उत्तर 24 परगना जिला

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तैरती खेती : जलवायु संकट से प्रभावित भूमिहीन समुदायों की आजीविका के लिए जलमग्न भूमि का उपयोग
नदी मार्ग में गाद का जमाव जल निकासी को अवरुद्ध करता है, जिससे स्थायी जल भराव की समस्या (4000 हेक्टेयर/प्रति वर्ष) लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक पानी के साथ जीने के अलावा अन्य विकल्प नहीं है। अतः बांग्लादेश के दक्षिण मध्य जिलोंः बरिशाल, गोपालगंज, मदारीपुर, सतखीरा और पिरोजपुर के किसानों ने, अपने पुरखों से विरासत में मिली सदियों पुरानी, मृदा-रहित, स्थिर, उथले पानी पर तैरती खेती/कृषि (फ्लोटिंग एग्रीकल्चर), की बाढ अनुकूलित ऐतिहासिक प्रणाली को पुनर्जीवित किया है, जो कि इसी आर्द्रभूमि इलाके में लगभग 250 साल पहले विकसित हुई थी। इन तैरते खेतों की जरूरत अब लगभग पूरे साल ही रहती है। तैरती क्यारियों के रूप में प्राप्त 40% अतिरिक्त कृषि योग्य भूमि, भूमिहीन किसान के लिए आय के अवसर पैदा करती है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, इस पारंपरिक कृषि तकनीक पर भरोसा कर बांग्लादेशी किसान तैरती क्यारी के प्रति 100 वर्ग मीटर से S (डॉलर) 40/₹3280 का औसत लाभ कमाते हैं। Posted on 19 Jun, 2024 08:09 PM

बदलती "वैश्विक जलवायु" का प्रतिकूल प्रभाव हमारे जन-जीवन, पर्यावरण और कृषि व्यवसाय पर "जलवायु संकट" यानी घातक प्राकृतिक आपदाओं (तूफान, भारी वर्षा व हिमपात, बाढ़, सूखा और हिमस्खलन आदि) की बढ़ती आवृत्ति एवं तीव्रता के रुप में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। बाढ़ का मुख्य कारण, वैश्विक ऊष्मन है, जिससे गर्म हवा, अधिक जल वाष्प धारण कर सकती है। परिणामस्वरूप कम समय में भारी वर्षा हो रही है, जिससे मृदा क्षरण व

तैरते खेत (फोटो साभार - netzfrauen.org)
भारत के भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण : प्रमुख तथ्य
आर्सेनिक की उत्पत्ति आर्सेनोपाइराईट, ऑपींमेंट, रियलगर, क्लुडेटाइट, आर्सेनोलाइट, पेंटोक्साइड, स्कॉरोडाइट आर आर्सेनोपालेडाइटे जैसे खनिजों से हो सकती है। हालांकि, आर्सेनोपाइराइट को ज्यादातर शोधकर्ताओं द्वारा उल्लेखित किया गया है एवं यह भूजल में आर्सेनिक की अशुद्धि उत्पन्न करने वाला एक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध खनिज है। रेडॉक्स नियंत्रित वातावरण के तहत, यह आर्सेनिक तलछट (सेडीमेंट) से भूजल में निर्मुक्त हो जाता है। हिमालयी नदियों के डेल्टाई क्षेत्रों में पीने के पानी के स्रोतों में आर्सेनिक संदूषण देखने में आता है। इसकी वजह यह है कि हिमालय की चट्टानों से बहते पानी में आर्सेनिक घुलता जाता है। Posted on 15 Jun, 2024 03:38 PM

एक लंबी अवधि में अकार्बनिक आर्सेनिक की उच्च सांद्रता के सेवन से आर्सेनिकोसिस नामक क्रोनिक आर्सेनिक विषाक्तता हो सकती है। आर्सेनिक युक्त जल के सेवन से लक्षणों को विकसित होने में वर्षों का समय लगता है एवं यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि एक्सपोज़र का स्तर क्या है?

आर्सेनिक से स्वास्थ्य समस्याएं, फोटो साभार - ढाका ट्रिव्यून
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