सोनभद्र जिला

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सिंगरौली: बीमारियां बांटते ताप बिजली घर
Posted on 11 Dec, 2012 01:30 PM भारत का तापघर कहे जाने वाले सिंगरौली में कोयले का अकूत भंडार है और
पारे की चपेट में सोनभद्र
Posted on 29 Nov, 2012 02:10 PM पूरे देश में रोशनी के लिए विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करने वाला ऊर्जांचल के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का भविष्य मौत के अंधेर में डूब रहा है। यहां के लोग गंभीर बीमारियों के घेरे में हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने अपने अध्ययन में सोनभद्र के पानी, मिट्टी, अनाज और मछलियों के साथ-साथ यहां के रहवासियों के खून, नाखून और बाल के नमूने लेकर पर्यावरण और स्थानीय लोगों के शरीर
मनरेगा के नर्क में
Posted on 24 Nov, 2011 08:17 AM केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में मनरेगा के तहत किये जा रहे भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर सवाल उठाया है। जयराम रमेश ने कथित भ्रष्टाचार के लिए सोनभद्र जिले के जिस ग्राम सचिव राजेश चौबे का जिक्र किया है उस ग्राम सचिव ने मनरेगा में भ्रष्टाचार को अंजाम देने के िलए अधिकारियों के अलावा पत्रकारों का जमकर इस्तेमाल किया और करोड़ों रूपये की धोखाधड़ी कर दी। सोनभद्र से आवेश तिवारी की रिपोर्ट बता रही है कि मनरेगा के नर्क में किस तरह से पत्रकार और मीडिया घराने शामिल हैं।

भूखे नंगे उत्तर प्रदेश में मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार में नौकरशाहों और बाबुओं के साथ -साथ मीडिया भी शामिल रही है। पत्रकारों ने जहाँ अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपने भाई -भतीजों को मनरेगा के ठेके दिलवाए, वही अखबारों ने मुंह बंद रखने की कीमत करोड़ों रुपयों के विज्ञापन छापकर वसूल किये। मीडिया के इस काले - कारनामे में न सिर्फ बड़े अखबार
नरेगा
सोन नदी को बंधक बना लिया
Posted on 29 Jul, 2011 05:09 PM

लखनऊ, जून। अपने मुनाफे के लिए खनन, बालू, कोयला, वन, तेल माफियाओं ने सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली की जनता के जीवन को गहरे संकट में डाल दिया है। इस क्षेत्र में पर्यावरण व जल का गहरा संकट पैदा हो गया है। पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सोनभद्र जनपद में 264 व मिर्जापुर जनपद में मात्र 15 क्रशर प्लाट ही वैध है, बावजूद इसके हजारों की संख्या में अवैध क्रशर रात दिन पहाड़ों को तोड़ने में लगे हुए हैं। य

सोन नदी को बांधकर बालू का अवैध खनन
जंगल बचाने का संघर्ष
Posted on 14 Jul, 2011 08:07 AM

सोनभद्र, जुलाई। जनपद में सावन की दस्तक शुरू होते ही आदिवासी महिलाओं ने शासन प्रशासन को चुनौती दे डाली हैं। आदिवासी महिलाओं ने वनों के अंदर वनाधिकार कानून में निहित सामुदायिक अधिकारों के तहत 10000 से भी अधिक पौधों को लगाने का ऐलान किया है। इस कार्यक्रम की शुरुआत जिला मुख्यालय सोनभद्र से की गई। जिला मुख्यालय सैकड़ों की संख्या में पहुंची आदिवासी महिलाओं ने लाल व हरी साड़ी पहन रखी थीं।

शुद्ध पानी दे मौला!
Posted on 28 Feb, 2011 09:46 AM

पानी की शुद्धता जांचने के लिए ऐसे किट मुहैया कराये हैं जिनका केमिकल पानी में डालते ही रंग काला हो जाता है। मतलब पानी में भी कुछ काला है। इस कालेपन का थोड़ा पता अभी सोनभद्र, मिर्जापुर और बलिया सरीखे चुनिंदा जिलों में ही लग पाया है। नलों के जरिये पापी पेट में एईएस के पोषकों के अलावा आर्सेनिक और फ्लोराइड भी 5 से 30 फीसद तक जा रहा है। पैमाने पर यह मात्रा 2 फीसद तय है। फ्लोराइड के ज्यादा इस्तेमाल से कैल्शियम कम हो जाती है जिससे हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों की कार्यक्षमता घट जाती है। देश एका-एक उछल कर आर्थिक महाशक्ति बनने को बेकरार है। पर यह इतनी आसानी से कैसे सम्भव है।

दिसम्बर 2010 के दूसरे हफ्ते में बुद्ध की धरती कुशीनगर में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण की एक संगोष्ठी में स्वास्थ्य महानिदेशक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि और बाकी आला स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों के करीब 3 घंटे के तिलिस्मी कार्यक्रम में इतनी रहस्यमयी चर्चा हुई कि खजाने लुटने के डर से अंदरखाने से पत्रकारों को बेदलखल कर दिया गया। महज फोटोग्राफरों पर कृपा कर उन्हें सूटवाले नूरेचश्मों की मेज पर रखी ब्रांडेड शुद्ध पेयजल की बोतलों के साथ तस्वीरें खींचने की इजाजत दी गयी।

अमृत-जल बांटता एक चिकित्सक
Posted on 09 Feb, 2011 03:24 PM

 

इस वक्त हम है उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में। ये इलाका जिसे पंडित नेहरु ने भारत का स्विट्जरलेंड कहा था, विकास कि अंधी दौड़ में विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित और अभावग्रस्त क्षेत्रों में शामिल हो गया है। आदिवासी बहुल इस जनपद में प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन्ध दोहन से जिस चीज पर सर्वाधिक असर पड़ा वो था जल। जल के अभाव ने यहां के आदिवासी गिरिजनों को अकाल मौत के मुहाने पर ला खड़ा किया। इस बीच लगभग दो दशक पहले उम्मीद की एक किरण नजर आई वो उम्मीद थी डाक्टर रमेश कुमार गुप्ता के रूप में। एक प्रख्यात चिकित्सक और एक पर्यावरणविद् जिसने जलदान की अभिनव परम्परा शुरू कर जल संकट से त्राहि - त्राहि कर आदिवासी-गिरिजनों के जीवन को बदल कर रख दिया। डाक्टर गुप्ता द्वारा बनायी गयी बंधियां आज यहां के आदिवासियों के लिए अमृत कलश है। डॉ आर के गुप्ता से बात की आवेश तिवारी ने।

आवेश तिवारी -डाक्टर साहब ये बतायें सोनभद्र के आदिवासी क्षेत्रों में बंधियां बनाने की योजना आपके मन में कैसे आई ?
डॉ गुप्ता -हम शुरू में एक आश्रम में जाते थे ये मिर्चाधुरी स्टेशन से करीब दो किलोमीटर दूर गुलालीडीह गांव

water efforts
मनरेगा यानी कुछ भी चलेगा
Posted on 25 Aug, 2010 01:31 PM
उत्तर प्रदेश में अच्छे इरादों का बंटाधार कैसे होता है इसकी ताजा मिसाल है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना। जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट

सोनभद्र जिले के नगवां ब्लॉक में पड़ने वाले पड़री को सरकारी दस्तावेज नक्सल प्रभावित गांव बताते हैं। लेकिन यहां जाने पर पता चलता है कि गांव पर सरकारी उपेक्षा का प्रभाव भी कम नहीं। जर्जर मकान, कच्ची गलियां और उनमें नंगे बदन दौड़ते बच्चे इसकी गवाही देते हैं। इसी गांव में हमें परमल मिलते हैं। साइकिल पंचर जोड़कर जैसे-तैसे अपना परिवार पालने वाले परमल बताते हैं कि उनके एक बच्चे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत तब मजदूरी की जब वह पेट में था।

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प्रदूषण और अवर्षण से दम तोड़ रहा रिहंद
Posted on 30 Nov, 2009 09:01 PM

उत्तर भारत में उर्जा संकट बेकाबू होने का खतरा


अगली बरसात तक निर्बाध उत्पादन के लिए न्यूनतम जलस्तर को बनाये रखने के लिए जरुरी है कि बाँध के जल को संरक्षित रखा जाए। गौरतलब है कि न्यूनतम जलस्तर के नीचे जाने पर बिजलीघरों की कूलिंग प्रणाली हांफने लगती है, अवर्षण की निरंतर मार झेल रहे रिहंद की वजह से पिछले पांच वर्षों से ग्रीष्मकाल में ताप विद्युत् इकाइयों को चलाने में दिक्कतें आ रही थी, लेकिन इस वर्ष का खतरा ज्यादा बड़ा है।
प्रदूषण के अथाह ढेर पर बैठा रिहंद समूचे उत्तर भारत में अभूतपूर्व उर्जा संकट की वजह बन सकता है। लगभग 15,000 मेगावाट के बिजलीघरों के लिए प्राणवायु कहे जाने वाले रिहंद बाँध की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि आने वाले दिनों में रिहंद के पानी पर निर्भर बिजलीघरों से उत्पादन ठप्प हो सकता है। आज रिहंद बाँध यानि कि पंडित गोविन्दवल्लभपंत सागर जलाशय का स्तर 848.7 फिट रिकॉर्ड किया गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.7 फिट कम और वास्तविक न्यूनतम जलस्तर से मात्र 18.7 फिट अधिक है। अगली बरसात तक निर्बाध उत्पादन के लिए न्यूनतम जलस्तर को बनाये रखने के लिए जरुरी है कि बाँध के जल को संरक्षित रखा जाए
Rihand
गांव में मौतें, प्रशासन मना रहा है महोत्सव
Posted on 18 Nov, 2009 09:57 AM रिहंद बांध से लगे लभरी गांव में जहरीले पानी के चलते तेरह साल की सुनीता ने दम तोड़ दिया। लोग परेशान हैं, गांव वाले बेहाल थे तो दूसरी तरफ समूचा प्रशासन सोन महोत्सव में जश्न मना रहा था। और तो और कलेक्टर पंधारी यादव के पास इतनी फुरसत नहीं थी कि वे जश्न छोड़ जहरीले पानी से दम तोड़ रहे बच्चों के परिवार वालों से मिल पाते। जन संघर्ष मोर्चा ने आज इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर धरना दिया पर कलेक्टर को ज्ञापन इसलिए नहीं मिल पाया क्योंकि वे सोन महोत्सव में व्यस्त थे। जानने के लिए जान लें कि सोन भी लगभग सूख गयी है
सोनभद्र/लखनऊ, नवंबर। रिहंद बांध के जहरीले पानी से पिछले दो हफ्ते में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत के बाद अब सोनभद्र में आंदोलन शुरू हो गया है। रिहंद बांध के पानी में पहले जहां बिजली घरों का फ्लाई ऐश बहाया जाता था, वहीं अब कनौड़िया केमिकल्स का जहरीला कचरा बहाया जा रहा है। रविवार को रिहंद बांध से लगे लभरी गांव में इसी जहरीले पानी के चलते तेरह साल की सुनीता ने दम तोड़ दिया। लोग परेशान हैं, गांव वाले बेहाल थे तो दूसरी तरफ समूचा प्रशासन सोन महोत्सव में जश्न मना रहा था। और तो और कलेक्टर पंधारी यादव के पास इतनी फुरसत नहीं थी कि वे जश्न छोड़ जहरीले पानी से दम तोड़ रहे बच्चों के परिवार वालों से मिल पाते।
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