अशोक राही

अशोक राही
खेजड़ी रेगिस्तान की शान
Posted on 25 Aug, 2010 10:03 AM

- खेजड़ी और ऊंट अगर रेगिस्तान में नहीं होते तो न यहां जानवर रहते, न ही आदमी बसते। दूर-दूर तक सिर्फ बियाबान होता। सूंसाट करती हवाएं चलती।
- आदमी की आंखे दरख्त देखने को तरस जातीं। रेगिस्तान की सरजमी पर खड़े खेजड़ी के पेड़ सचमुच वरदान हैं।
- कभी रेगिस्तान में जाइए तो वहां के खुले मैदानों में तपती लू और प्रचंड ताप में खेजड़ी सीना ताने खड़ी नजर आती है।

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