नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद की जड़ गोदावरी नदी पर बनने वाली पोलावरम इंद्रा सागर परियोजना का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। केंद्रीय जल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में परियोजना को मंजूरी का समर्थन करते हुए कहा है कि डूब से बचने के लिए जरूरी उपाय किए जा सकते हैं। आयोग ने यह हलफनामा परियोजना का विरोध करने वाले उड़ीसा राज्य के मुकदमे में दाखिल किया है।
केंद्रीय जल आयोग का नजरिया महत्वपूर्ण है क्योंकि थोड़े ही दिन पहले उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने परियोजना को मंजूरी देने से कुछ गावों के डूबने की आशंका जताई थी और मंजूरी का विरोध किया था। आंध्र प्रदेश इस परियोजना को पूरा करना चाहता है।
हलफनामे में कहा गया है कि वर्ष 1980 में गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले में इस परियोजना से संबंधित हर मुद्दे का निराकरण किया गया था जिसमें डूब का मुद्दा भी शामिल था। आयोग का कहना है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गत वर्ष जनवरी में परियोजना को स्वीकार करते समय आंध्र प्रदेश से कहा था कि वह ऐसे उपाय सुनिश्चित करे कि छत्तीसगढ़ या उड़ीसा का कोई भी क्षेत्र डूब का शिकार न हो।
जल आयोग ने उड़ीसा के गांवों के डूबने की आशंका का जवाब देते हुए कहा है कि इस परियोजना से बाढ़ आने की संभावना नहीं है क्योंकि 141435 क्यूसेक पानी वहन करने की क्षमता प्रस्तावित मार्ग में है। ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए बांध में सुरक्षा उपायों को जांच लिया गया है। आंध्र प्रदेश इस बात की पुष्टि करे कि परियोजना की मंजूरी लेते समय प्रभावित हो रही जनसंख्या और परिवारों के पुनर्वास के जो आंकड़े दिए गए थे, उनमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि यह एक बहुद्देश्यीय परियोजना है। इससे गांवों को जलापूर्ति होगी, 4.36 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी और 360 मेगावाट बिजली भी पैदा होगी। योजना आयोग ने इसके लिए जरूरी मंजूरी गत वर्ष फरवरी में ही दे दी थी।
केंद्रीय जल आयोग का नजरिया महत्वपूर्ण है क्योंकि थोड़े ही दिन पहले उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने परियोजना को मंजूरी देने से कुछ गावों के डूबने की आशंका जताई थी और मंजूरी का विरोध किया था। आंध्र प्रदेश इस परियोजना को पूरा करना चाहता है।
हलफनामे में कहा गया है कि वर्ष 1980 में गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले में इस परियोजना से संबंधित हर मुद्दे का निराकरण किया गया था जिसमें डूब का मुद्दा भी शामिल था। आयोग का कहना है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गत वर्ष जनवरी में परियोजना को स्वीकार करते समय आंध्र प्रदेश से कहा था कि वह ऐसे उपाय सुनिश्चित करे कि छत्तीसगढ़ या उड़ीसा का कोई भी क्षेत्र डूब का शिकार न हो।
जल आयोग ने उड़ीसा के गांवों के डूबने की आशंका का जवाब देते हुए कहा है कि इस परियोजना से बाढ़ आने की संभावना नहीं है क्योंकि 141435 क्यूसेक पानी वहन करने की क्षमता प्रस्तावित मार्ग में है। ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए बांध में सुरक्षा उपायों को जांच लिया गया है। आंध्र प्रदेश इस बात की पुष्टि करे कि परियोजना की मंजूरी लेते समय प्रभावित हो रही जनसंख्या और परिवारों के पुनर्वास के जो आंकड़े दिए गए थे, उनमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि यह एक बहुद्देश्यीय परियोजना है। इससे गांवों को जलापूर्ति होगी, 4.36 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी और 360 मेगावाट बिजली भी पैदा होगी। योजना आयोग ने इसके लिए जरूरी मंजूरी गत वर्ष फरवरी में ही दे दी थी।
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