उत्तर प्रदेश

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सरकारी नलों से बह रहा है आर्सेनिक ‘स्लो प्वॉइजन’ (Partial success story: Arsenicosis continues in Bahraich)
Posted on 14 Apr, 2016 12:01 PM
बहराइच…यूपी का वो जिला जो अपने खूबसूरत जंगलों और वाइल्ड लाइफ रिजर्व के लिये पूरे देश में जाना जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता और कल-कल करती बहती सरयू नदी लोगों को अपनी ओर खींच लेती है। लेकिन ऐसी सुन्दरता के बीच एक अभिशाप भी इस जिले को है। वो है यहाँ के पानी में आर्सेनिक की मात्रा। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक जिले की 194 ग्राम पंचायत के 523 मजरों के पानी की 2013 में जाँच की गई थी। जाँच में जो तथ्य सामने आये वो हैरान करने वाले थे। जाँच में पाया गया कि 50 फीसदी से अधिक पानी में आर्सेनिक तत्व थे। जो अपनी तय मात्रा से काफी ज्यादा था।

जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ मियाजॉकी और ईको फ्रेंड्स संस्था ने भी इस जिले के गाँवों में पानी में आर्सेनिक की जाँच की जो कि खतरनाक लेवल से ऊपर था।
प्रदूषण से प्रवासी पक्षियों ने भी तोड़ लिया है ग्रेनो से नाता
Posted on 08 Apr, 2016 01:50 PM
दिन ब दिन बढ़ती गर्मी के कारण अब इस तालाब का पानी सूखने लगा
हिंडन नदी कर रही तबीयत खराब
Posted on 07 Apr, 2016 01:25 PM
नदी के किनारे वृक्षारोपण कर प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशि
कांपती जुबानः मजबूत शब्द
Posted on 31 Mar, 2016 12:44 PM
मेरे सामने गाँव की पुरानी स्थायी व्यवस्था के बारे में जानने क
जल, जंगल और जमीन का जुनून: संजय कश्यप
Posted on 28 Mar, 2016 01:51 PM


वैसे तो वे एक वकील हैं, एक राजनीतिक दल के समर्पित कार्यकर्ता भी हैं, लेकिन उनके दिल और दिमाग में हर समय जो मचलता रहता है, वह है अपनी धरती को आधुनिकता से उपजे प्रदूषण से मुक्त करना। वे हिण्डन नदी बचाने के आन्दोलन में भी उतने ही सक्रिय रहते हैं जितना कि गौरेया संरक्षण में और उतना ही पाॅलीथीन प्रयोग पर पाबन्दी को लेकर। दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले में उनकी पहल पर कई ऐसे काम हो गये जो यहाँ के लाखों बाशिंदों को स्वच्छ हवा-पानी मुहैया करवाने में अनुकरणीय पहल हैं। संजय कश्यप ने एमबीए कर एक कम्पनी में प्रबंधन की नौकरी की और वह भी कश्मीर घाटी में वहाँ वे बाँध व जल प्रबंधन को नजदीक से देखते तो रहे, लेकिन कभी पर्यावरण संरक्षण जैसी कोई भावना दिल में नहीं उपजी।

तालाब बनेंगे दो हजार खेत
Posted on 27 Mar, 2016 12:36 PM
जसपुरा/बाँदा। बुन्देलखण्ड में सूखे से मुकाबले के लिये दो हजार तालाब खोदे जाएँगे। शासन का मानना है कि खेत में तालाब खोदे जाने से पानी एकत्र होगा। जो सिंचाई के काम आयेगा। उद्देश्य यह है कि इस योजना से जहाँ किसान जल संचयन कर खेती किसानी के लिये पानी का सिंचाई के लिये प्रयोग करेंगे वहीं घटते जलस्तर को सुधारा जा सकता है। साथ ही प्यासे जानवरों को भी पीने के लिये पानी की व्यवस्था हो जायेगी। शासन न
बेकार हो गई है सोन नहर
Posted on 19 Mar, 2016 04:06 PM
मध्य प्रदेश में अमरकंटक की पहाड़ियों से निकली सोन नदी उत्तर प
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