उत्तराखंड

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हिमखंण्ड
Posted on 11 Sep, 2008 08:41 AM

पृथ्वी की सतह पर बर्फ के जमने से बने प्राकृतिक विशाल द्रव्य को हिमखण्ड कहते है। हिमालय में हजारों छोटे-बड़े हिमखण्ड है जो लगभग 3350 वर्ग किमी0 क्षेत्र में फैले है। कुछ विशेष हिम खण्डों का विवरण निम्नवत् है -

बनागी- यह नंदा देवी विशाल हिमखण्ड के निचले भाग में स्थित है जिससे ऋषि गंगा नदी बनती है।

हिमखंण्ड
प्राकृतिक जल स्रोत
Posted on 09 Sep, 2008 01:31 PM

पर्वतीय क्षेत्रों में भूगर्भ स्थिति के अनुसार, पर्वतों से भू-जल स्रोत बहते हैं। ऐसे स्रोत मौसमी या लगातार बहने वाले होते हैं।

कुछ तथ्य-

पर्वतीय क्षेत्रों में लगभग 60 प्रतिशत् जनसंख्या अपनी प्रतिदिन की जलापूर्ति हेतु जल-स्प्रिंग पर निर्भर है।

गत दो दशकों में पर्यावरण असंतुलन के कारण लगभग आधे जल-स्प्रिंग या तो सूख गये हैं या उनका बहाव बहुत कम हो गया है।

प्राकृतिक जल स्रोत
कृषि भूमि पर जल संरक्षण
Posted on 09 Sep, 2008 12:12 PM


'भूमि' एवं 'जल' प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई दो अनमोल सम्पदायें है जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीनकाल से करता आया है। परन्तु वर्तमान में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका संतुलन ही बिगड़ गया है तथा भविष्य में इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा।

नमी संरक्षण
बारिश का आधा पानी ही बुझा देगा उत्तराखण्ड की प्यास
Posted on 04 Sep, 2008 10:39 PM

जागरण/देहरादून/ उत्तराखंड में होने वाली बारिश की 50 फीसदी मात्रा से ही सूबे की न केवल 100 फीसदी प्यास बुझाई जा सकती है, बल्कि रोजाना की अन्य जरूरतों को भी पूरा किया जा सकता है। इसे समझकर ही नए नियम बनाए जा रहे हैं। सूबे में 'रूफ-टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग' की कवायद शुरू की गई है। वर्षा जल संग्रह का प्रावधान नए बनने वाले सरकारी व निजी भवनों के लिए अब अनिवार्य हो गया है।

रूफ-टाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग
सीढ़ीदार खेत (Terracing)
Posted on 04 Sep, 2008 09:52 AM

सीढ़ीदार खेत (Terracing)यह पहाड़ी ढ़लानों पर खेती करने की पीढ़ियों से चली आ रही सामान्य विधि है। इस विधि द्वारा ढाल की लम्बाई को तोड़कर / छोटाकर एवं ढ़ाल की तीब्रता को कम करके मृदा एंव मृदा नमी (Soil and Soil Moisture) का संरक्षण किया जाता है। सीढ़ीदार खेत सिंचाई जल का प्रभावी उपयोग हेतु भी आवश्

गंगा का एक परिचय
Posted on 01 Sep, 2008 02:08 AM

 

 

जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं के मुद्दे पर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं को लेकर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन में श्री जयसीलन नायडू, जो दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति व महान राजनीतिज्ञ श्री नेल्सन मंडेला जी के सरकार में मंत्री रह चुके हैं, देश के विभिन्न अन्य बुद्धिजीवी व पर्यावरणविद मौजूद रहेंगे। Posted on 07 Feb, 2023 10:24 AM

दिनांक : 12 - 14 फरवरी 2023

स्थान - मातृ सदन, जगजीतपुर, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखण्ड (भारत) 249408

जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं को लेकर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए देश-विदेश से कई गणमान्य हिस्सा लेने पहुँच रहे हैं। सम्मेलन में तीन सत्र हैं और तीनों में अलग अलग पहलुओं पर विचार किया जाएगा।

मातृ सदन
देहरादून और हरिद्वार में पानी की सर्वाधिक आवश्यकता:नितेश कुमार झा
Posted on 24 Nov, 2022 04:41 PM

मसूरी में चल रहे "सशक्त उत्तराखंड चिंतन शिविर में आज पेयजल सचिव नितेश कुमार झा ने नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि अभी राज्य में देहरादून और हरिद्वार दो ऐसे ज़िले हैं जहां पानी की सर्वाधिक आवश्यकता है। जिसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

सशक्त उत्तराखंड चिंतन शिविर, फोटो-Information Department, Dehradun
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