 गाँवों का देहरादून से सम्पर्क कट गया। घरों में जल भर जाने से लोग रात भर पानी निकालते रहे। बादल नदी के उफान में आने से फसलें तबाह हो गयीं। विकासनगर तहसील में व्यापक नुकसान हुआ। जनपद में 7 मनुष्य व 14 पशु मरे। 31 भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गये और 654 भवन क्षतिग्रस्त हुए। 11 मोटर मार्ग ध्वस्त हुए। सड़क व रेल मार्गों के अवरुद्ध हो जाने से हजारों यात्री जगह-जगह फँस गये।

 

चमोली


बद्रीनाथ मार्ग में लामबगड़ के पास गधेरा उफनाने से बाधित सैकड़ों यात्री फंसे। जिले में गाड़-गधेरों, नदियों के उफनने और भूस्खलनों से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आनाजाना ठप्प हो गया। सड़कें बंद होने से सितम्बर अन्त तक गैरसैंण, जोशीमठ, पोखरी, घाट, नारायणबगड़ आदि में आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गयी और खाद्यान्न आपूर्ति रामनगर-कर्णप्रयाग से करनी पड़ी। कामेट पर्वत पर आरोहण करने निकले अभियान दल के दो सदस्यों ले.कर्नल पूरन चन्द व मेजर मनीष गुसांई के बर्फीले तूफान के चपेट में आने से मौत हो गयी। जिले में 12 लोगों व 27 पशुओं की मृत्यु हो गयी। 7 मकान ध्वस्त व 21 क्षतिग्रस्त हो गये। 79 सड़कें टूट गयीं या अवरुद्ध हो गयी।

 

रुद्रप्रयाग


विकासखंड जखोली की सिलबढ़ पट्टी में एक महिला की चट्टान से गिरकर मौत हो गयी। मरदार पट्टी की ग्राम पंचायत जवाड़ी के त्यौघर से मलबा-पत्थर गाँव में घुस रहा है। त्योघर में 10 परिवार रहते हैं। तल्ला नागपुर के लादेला गाँव में भूस्खलन से गाँव को खतरा पैदा हो गया। फसल बर्बाद हो गयी, चोपता से लोदला पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होने लगी। जिले में पाँच दिनों तक विद्युत व संचार व्यवस्था ठप्प हो गयी। खाद्यान्न, फल-सब्जी, दूध, कैरोसीन, रसोई गैस, डीजल-पेट्रोल सहित आपूर्ति भी पाँच दिन से ठप्प रही। रुद्रप्रयाग में दो लोगों की जान चली गयी और 3 पशु मारे गये।

 

टिहरी


जिलाधिकारी राधिका झा के अनुसार जनपद में अतिवृष्टि से 6 लोगों की मौत, 179 मोटर मार्ग क्षतिग्रस्त, 62 पेयजल योजनायें ध्वस्त हो गयी। मोटर मार्गों के खोलने के लिये 45 जेबीसी लगाई गयी है। 161 सड़कें बंद हो गयी। 24 सितम्बर को टिहरी झील का पानी उतरने के बाद बड़कोट, पड़ागली, गौजियाणा, स्यूं, घोंटी, इंदरोला, पिलावी, सरपुल के ग्रामीण झील से बाहर निकल आये। एक दर्जन परिवारों को पुनर्वास के बगैर डुबा दिया। गाँवों तक आने वाली सड़कें टूट गयी हैं। पुनर्वास के लिये जमीन व मुआवजा न मिलने से अधडूबे घरों में रहना लोगों की मजबूरी हो गया। खेत खलिहान, भांडे बर्तन व अन्य सामान पानी में डूब गया। ढुंग मंदार व कोटी फैगुल के चार दर्जन से अधिक गाँव झील से अलग थलग हो गये। लोगों की सड़क मार्ग तक जाने के लिये 3 किमी. पैदल चलना पड़ा। घोंटी में भिलंगना पर बना पुल झील में डूब गया। 21 सितम्बर को टिहरी झील का जलस्तर 831 मीटर तक पहुँच गया था। जनपद में 7 मनुष्य और 39 पशु मरे। 104 मकान ध्वस्त व 299 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 56 मोटर मार्ग व 45 पुल-रपटें ध्वस्त हुए।

 

उत्तरकाशी


टिहरी डैम का जलस्तर बढ़ने के साथ ही उत्तरकाशी में चिन्याली पुल के बाद देवीसौड़ पुल भी बाँध के पानी में डूब गया। दिचली और गमरी पट्टी को जोड़ने वाले पुल के डूबने से दर्जनों गाँवों का सम्पर्क टूट गया। लोग टीएचडीसी की दो नावों के सहारे आर-पार जा रहे हैं। धरासू बैंड में सड़क पर दोनों ओर भूस्खलन से मध्य प्रदेश जबलपुर से आये लगभग 350 यात्री फँस गये। ब्रहमखाल में 28 मकान जमींदोज हो गये। उत्तरकाशी में 63 मार्ग बंद हैं। उत्तरकाशी को जोड़ने वाला ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग, जो 16 सितम्बर से कमांद व कण्डीसौंड़ के पास बंद था, 11 दिन बाद छोटे वाहनों के लिये खुल पाया और फँसे हुए तीर्थयात्री अपने गंतव्य को रवाना हो सके। उत्तरकाशी में 17 लोगों तथा 90 पशु अतिवृष्टि की भेंट चढ़े। 95 मकान पूर्ण ध्वस्त हो गये और 304 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये। 16 सड़कें व 114 पुल ध्वस्त हो गये।

 

पौड़ी


जिले में 3 सितम्बर तक 10 लोगों की मौत हुई और 800 भवनों को नुकसान पहुँचा। 50 पेयजल योजनायें ध्वस्त हो गयीं। यमकेश्वर ब्लॉक की ग्राम पंचायत कसाण में भूमि धँसने से 62 परिवार खतरे की चपेट में आ गये। इस गाँव को 2007 में ही विस्थापित करने का निर्णय लिया गया था। देवप्रयाग-श्रीनगर व ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग कई दिनों तक बाधित रहे। सैकड़ों वाहन तथा हजारों यात्री फँसे रहे। देवप्रयाग-जुयालगढ़ व देवप्रयाग के बीच सड़क 3 किमी. तक ध्वस्त हो गयी। श्रीनगर में पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होने से पानी का संकट हो गया। धूसिया, मदारेक, बांसवाड़ा व श्रीकोट के आसपास के इलाकों में मलबा भर जाने से मकान व दुकानें पट गयीं। एस. एस.बी. अकादमी के दर्जन से ज्यादा मकान ध्वस्त हो गये। विवि के म्यूजियम व ग्लास हाउस का निचला हिस्सा पूर्ण रूप से धँस गया। श्रीनगर से खांकरा के बीच सड़क कई मीटर धंस गई। झूलापुल से चौरास जाने का मार्ग तहस-नहस हो गया। विवि संग्रहालय टूटने से 50 लाख की क्षति हो गयी। 46 सालों का रिकॉर्ड तोड़ती बारिश से शहर से सटे उफल्टा से लेकर स्वीत तक की ऊपरी बेल्ट तहस-नहस हो गयी। बुधाणी रोड में भारी मलबा आने से निरंजनी बाग में अफरा-तफरी मच गयी। ग्रामीण इलाकों में धान की तैयार फसल व मलेथा की अधिकांश धान फसल बर्बाद हो गयी। कोट, बीरोंखाल, नैनीडांडा व पोखड़ा सड़कें बंद हो गयी। पोखड़ा ब्लॉक में संगलाकोटी क्षेत्र में सड़क टूटने से राशन के कई ट्रक फंसे हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में गैस नहीं पहुँच पा रही है। पौड़ी जिले में 17 लोग व 156 पशु मर गये। 120 मकान ध्वस्त व 1131 क्षतिग्रस्त हुए।

 

हरिद्वार


3-4 सितम्बर को हुई मूसलाधार बारिश से गंगदापुर, पंडितपुर, पीरापुरी, महाराजपुर छुई, भागपुर, बाड़ीटीप, महाराजपुर कलां, हबीबपुर कुंडी, बालाबाली सहित दर्जनों गांवों की 10 हजार से अधिक आबादी बाढ़ में घिर गई। सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गयी। लोगों का मानना है कि अवैध खनन से बाढ़ ने रौद्र रूप धारण किया। रुड़की-हरिद्वार राजमार्ग पर बहेड़ी गाँव में बाढ़ का पानी भर गया। जे.वी.सी. मँगा कर सड़क के पानी को काटा गया। सलेमपुर-दादपुर मार्ग भी अवरुद्ध हो गया। सिडकुल से नाले बह कर आने वाले पानी से 20 फीट सड़क को पानी ने काट दिया। बाढ़ का पानी पथरी पावर हाउस में घुसने से उसे बंद करना पड़ा। गंगा व सोनाली नदी की बाढ़ में डूबे लक्सर क्षेत्र के 100 से अधिक गाँवों में सेना, एनडीआरएफ व स्थानीय प्रशासन की टुकड़ियाँ राहत कार्य में जुटी। राजसी व बादशाहपुर गांव के राहत शिविरों में 5 हजार से अधिक लोगों को शरण लेनी पड़ी। लक्सर के दर्जनों गाँवों में भर गये बाढ़ के पानी की निकासी न हो पाने के कारण हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गयी। जनपद में 19 मनुष्य और 18 पशु मारे गये। 107 मकान पूरी तरह ध्वस्त और 1170 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 13 मोटर मार्ग प्रभावित हुए एक पुलिया बही।

 

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