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उत्तर प्रदेश
लोक-भारती संगठन की गोमती यात्रा (27 मार्च से 3 अप्रैल 2011 तक)
Posted on 11 Mar, 2011 10:48 AMगोमती का संकट-
गोमती का जन्म नागाधिराज हिमालय की तलहटी में पीलीभीत से 30 किमी. पूर्व तथा पूरनपुर (पुराणपुर) से 12 किमी. उत्तर माधौटाण्डा के निकट फुलहर झील (गोमतताल) से हुआ है। गोमती अपने उद्गम स्थल से पावन गंगा मिलन तक 960 किमी. की यात्रा में 22735 वर्ग किमी. जलग्रहण क्षेत्र का वर्षा-जल संजोकर वाराणसी-गाजीपुर के मध्य मार्कण्डेश्वर महादेव के पास गंगा मैया की गोद में समा जाती है। गोमती तो अपनी पूर्ण वत्सलता के साथ हमारी प्यास बुझाती, खेतों को पानी व धरती को हरियाली देती तथा मानवता की फुलवारी को भरपूर सींचती है।
लेकिन हमने क्या किया?
हमने अपने मल-मूत्र (सीवर), गन्ना व अन्य फैक्ट्रियों, अस्पतालों का जहरीला, बदबूदार पानी उसमें प्रवाहित किया, प्लास्टिक, पॉलीथीन, पूजन सामग्री अवशेष डालकर गोमती
गटर के पानी से भी ज्यादा जहरीला हुआ बनारस का गंगाजल
Posted on 07 Mar, 2011 02:09 PMबनारस के घाट पर अब गंगा स्नान करना महंगा पड़ सकता है। शिव की इस नगरी में पहुंचते-पहुंचते गंगा गटर के पानी से भी ज्यादा खतरनाक हो चुकी है। यह बात अब खुद प्रदेश सरकार के संबंधित अफसर और विभाग कहने लगे हैं। साल की शुरूआत यानी जनवरी में लगातार पांच दिन तक गंगा के पानी का सैंपल लेकर जब उसकी जांच कराई गई तो पता चला कि गंगा का पानी पीने लायक तो पहले ही नहीं था अब नहाने लायक भी नहीं बचा है। जो काशी में गंसरयू नदी भी खतरे में
Posted on 04 Mar, 2011 05:59 PMनदियों में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण आज तमाम नदियों का अस्तित्व खतरे में है। गंगा यमुना जैसी बड़ी नदियों के साथ ही छोटी नदियों की हालत तो और भी खराब है। इन छोटी नदियों की साफ सफाई की तरफ तो किसी का ध्यान भी नहीं है। इन्हीं नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सरयू नदी का अस्तित्व भी अब खतरे में है। रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश क
शुद्ध पानी दे मौला!
Posted on 28 Feb, 2011 09:46 AMपानी की शुद्धता जांचने के लिए ऐसे किट मुहैया कराये हैं जिनका केमिकल पानी में डालते ही रंग काला हो जाता है। मतलब पानी में भी कुछ काला है। इस कालेपन का थोड़ा पता अभी सोनभद्र, मिर्जापुर और बलिया सरीखे चुनिंदा जिलों में ही लग पाया है। नलों के जरिये पापी पेट में एईएस के पोषकों के अलावा आर्सेनिक और फ्लोराइड भी 5 से 30 फीसद तक जा रहा है। पैमाने पर यह मात्रा 2 फीसद तय है। फ्लोराइड के ज्यादा इस्तेमाल से कैल्शियम कम हो जाती है जिससे हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों की कार्यक्षमता घट जाती है। देश एका-एक उछल कर आर्थिक महाशक्ति बनने को बेकरार है। पर यह इतनी आसानी से कैसे सम्भव है।
दिसम्बर 2010 के दूसरे हफ्ते में बुद्ध की धरती कुशीनगर में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण की एक संगोष्ठी में स्वास्थ्य महानिदेशक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि और बाकी आला स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों के करीब 3 घंटे के तिलिस्मी कार्यक्रम में इतनी रहस्यमयी चर्चा हुई कि खजाने लुटने के डर से अंदरखाने से पत्रकारों को बेदलखल कर दिया गया। महज फोटोग्राफरों पर कृपा कर उन्हें सूटवाले नूरेचश्मों की मेज पर रखी ब्रांडेड शुद्ध पेयजल की बोतलों के साथ तस्वीरें खींचने की इजाजत दी गयी।
जल संचय पर सरकारो की संवेदनशून्यता
Posted on 23 Feb, 2011 09:41 AMबाराबंकी। एक ओर जहां अपने व्यक्तिगत खर्चे से आई.जी.मानवाधिकार महेन्द्र मोदी जल संचय की नयी तकनीक एवं अविष्कार करने में जुटे हुए हैं तो वहीं अरबो रुपये इस मद पर लुटाने वाली केन्द्र व राज्य की सरकारें संवेदन शून्य बनी हुई है। चाहिए तो यह था कि अपने सरकारी उपक्रम के इस पुर्जे को जो अपने सीमित संसाधनो से मानवजीवन के लिए अतिउपयोगी जल की आपूर्ति तथा उसके संचय में अपना तन मन धन लगाए हुए को सम्मानित कर
एक नहीं कई भगीरथों का प्रयास लाएगा रंग
Posted on 22 Feb, 2011 01:25 PM
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो गंगा के जल में सुधार आना शुरू हो गया है।
इलाहाबाद में गंगा के जल में कलर का मान 40 हैजेन से घटकर 30 हैजेन रह गया है। हालांकि गंगा निर्मलीकरण की दिशा में यह बहुत छोटी उपलब्धि है लेकिन छोटे-छोटे प्रयासों से ही बेहतर और सुखदायक नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
सरयू नदी की मौत का जिम्मेदार कौन?
Posted on 21 Feb, 2011 09:38 AMसरयू नदी सर्वेक्षण रिपोर्ट
तराई की नदियों का ध्वस्त होता पारिस्थितिकी तन्त्र !
...नदियों के जल-जीवन में चीनी उद्योग ने मचाई तबाही...!
शासन-प्रशासन की नाक तले नदियों में गिराये जा रहे हैं गन्दे नाले...!
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के तहत क्षेत्र पंचायत फतेहपुर चौरासी, जिला उन्नाव, द्वारा विकास कार्यों का मूल्यांकन
Posted on 16 Feb, 2011 12:06 PMत्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम पंचायतों की भांति क्षेत्र पंचायत की भी विकास कराने में अहम भूमिका होती है। क्षेत्र पंचायत में प्रति वर्ष लाखों रूपयों का बजट आता है जिससे क्षेत्र पंचायत के अंदर बड़े-बड़े कार्य कराये जाते हैं। ग्राम पंचायतों में सामाजिक अंकेक्षण से लेकर अन्य निगरानी ग्रामीण करते हैं परन्तु क्षेत्र पंचायत पर किसी का ध्यान नहीं जाता। फतेहपुर चौरासी विकास खण्ड के बीस वर्षों केगंगा एक्सप्रेसवे को मंजूरी नहीं
Posted on 16 Feb, 2011 09:26 AMलखनऊ गंगा एक्सप्रेस योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। मौजूदा पर्यावरणीय शर्तों के चलते राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने राज्य की मायावती सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। एक्सप्रेस वे का भविष्य अब केंद्र के पर्यावरण मंत्रालय के पाले में है, लेकिन महाराष्ट्र के लवासा प्रोजेक्ट व मुंबई की आदर्श सोसाइटी मामलों में पर्यावरण मंत्रालय के सख्त तेवरों को