शिवपुरी जिला

Term Path Alias

/regions/shivpuri-district

संकट में हैं महाभारतकालीन जलकुण्ड
Posted on 06 Aug, 2016 11:27 AM


शिवपुरी में महाभारतकालीन ऐसे 52 कुण्ड हैं, जो जलराशि से तो बारह माह भरे ही रहते हैं, नवग्रह मण्डल की सरंचना से भी जुड़े हुए थे। अब इन कुण्डों में से 20 कुण्ड अस्तित्व में हैं, जबकि 32 कुण्ड लुप्त हो चुके हैं।

भ्रष्टाचार में फंसे शौचालय
Posted on 01 Nov, 2014 10:45 AM मध्यप्रदेश में स्वच्छता के लिए चलाए गए अभियान को भ्रष्टाचार की बुरी नजर लग गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि स्वच्छता के लिए स्वीकृत की गई राशि भ्रष्ट कर्मचारी हजम कर रहे हैं। निर्मल भारत अभियान से लेकर स्वच्छता अभियान तक के नाम पर बड़ी रकम केन्द्र और राज्य शासन की ओर से स्वीकृत की गई थी। परन्तु गॉव शहर के गली मुहल्लों से लेकर पाठशाला तक हर तरफ आज भी पर्याप्त
<i>सेनिटेशन</i>
गांवों की स्वच्छता का सवाल
Posted on 11 Aug, 2014 04:43 PM सरकार चूंकि अपने विकास की प्राथमिकतायें खुद तय नहीं कर रही है, अब उ
शिवपुरी जलप्रदाय आवर्धन योजना
Posted on 14 Jan, 2014 01:42 PM योजना के तहत शुरूआत में 42 एमएलडी क्षमता की पंपिंग मशीनरी और 40 एम
हाथ में बैठे बैक्टीरिया से मिलेगी आज़ादी
Posted on 22 Aug, 2013 10:11 AM सेनिटेशनशिवुपरी के तानपुर एवं गुना के हरिपुर गांव के बच्चों के लिए इस साल का स्वतंत्रता दिवस यादगार बन गया। उन्होंने न केवल आजादी की 66वीं वर्षगांठ मनाई बल्कि हाथों में चिपककर बैठे
जवानी में ही बूढ़े दिखने लगे हतेड़ा गांव के लोग
Posted on 23 Apr, 2013 01:50 PM फ्लोराइड का असर, हाथ-पैर हो गए टेढ़े, कमर भी झुकी... और पीले होकर झडऩे लगे हैं दांत
बाल अधिकारों की उपेक्षा
Posted on 17 Dec, 2012 11:46 AM मध्यप्रदेश में बाल अधिकारों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है, जबकि बाल अधिकारों की उपेक्षा से पैदा होने वाली समस्याओं के कारण न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी मध्य प्रदेश की बदनामी हो रही है। मध्य प्रदेश उन राज्यों में से एक है, जहां सबसे ज्यादा बच्चों के खिलाफ हिंसा होती है, सबसे ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं, सबसे ज्यादा बच्चों की मौत होती हैं। कुपोषण, डायरिया एवं पानी के कारण होने वाली बीमारिय
मर्यादा बचाने को घर-घर में हो शौचालय
Posted on 15 Sep, 2012 03:47 PM महिलाओं की मर्यादा की बात मुंडेरी तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी भनक आसपास के गांवों को भी लग गई और कुछ ही समय में आसपास के कई ग्राम पंचायतों में अगुवा बहिनी बनकर महिलाएं स्वयं के घरों में शौचालय बनवाने के साथ-साथ दूसरे को भी प्रेरित करने का काम करने लगी हैं। शौचालय बनाने के लिए मंदिर में शपथ लेना बाध्यकारी नहीं है, बल्कि यह प्रतीकात्मक है, जिसकी जिस ईश्वर में आस्था है, वह उनकी शपथ ले रहा है। ‘‘गांव की नई नवेली दुल्हन दिन के उजाले में या घर आए मेहमानों के सामने किसी के सामने नहीं निकलती, पर जब शौच के लिए उसे खुले खेत, नदी या तालाब किनारे जाना पड़ता है, तो वह न केवल उसके लिए बल्कि पूरे घर के लिए अपमानजक स्थिति होती है। घर में शौचालय का होना सिर्फ स्वास्थ्य एवं स्वच्छता का मुद्दा नहीं हैं, बल्कि महिलाओं के सम्मान का मामला है।’’ मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के मुंडेरी गांव की पुष्पा का यह उद्गार कोई भाषण नहीं है, बल्कि उस अभियान की अवधारणा है, जिसका बीजारोपण पिछले साल 2 अक्टूबर को स्थानीय स्तर पर शिवपुरी जिले में किया गया था। इस अवधारणा को मध्यप्रदेश में राज्य स्तर पर अपनाया गया है, जिसे मर्यादा अभियान नाम दिया गया है।
जल संरक्षण में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी परियोजना की भूमिका
Posted on 28 Dec, 2011 09:53 AM प्राकृतिक जल संसाधन के स्रोत दिन-प्रतिदिन नष्ट होते चले जा रहे हैं। आज मनुष्य के सामने जल संकट एक विकराल समस्या के रूप में प्रकट हुआ है। हमारे देश में शुद्ध पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। हमारा देश नदियों का देश होने के बाद भी हमारे देश के कई भागों में आज शुद्ध पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यह समस्या सरकार के साथ-साथ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक चुनौति साबित हो रही है। बढ़ती जनसंख्या, औद
मनरेगा के तहत निर्मित चेकडैम का दृश्य
×