मध्य प्रदेश

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चुटका के बहाने शहरों से एक संवाद
Posted on 11 Jun, 2013 04:01 PM अधिसूचना में जहां बड़े बांधों पर पूरी तरह से रोक की बात है वहीं 25 मेगावाट से छोटे बांधों को पूरी तरह से हरी झंडी देने का प्रयास है। अस्सीगंगा में 4 जविप निर्माणाधीन हैं जो 10 मेगावाट से छोटी हैं। जिनमें एशियाई विकास बैंक द्वारा पोषित निमार्णाधीन कल्दीगाड व नाबार्ड द्वारा पोषित अस्सी गंगा चरण एक व दो जविप भी है। उत्तरकाशी में भागीरथीगंगा को मिलने वाली अस्सीगंगा की घाटी पर्यटन की दृष्टि से ना केवल सुंदर है वरन् घाटी के लोगो को स्थायी रोज़गार दिलाने में भी सक्षम है।मध्य प्रदेश के जबलपुर, भोपाल, इंदौर सहित अन्य शहरों में रहने वाले निवासियों को यह पता भी नहीं होगा कि मंडला के पांच गांवों में 10 अप्रैल से 24 मई 2013 के बीच में क्या-क्या हुआ? मंडला जिले में राज्य सरकार चौदह सौ मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए दो परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगा रही है। नियम यह कहता है कि इस परियोजना की स्थापना के लिए ऐसा अध्ययन किया जाना चाहिए जिससे इस परियोजना के पर्यावरण यानी हवा, पानी, जमीन, पेड़-पौधों, चिड़िया, गाय, केंचुओं, कीड़े-मकोड़ों आदि पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी मिल सके और सरकार-समाज मिल कर यह तय करें कि हमें यह संयंत्र लगाना चाहिए कि नहीं। चुटका के लोगों और संगठनों ने पूछा कि राजस्थान के रावतभाटा संयंत्र की छह किलोमीटर की परिधि में बसे गांवों में कैंसर और विकलांगता पर सरकार चुप क्यों है? क्या यह सही नहीं कि इन संयंत्रों से निकलने वाले रेडियोधर्मी कचरे का यहीं उपचार भी होगा और वह जमीन में जाकर 2.4 लाख वर्षों तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता रहेगा?
भोपाल में 18 जून से 22 जून तक नर्मदा जीवन अधिकार सत्याग्रह एवं उपवास
Posted on 11 Jun, 2013 03:28 PM तारीख : 18-22 जून 2013
स्थान : भोपाल


इंदौर (सप्रेस)। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जारी विज्ञप्ति में चित्तरूपा पालित, आलोक अग्रवाल, कलाबाई, रामविलास राठौर, कैलाश पाटीदार एवं गोविंद रावत ने बताया कि नर्मदा घाटी में बन रहे विशालकाय ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों से विस्थापित होने वाले हजारों लाखों प्रभावितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है। इस अन्याय के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले इकट्ठे होकर विस्थापित किसान मजदूर, महिला-पुरुष पिछले कई सालों से लम्बा संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष के कारण हाल ही में ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों ने एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है पर ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों के हजारों परिवारों को उनके पुनर्वास के अधिकार मिलना बाकी है। इसलिए इन बांधों के हजारों प्रभावित आगामी 18 जून से 22 जून तक पांच दिन भोपाल में डेरा डालेंगे और कुछ प्रभावित पांच दिन का उपवास करेंगे।

ज्ञातव्य है कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य सरकार ने पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक भी किसान को जमीन नहीं दी और अपना एक भी कर्तव्य पूरा नहीं किया है।
मैं गरीब हूं..
Posted on 03 Jun, 2013 11:16 AM यह कहानी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले की है, जहां पिछले दिनों जिला प्र
कृषि नीति और खाद्य सुरक्षा से जुड़े विषयों के जाने माने विशेषज्ञ डा.देविंदर शर्मा के साथ संवाद
Posted on 02 Jun, 2013 10:38 AM

06 जून 2013 को जरूर आईये/ भोपाल


विकास संवाद समय-समय पर विभिन्न मसलों के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में मीडिया-कर्मियों के साथ संवाद का आयोजन करता रहा है। यह हम सभी का अपना फोरम है। इसमें हमने देश और समाज के सामने मौजूद मुद्दों पर अपनी राय रखी है, साथ ही इन्‍हें गहराई से समझा भी है।

आगामी छह जून 2013 को कृषि और विश्‍व व्‍यापार मामलों के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा भोपाल में होंगे। उनकी मौजूदगी पर विकास संवाद ने आप सभी मीडिया के साथियों के साथ ‘कृषि की मौजूदा बदहाली और खाद्य सुरक्षा – उपज के बाजार मूल्‍यों को प्रभावित करती नीतियां (सरकारी हस्‍तक्षेप के बरक्‍स)’ विषय पर एक अनौपचारिक संवाद का आयोजन किया है।

जैसा कि हम जानते हैं कि सरकारी समर्थन से देश में गेहूं-चावल की पैदावार तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन दाल, तिलहन, ज्‍वार-बाजरा और बारीक अनाजों को सरकार की ओर से कोई प्रोत्‍साहन नहीं मिल रहा है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों को लगातार बढ़ावा मिलते रहने से खेती की लागत भी बढ़ रही है। सरकार ने संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश कर दिया है। इसमें नकद राशिके हस्‍तांतरण की बात है।
इंदिरा सागर बांध को 260 मीटर से ज्यादा भरना गैरकानूनी
Posted on 31 May, 2013 09:13 AM अग्रवाल ने चेतावनी दी कि बिना जमीन और पुनर्वास के वे डूब नहीं आने देंगे और सागर परियोजनाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ ऐसे कोई गैर कानूनी कदम उठाने का प्रयास किया जाएगा तो हजारों विस्थापित और उनके साथ देश भर के लोग पानी में उतरेंगे।नर्मदा बचाओ आंदोलन ने कहा है कि नर्मदा घाटी के खंडवा जिले के इंदिरा सागर बांध को 260 मीटर से अधिक भरने पर कानूनी रोक है। आंदोलन ने चेतावनी दी है कि यदि विस्थापितों के हितों की अनदेखी की गई तो जल सत्याग्रह शुरू किया जाएगा।

आंदोलन के प्रवक्ता आलोक अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि गत चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिना पुनर्वास के इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने पर मध्य प्रदेश सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा था। लेकिन पांच महीने के बाद भी प्रदेश सरकार ने जवाब नहीं दिया है। इससे साफ है कि सरकार सैकड़ों घरों व खेतों को गैर कानूनी डूब की सच्चाई न्यायालय के सामने नहीं रख पा रही है। अग्रवाल ने उन खबरों को आधारहीन बताया कि इंदिरा सागर बांध में 262 मीटर तक पानी भरा जाएगा। उन्होंने कहा कि वासितविकता यह है कि बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने पर कानूनी रोक है। गत वर्ष 262 मीटर तक भरा गया पानी पूरी तरह अवैध था। प्रदेश सरकार की यह कार्रवाई हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ थी। इसके खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। उस पर न्यायालय की ओर से जवाब मांगने पर भी सरकार ने अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया है।

प्रस्तावित ‘‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना” की जनसुनवाई स्थगित
Posted on 27 May, 2013 02:54 PM

सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का कारण दिया


‘‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना‘‘ को संसार भर के और भारत की स्थापित परियोजनाओं के आधार पर तत्काल निषेध करे। बरगी बांध से विस्थापितों की समस्याओं पर एक निष्पक्ष समिति बने और भूमि आधारित पुनर्वास तथा बरगी जलाशय पर विस्थापितों का अधिकार तय किया जाये। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने विशालकाय बरगी बांध के किनारे प्रस्तावित ‘‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना‘‘ की 24 मई को होने वाली जनसुनवाई कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने के अंदेशे के कारण ज़िलाधीश ने स्थगित कर दी है। इसके लिये चुटका संघर्ष समिति, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बरगी बांध विस्थापित संघ के साथियों को विशेष बधाई।

चुटका परमाणु बिजली-घर के खिलाफ संघर्ष रंग लाया
Posted on 26 May, 2013 10:27 AM

मध्यप्रदेश का चुटकी जैसा दिखने वाला गांव चुटका, अब देश-दुनिया में मिसाल बन गया है। यहां के मामूली से दिखने वाले लोगों ने अपनी ताकत से सरकार को झुका दिया है। भारी जन दबाव को देखते हुए चुटका परमाणु बिजली-घर की पर्यावरण मंजूरी के लिए 24 मई को होने वाली जन सुनवाई को रद्द करना पड़ा। इसके लिए प्रशासन ने भारी खर्च करके सर्वसुविधायुक्त भव्य टेंट लगाया था लेकिन उसे उखाड़कर वापस ले जाना पड़ा।

movement against chutka nuclear power plant
जंगल-ज़मीन बचाने के लिए सतपुड़ा में आंदोलन
Posted on 15 May, 2013 03:46 PM जल, जंगल, ज़मीन और जीवन बचाओ की इस रैली में रंगबिरंगी पोशाकों में म
satpura movement
गुणवत्ता प्रभावित ग्रामों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध करने हेतु “शाफ्ट वेल” का सफल प्रयोग
Posted on 14 May, 2013 09:43 AM आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में विकासखंड मंडला के ग्राम तिलईपानी में फ्लोराइड का प्रभाव देखा गया जो राष्ट्रीय स्तर पर समस्या प्रकाश में आई और शासन द्वारा, नर्मदा नदी से फिल्टर प्लांट के माध्यम से पेयजल ग्रामवासियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी कड़ी में केंद्र शासन व राज्य शासन के सहयोग से मंडला समूह नल जल प्रदाय योजना के माध्यम से नर्मदा नदी में इन्टेंकवेल से जल शुद्धिकरण संयंत्र बनाकर सिद्ध बाबा
नर्मदा के पानी से मिलेगा क्षिप्रा को नया जीवन
Posted on 13 May, 2013 11:57 AM क्षिप्रा अब साल भर भी नहीं बहती है। इस नदी के तट पर जगह-जगह अतिक्रम
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