मध्य प्रदेश

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कान्हा टाइगर रिजर्व
Posted on 22 Dec, 2013 11:52 AM कोई भी आदिवासी व्यक्ति या समाज कभी भी आनंद के लिए शिकार नहीं करता।
मध्य प्रदेश में सिंचाई क्षमता का सिर्फ 55 फीसदी ही उपयोग
Posted on 20 Dec, 2013 03:35 PM पिछले पांच साल में मध्य प्रदेश की सिंचाई क्षमता तो बढ़ी है, पर उसका भरपूर उपयोग नहीं हो रहा है। कुल सिंचाई क्षमता का सिर्फ 55 फीसदी का उपयोग हो पा रहा है। नई सरकार यह दावा कर रही है कि आने वाले समय में प्रदेश की सिंचाई क्षमता का पूरा उपयोग किया जाएगा।
मध्य प्रदेश के 34 फीसदी गांव में पानी का अभाव
Posted on 20 Dec, 2013 03:28 PM मध्य प्रदेश में पिछले 10 साल में पेयजल सुविधाओं में व्यापक सुधार देखने को नहीं मिला है। प्रदेश की एक बड़ी आबादी को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। प्रदेश की 34 फीसदी बसाहटों में रहने वाली आबादी को पानी के संकट से जूझना पड़ रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में कुल 52117 आबाद गांव हैं और कुल 23010 ग्राम पंचायत हैं, पर अभी भी प्रदेश में सिर्फ 9030 गांवों में ही नल-जल योजनाएं संचालित हैं।
10वीं विकास संवाद मीडिया लेखन फैलोशिप
Posted on 16 Dec, 2013 11:51 AM आवेदन आमंत्रित
अंतिम तिथि : 15 जनवरी 2014


भोपाल। वर्ष 2014 के लिए दसवीं विकास संवाद मीडिया लेखन फैलोशिप की घोषणा कर दी गई है। इस साल प्रदेश के चार पत्रकारों को सामाजिक मुद्दों पर लेखन के लिए फैलोशिप दी जाएगी। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि बढ़कर 10 जनवरी से 15 जनवरी, 2014 हो गई है।

इस वर्ष की फैलोशिप ‘पोषण की सुरक्षा और कुपोषण’ विषय पर दी जाएगी। आवेदक को अपना प्रस्ताव और कार्य योजना को मध्य प्रदेश के किसी एक अंचल (मालवा, महाकोशल, चम्बल, मध्य क्षेत्र, बघेलखंड, बुंदेलखंड) में रहने वाले “किसी एक” आदिवासी/ दलित या अन्य वंचित तबकों में (पिछली फेलोशिप अध्ययन में शामिल हो चुके भील, कोरकू, बैगा और गोंड समुदाय को छोड़कर) पोषण और खाद्य सुरक्षा (बच्चों के सन्दर्भ में) की स्थिति पर केंद्रित रखना होगा। यह फैलोशिप छह माह के लिए होगी। यह चारो फैलोशिप हिन्दी व अंग्रेजी के प्रिंट मीडिया के पत्रकारों के लिए हैं।
तालाब सही जगह नहीं, तो फायदा नहीं
Posted on 09 Dec, 2013 09:16 PM
Ram Narayan Rawat Ponds (9 Dec 2012)
09 दिसम्बर 2013 ग्राम नोहटा-नयांगांव, ब्लॉक जबेरा, दमोह। रामनारायण रावत जो नयांगांव कुलुआ में अपनी निजी 5 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं। उनने बताया कि वर्ष 2008-09 में बलराम तालाब योजना से अपनी लगभग एक एकड़ भूमि पर तालाब निर्माण कराया, तालाब 6 फीट गहरा हुआ, और कड़े पत्थर के रूप में समस्या खड़ी हो गई। जैसे तैसे मशीनों का उपयोग कर पत्थर को तोड़कर तालाब की गहराई एक फीट और बढ़ाई गई और तालाब 7 फीट गहरा किया जिसमें लगभग एक लाख सोलह हजार रुपयें
परमाणु ऊर्जा विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
Posted on 07 Dec, 2013 11:37 AM भोपाल। परमाणु ऊर्जा विरोधी संगठन जनपहल, जो कि परमाणु ऊर्जा के खिलाफ देश भर में उठ रही आवाजों का मंच है, ने 1 दिसंबर को भोपाल में परमाणु ऊर्जा विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। उक्त जानकारी देते हुए जनपहल के संयोजक विजय कुमार ने बताया कि सम्मेलन में प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ.
तीस साल बाद
Posted on 02 Dec, 2013 03:11 PM भूजल प्रभावित इलाकों में जिंक, मैगनीज, कॉपर, पारा, क्रोमियम, सीसा, निकिल जैसी हानिकारक धातुओं की मात्रा मानक से अधिक मिली है। अभी केवल 350 टन कचरे के निपटान को लेकर प्रक्रिया चल रही है, किंतु उससे कहीं अधिक न दिखने वाला कचरा कारखाने के आसपास पानी और मिट्टी में पाया गया है। उसका निपटान करना भी उतना ही जरूरी है। तीन किलोमीटर के क्षेत्र में किए गए अध्ययन से साफ हो गया है कि यहां घातक और जहरीले रसायन भीतर मिट्टी और पानी में मौजूद हैं। भोपाल गैस त्रासदी को इस दिसंबर में 30 साल हो जाएंगे। इस बड़ी अवधि में मध्य प्रदेश और केन्द्र सरकार मिलकर भी यहां पड़े जहरीले कचरे का निपटान नहीं कर पाई हैं। हर साल बारिश के साथ इसका रिसाव भूमि में होता है और अब आशंका की जा रही है कि यह रिसाव लगभग तीन किलोमीटर के दायरे में फैल गया है। तीन दिसंबर सन् 1984 को भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में हुई गैस त्रासदी के बाद के तीस वर्षों के दौरान यहां कई तरह के अध्ययन हुए हैं। अभी हाल ही में दिल्ली की संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा एक अध्ययन किया गया है। अध्ययन के बाद इस संस्था ने देश भर के विशेषज्ञों के साथ बैठकर इस घातक प्रदूषण से मुक्ति पाने की एक योजना बनाई ताकिवर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को इसका ख़ामियाज़ा न भुगतना पड़े। उस भयानक हादसे के बाद किसी संस्था ने पहली बार इस तरह के काम की सामूहिक पहल की है।
बंजर बनाया तीर्थ, तीरथ पटेल ने
Posted on 12 Nov, 2013 04:45 PM
11 नवम्बर 2013, ग्राम नादिया महूना, पटेरा, दमोह। तीरथ पटेल मूलरूप से जबलपुर के पाटन के प्रवासी हैं। लगभग 6 वर्ष पूर्व वे पाटन से नादिया-महूना में आए। और खेती के लिए जमीन खरीदी, जिस क्षेत्र में जमीन ली, वहां सिचाई हेतु पानी की पर्याप्ततीरथ पटेल के तालाब पर शंकर गौतमतीरथ पटेल के तालाब पर शंकर गौतम
नर्मदा के घाट पर
Posted on 31 Oct, 2013 04:28 PM एक महिला मिली, जो स्थानीय थी। नर्मदा तट के किनारे की प्लास्टिक की प
Narmada river
लोहे के सरदार और सरदार सरोवर
Posted on 31 Oct, 2013 02:35 PM बांध की 90 मीटर ऊंचाई से प्रभावित अलिराजपुर एवं बड़वानी जिले के पहाड़ी गाँवों के सैकड़ों आदिवासी परिवा
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