![सशक्त उत्तराखंड चिंतन शिविर, फोटो-Information Department, Dehradun](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/hwp-images/%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%A8%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%86%E0%A4%B5%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20_0_12.jpg?itok=dkJogva-)
मसूरी में चल रहे "सशक्त उत्तराखंड चिंतन शिविर में आज पेयजल सचिव नितेश कुमार झा ने नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि अभी राज्य में देहरादून और हरिद्वार दो ऐसे ज़िले हैं जहां पानी की सर्वाधिक आवश्यकता है। जिसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में पेयजल को लेकर वृहद स्तर पर जन जागरूकता की जरूरत है। इसके पीछे मंतव्य यही है कि ऐसे सक्षम लोग वहां पहुँचे जो स्थानीय नाले, खालों और तालाबों को गोद ले सकें। इसके अतिरिक्त वृहद पौधरोपण किया जाए ताकि जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकें।
सचिव पेयजल ने ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर जैसी नदी से कोसी, गोमती जैसी सूख रही नदियों को पुनर्जीवित करने की बात कही। इसके लिए पिंडर के पानी को चैनल कर कोसी, सरयू, गोमती आदि तक पहुँचाया जाए। ऐसा देश में पहली बार करने पर विचार किया जा रहा है।
प्रेजेंटेशन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीi द्वारा पौड़ी निवासी सचिदानंद भारती की सक्सेस स्टोरी दिखाने के साथ ही अल्मोड़ा के टुंडा चौरा गांव में स्थानीय निवासियों द्वारा नाले धारों को रिचार्ज करने सम्बन्धी काम पर भी विशेष चर्चा हुई।
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