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पश्चिम बंगाल
जलवायु परिवर्तन तथा नदियों के संकट पर संवाद गोष्ठी
Posted on 29 Feb, 2024 11:27 AMलखनदेई बचाओ संघर्ष समिति तथा सर्वोदय मंडल के तत्वावधान में गांधी मैदान सीतामढी में दुनिया के सबसे ज्वलंत मुद्दे "जलवायु परिवर्तन तथा नदियों का संकट "विषय पर एक संवाद गोष्ठी लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति तथा सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष डा आनन्द किशोर की अध्यक्षता में आयोजित हुई ।डा किशोर ने जलवायु परिवर्तन पर देश-दुनिया तथा इण्डिया सोशल फोरम तथा वर्ल्ड सोशल फोरम की चिन्ता के साथ लखनदेई पुनर्जीवन तथा बाग
जलांगी नदी को पश्चिम बंगाल चुनाव में 58 वोट मिले
Posted on 18 Jul, 2023 01:01 PMपश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने। दो उम्मीदवार लड़े, एक जीता, एक हारा। ‘जलांगी नदी सोसायटी’ द्वारा नामित निर्दलीय उम्मीदवार तारक घोष राजनीतिक क्षेत्र में 'मुझे नदी के लिए वोट चाहिए' कहकर जलांगी नदी को बचाने के लिए लड़े। दूसरी ओर, ‘तापती मैती’ एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में पर्
जलवायु संकट : कृषि, पशुपालन व जीवनयापन की कठिनाइयां
Posted on 08 Nov, 2011 01:46 PMनदियों का जलस्तर बढ़ जाने के कारण ऐसे उथले स्थान अब कम हो गए हैं जहाँ से ये मछुआरे मछली पकड़ा करते थे। नदियों के किनारों पर मिट्टी और गाद जमा होने के कारण बीच में उनकी गहराई बढ़ गई है। इस क्षेत्र की नदियों में पाई जाने वाली मछलियों की कई प्रजातियाँ जैसे हिल्सा, पॉम्फ्रेट, मेकरिल, चकलि (क्षेत्रीय नाम), बॉल (क्षेत्रीय नाम), सिम्यूल (क्षेत्रीय नाम), मेड (क्षेत्रीय नाम), तारा आदि की संख्या बहुत कम हो गई है।
मैं जिला 24 परगना, सुंदरवन के बड़े विकासखंडों में से एक पाथर प्रतिमा का किसान नेता अनिमेश गिरि हूँ। यहाँ रहने वाले अधिकांश लोग छोटे किसान और मछुआरा समुदाय के हैं। चक्रवात, मिट्टी की अत्यधिक लवणता और पानी के भराव ने हमारे गांव सहित पूरे सुंदरवन को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है।सुंदरवन संसार के सबसे असुरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्रों में से एक है। यहाँ किसी न किसी प्राकृतिक आपदा के आने का डर हमेशा ही बना रहता है। यह एक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहाँ मीठा पानी, दलदल और विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों से भरा हुआ जंगल है, जो 10 हजार किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। निम्न स्तर का विकास, आधारभूत संरचनाओं का अभाव, अत्यधिक गरीबी, ऊर्जा की मांग अत्यधिक होने के बाद भी उसकी कम उपलब्धता, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, संक्रामक और पानी से होने वाली बीमारियों डायरिया, मलेरिया आदि की अधिकता इस क्षेत्र की कमजोरियाँ बन चुकी हैं।