शिवपुरी जिला

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यहां मार्निंग वॉक पर निकलते हैं मगरमच्छ
Posted on 02 Oct, 2011 10:52 AM शिवपुरी/ग्वालियर। मध्यप्रदेश के इस शहर में मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों को अक्सर ऐसे साथी मिल जाते हैं जिन्हें देखते ही सुबह-सुबह उनके पसीने छूट जाते हैं। ये हैं शहर के करीब की जाधव सागर, माधव झील, चांदपाठा झील तथा गुर्जर तालाब में रहने वाले मगरमच्छ। बीते कुछ समय में माधव नेशनल पार्क की टीम शहर के भीतर से 35 मगरमच्छों को पकड़ चुकी है। बीते कई वर्षों से मगरमच्छों के आसपास रहते हुए लोगों को अब मगरम
मगरमच्छ
बुन्देलखण्ड की नदियाँ
Posted on 16 Feb, 2010 07:56 AM

बुन्देलखण्ड का पठारी भाग मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में 2406’ से 24022’ उत्तरी अक्षांश तथा 77051’ पूर्वी देशांतर से 80020’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इस पठार के अन्तर्गत छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर और भिण्ड जिलों के कुछ भाग आते हैं। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किलोमीटर का 5.4 प्रतिशत है। इसके पूर्वोत्तर में उत्तर प्रदेशीय बुन्देलखण्ड के जालौन, झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर और बाँदा, महोबा, चित्रकूट जिले हैं।

बुन्देलखण्ड का पठार प्रीकेम्बियन युग का है। पत्थर ज्वालामुखी पर्तदार और रवेदार चट्टानों से बना है। इसमें नीस और ग्रेनाइट की अधिकता पायी जाती है। इस पठार की समुद्र तल से ऊँचाई 150 मीटर उत्तर में और दक्षिण में 400 मीटर है। छोटी पहाड़ियाँ भी इस क्षेत्र में है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर है।

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पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 19 Sep, 2008 02:28 PM

सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में संभवत: यह सबसे मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है, जितना दिखता है। टिकाऊ पर्यावरण के बारे में जिस अवधारणा के साथ लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है, सिर्फ उस अवधारणा के अनुकूल परिस्थितियां ही तय सीमा में तैयार हो जाए, तो उपलब्धि ही मानी जाएगी।

environment
फ्लोराइड का जहर बच्‍चों में विकलांगता
Posted on 02 Aug, 2010 08:34 AM ग्राम बाकोड़ी में हैंडपंप से निकले पानी की किसी ने जांच नहीं की और
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना पर एक जमीनी अध्ययन
Posted on 04 Apr, 2010 12:33 PM आज से चार वर्ष पूर्व जबकि देश भर में रोजगार यात्रायें निकल रहीं थीं, उस समय इन यात्राओं में एक गीत गाया जाता था, जिसके बोल हैं ‘‘मेरे लिये काम नहीं’’। अंततः वर्ष 2005 में रोजगार गारंटी कानून आ गया और देश भर में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल भर में 100 दिन के काम की गारंटी मिली।
पानी का हिसाब-किताब
Posted on 01 Oct, 2009 08:17 AM शिवपुरी की छर्च पंचायत की सत्तर साल की विधवा पांचोनाय कुशवाहा के लिये जीवन के बचे हुये दिन किसी औपचारिकता से अधिक नहीं है। वह किसी जनकल्याणकारी योजना की पात्र नहीं है। आज वह सरकार द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्य के अन्तर्गत पानी रोकने वाली संरचना पर कठिन शारीरिक श्रम कर रही हैं। दिन भर तपती धूप में काम करने के बाद शाम को यदि उसने 100 क्यूबिक फिट की खंती बनाई होगी तभी उसे मिलेगी न्यूनतम मजदूरी वर्ना
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