राजस्थान

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अफ्रीकी टिड्डों के हमले की आशंका
Posted on 17 Sep, 2010 02:01 PM


इस साल बारिश के सभी पुराने रिकार्ड टूट गए हैं। राजस्थान व गुजरात के वे इलाके जो बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं, के बाशिंदे बाढ़ से जूझ चुके हैं।

African locust
पेड़ नहीं घास बचाएगी रेगिस्तानीकरण से
Posted on 14 Sep, 2010 09:57 AM भारत का विशाल रेगिस्तान ‘थार‘ फैलता ही जा रहा है और यह प्रतिवर्ष करीब 12000 हेक्टेयर उपयोगी भूमि को या तो निगल रहा है या उसे खराब कर रहा है। इससे सचेत होकर राजस्थान सरकार ने राज्य प्रदूषण निवारण बोर्ड से पूछा है कि भूमि को खराब होने और भू क्षरण से कैसे रोका जा सकता है। बोर्ड द्वारा सूखी धरती पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित 200 शोध पत्रों के अध्ययन के पश्चात यह सुझाव दिया गया कि राज्य में व्यापक स्तर पर पेड़ों की बागड़ लगाई जाए। परंतु कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि यह कदम रेगिस्तान के संवेदनशील पर्यावरण को और अधिक बिगाड़ेगा। हड़बड़ी में किया गया कार्य कभी-कभी अच्छी भावना से किए गए कार्य को भी संदेह के घेरे में ले आता है। राजस्थान में रेगिस्तानीकरण को रोकने के लिए पेड़ों की बागड़ का विचार भी ऐसा ही एक कदम है। आवश्यकता इस बात की है कि पारंपरिक ज्ञान का सहारा लेकर और भूजल आधारित खेती को समाप्त कर रेगिस्तानीकरण रोकने की नई रणनीति बनाई जाए।

भारत का विशाल रेगिस्तान ‘थार‘ फैलता ही जा रहा है और यह प्रतिवर्ष करीब 12000 हेक्टेयर उपयोगी भूमि को या तो निगल रहा है या उसे खराब कर रहा है। इससे सचेत होकर राजस्थान सरकार ने राज्य प्रदूषण निवारण बोर्ड से पूछा है कि भूमि को खराब होने और भू क्षरण से कैसे रोका जा सकता है। बोर्ड द्वारा सूखी धरती पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित 200 शोध पत्रों के अध्ययन के पश्चात यह सुझाव दिया गया कि
खेजड़ी रेगिस्तान की शान
Posted on 25 Aug, 2010 10:03 AM
- खेजड़ी और ऊंट अगर रेगिस्तान में नहीं होते तो न यहां जानवर रहते, न ही आदमी बसते। दूर-दूर तक सिर्फ बियाबान होता। सूंसाट करती हवाएं चलती।
- आदमी की आंखे दरख्त देखने को तरस जातीं। रेगिस्तान की सरजमी पर खड़े खेजड़ी के पेड़ सचमुच वरदान हैं।
- कभी रेगिस्तान में जाइए तो वहां के खुले मैदानों में तपती लू और प्रचंड ताप में खेजड़ी सीना ताने खड़ी नजर आती है।

कटे डंठलों की नमी से जुड़ना
Posted on 13 Aug, 2010 09:41 AM

जोबनेर में अंग्रेजी राज के समय ही कृषि की आधुनिक पढ़ाई की शुरूआत हो गई थी। वहां की रियासत के राजा ने, ठिकानेदार ने अपने एक महल को कृषि महाविद्यालय खोलने के लिए दान में दिया था। आजादी के बाद यहां आधुनिक कृषि शिक्षा का विस्तार हुआ। आज इस क्षेत्र से न जाने कितनी तरह के शोध होते हैं। पर किसान के इस कौशल की ओर हमारे नए कृषि पंडितों का अधिकारियों का, किसी का भी ध्यान नहीं जा पाया है।

पिछले साल इन्हीं दिनों की बात है। हम लोग राजस्थान के जोबनेर क्षेत्र से निकल रहे थे। सड़क के दोनों तरफ खेतों में गेहूं कट चुका था। अभी पूले खलियान में नहीं पहुंचे थे। सारा दृश्य वही तो था जो बैसाखी के आसपास गेहूं के खेतों से गुजरते हुए दिखता था।

नहीं। सारा दृश्य वैसा नहीं था। यहां खेतों में कुछ नया-सा, कुछ अटपटा-सा दिख रहा था। और जगहों से कुछ ज्यादा व्यवस्थित, कुछ अलग, कुछ विचित्र सुंदरता लिए। हमारी गाड़ी थोड़ी तेज रफ्तार से भाग रही थी। फिर भी जोबनेर के इन खेतों की कोई एक अलग विशेषता हमारी आंखों को ब्रेक-सा लगा रही थी। यहां केवल गेहूं नहीं था। यहां तो कनक यानी सोना बिखरा हुआ था, चारों तरफ। इस सोने के भंडार का आकर्षण, खिंचाव इतना तेज था
wheat crop
पनघटः परंपरा बिना कैसे बचे पानी
Posted on 29 Jul, 2010 11:15 AM “यह परंपरा धर्म से जुड़ती है, लोक-जीवन से जुड़ती है। पानी का दुरूपयोग न करने का
खुशहाली की भगीरथी बहा रही है माही
Posted on 17 Jul, 2010 10:51 AM
देश में हरित क्रान्ति की श्रृंखला में माही बजाज सागर परियोजना एक अनमोल कड़ी है। विश्व की बडी नदियों ने कई प्राचीन सभ्यताओं को जन्म दिया है किन्तु वागड प्रदेश में बहने वाली गंगा रूपी माही नदी ने एक ऎसी आधुनिक सभ्यता को जन्म दिया जो आदिवासियों के उत्थान की गाथा तो कहती ही है, क्षेत्र के विकास का संगीत भी सुना रही है।
चिंता में शामिल नहीं पानी
Posted on 16 Jun, 2010 11:10 PM
मानसून के आगमन से पहले ही राजस्थान व अन्य राज्यों के कुछ इलाकों में बारिश हुई। यह पुरानी बात है कि जैसे ही बारिश शुरू होती है, लोग पानी के बारे में सोचना छोड देते हैं और भूल जाते हैं कि पानी का संकट स्थाई है। वास्तव में राजस्थान में सूखे के हालात हैं। राज्य के 33 प्यासे जिलों मेें ट्रेनों और टैंकरों से पानी की आपूर्ति हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भीलवाडा और पाली जिलों में पेयजल की आपूर्ति र
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा..........!
Posted on 16 Apr, 2010 04:48 PM
जल के लिए जंग,
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