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नदियों के रास्ते जर्मनी की खोज
Posted on 03 Nov, 2010 09:17 AM


जर्मनी को कुदरत के विलक्षण उपहार के रूप में मिली नदियां यहां के लोगों की आत्मा की तरह हैं और प्रेरणा भी। सैलानियों के लिए यह नदियों के रास्ते जर्मनी की एक अविस्मरणीय खोज बन सकती है। आइये इनकी यात्रा पर निकलें।

नदियों पर टेढ़ी होती मौसम की नजर
Posted on 03 Nov, 2010 08:58 AM


एशिया में जल स्तर तेज़ी से असंतुलित हो रहा है। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से आने वाले वर्षों में भारत में कई नदियां सूखे मैदान में तब्दील हो सकती हैं। संकट के लक्षण दिखने लगे हैं।

केंद्र ने किया पोलावरम परियोजना का समर्थन
Posted on 29 Oct, 2010 08:46 AM नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद की जड़ गोदावरी नदी पर बनने वाली पोलावरम इंद्रा सागर परियोजना का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। केंद्रीय जल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में परियोजना को मंजूरी का समर्थन करते हुए कहा है कि डूब से बचने के लिए जरूरी उपाय किए जा सकते हैं। आयोग ने यह हलफनामा परियोजना का विरोध करने वाले उड़ीसा राज्य के मुकदमे में दाखिल कि
अलकनंदा पर रद्द हुआ पनबिजली प्रोजेक्ट
Posted on 25 Sep, 2010 01:20 PM नई दिल्ली।। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में अलकनंदा पर प्रस्तावित 320 मेगावॉट की कोटली-भेल-1बी परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी खारिज कर दी गई है। पहाड़ की नदियों, जंगलों और संस्कृति को बचाने की लड़ाई लड़ रहे जन संगठनों ने राष्ट्रीय पर्यावरण अपीलीय प्राधिकरण (एनईएए) के इस फैसले पर खुशी जताई है।
जोशीमठ: सुरंग निर्माण में फूटे स्रोत से खतरे में जनजीवन
Posted on 07 Sep, 2010 11:38 AM
जल लघु विद्युत योजनाएं सरहदी क्षेत्र जोशीमठ के लिए प्राणघातक बन रही हैं। 400 मेगावाट विष्णुप्रयाग योजना ने पास के चाँई गांव को लगभग नष्ट कर दिया है। अब 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड़ योजना, जिसे एन. टी.पी.सी.
पंचेश्वर बाँध: झेलनी ही होगी एक और बड़े विस्थापन की त्रासदी
Posted on 07 Sep, 2010 11:17 AM
सैकड़ों बाँधों से लगभग पूरा नक्शा ही काला हो गया था। बाँधों से उभरी यह कालिख प्रतीकात्मक रूप में तथाकथित ऊर्जा प्रदेश के भविष्य को भी रेखांकित करती है।
पानी पर गलत बयानी
Posted on 30 Aug, 2010 09:05 AM महाराष्ट्र के जलसंसाधन मंत्री की विदर्भ में ताप विद्युतगृहों के विरुद्ध चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमरावती शहर के सीवेज के पानी के इस्तेमाल को लेकर भ्रामक घोषणा से पूरे इलाके में असंतोष व गुस्सा फैल गया है। इस आलेख से यह स्पष्ट होता है कि पानी की जबरदस्त कमी ने अब गंदे पानी की मिल्यिकत प्राप्त करने के भी कई दावेदार खड़े कर दिए हैं। महाराष्ट्र के अमरावती ताप विद्युतगृह का वर्षों से सार्वजनिक विरोध हो रहा है। विदर्भ क्षेत्र के किसानों को डर है कि यह विद्युत संयंत्र अपर-वर्धा सिंचाई परियोजना से पानी लेगा। गत 17 जून को इस विषय में अचानक ही समझौते के आसार नजर आने लगे। राज्य के जलसंसाधन मंत्री अमरावती के नागरिक प्रतिनिधियों और राजनीतिज्ञों से मिले और इस दौरान उन्होंने यह घोषणा कि यह ताप विद्युतगृह अपरवर्धा के पानी को छुएगा भी नहीं और इसके बदले यह अमरावती शहर के सीवरेज के पानी को रिसाइकल कर इस्तेमाल करेगा।

बांधों को लेकर फिर बवाल
Posted on 14 Aug, 2010 10:30 AM
उत्तराखंड सरकार ने किए 56 जलविद्युत परियोजनाओं के आबंटन रद्द
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