मध्य प्रदेश

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उकाई: हम भी बह गए थे
Posted on 11 Sep, 2009 08:40 PM
न भाखड़ा बांध की तरह प्रसिद्ध, न नर्मदा बांध की तरह बदनाम-उकाई बांध तो गुमनामी में बना था। न किसी को उसको बनाने का समय याद, न यह कि उसने बनने के बाद कितने परिवारों, गांवों को मिटाया था। उकाई बांध कोई बहुत बड़ा नहीं था पर सन् 2006 में वह उसी शहर और उद्योग-नगरी को ले डुबा, जिसके कल्याण के लिए उसे सन् 1964 में बहुत उत्साह से बनाया गया था। लेकिन तब भी एक सज्जन अपनी पुरानी मोटर साइकिल पर इस पूरे इलाके में घूम रहे थे। उस दौर में तो बांधों को नया मंदिर माना जा रहा था। शुरू में तो वे भी इन नए मंदिरों के आगे नतमस्तक ही थे। पर धीरे-धीरे उन्होंने जो देखा और फिर लोगों के बीच उतर कर जो कुछ किया, उसकी उन्हें सबसे भारी कीमत भी चुकानी पड़ी- उन्हें एक सूनी सड़क पर एक ट्रक ने रौंद कर मार डाला था। उनका काम भी कभी सामने नहीं आया पर वह काम खाद बना और फिर उसी खाद से ऐसे विचारों को पोषण मिला। उनका नाम था श्री रमेश देसाई। उकाई नवनिर्माण समिति का भुला दिया गया यह किस्सा रमेश भाई ने अपनी हत्या से कुछ ही पहले सन् 1989 में लिखा था। 
ग्वालियर बचाओ अपना 1000 अरब लीटर पानी
Posted on 06 Sep, 2009 11:06 AM

वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं

बारिश के दिनों की संख्या घटी: कैसे होगा सूखे का सामना
Posted on 03 Sep, 2009 12:25 PM
बुंदेलखंड में अकाल और सूखे के घाव गहरे होते जा रहे हैं. जीवन की संभावनाएं क्रमशः कम होती जा रही हैं. लोग बड़ी उम्मीद से आसमान में टकटकी लगाए देख रहे हैं लेकिन साल दर साल बादल धोखा दे कर निकल जा रहे हैं. पिछले 10 सालों में बारिश के दिनों की संख्या 52 से घट कर 23 पर आ गई है.
ग्वालियर की बावड़ियाँ
Posted on 03 Sep, 2009 10:32 AM

ग्वालियर संगीत की नगरी है । इसी जमीं पर मियाँ तानसेन उर्फ तन्ना मिश्रा ने संगीत का ककहरा सीखा । संगीत सम्राट बने और बादशाह अकबर के नौ रत्नों में शुमार हुए । तोमर राजवंश के महान शासक राजा मानसिंह तोमर ने यहीं पर 'ध्रुपद' की रचना की। लेकिन संगीत ही नहीं ग्वालियर के शासकों का प्रेम जल संरक्षण को लेकर भी उतना ही प्रगाढ़ रहा है जितना संगीत के प्रति । इसकी गवाही देने के लिए आज भी ग्वालियर शहर के कोने

नदियों-तालाबों की जानकारी भी डिजिटल फार्मेट में
Posted on 30 Aug, 2009 09:26 PM
भोपाल. मप्र राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के लिम्नोलॉजी विभाग को नदियों और तालाबों के रूप में उपलब्ध जलराशि का डिजिटलाइजेशन करने का प्रोजेक्ट दिया गया है। प्रोजेक्ट के तहत विभाग द्वारा भोपाल सहित प्रदेशभर की वाटर बॉडीज का डिजिटल प्रारूप तैयार करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है जो दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
मध्य प्रदेश के 37 जिले सूखाग्रस्त
Posted on 19 Aug, 2009 08:54 AM
दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सोमवार को प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश के 10 जिलों में ही सामान्य वर्षा हुई है। 34 जिलों में 20 से 59 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। 25 प्रतिशत से कम वर्षा वाले जिलों की स्थिति गंभीर है। इन्हें सरकार ने सूखाग्रस्त करार दिया है।
मध्यप्रदेश में पेयजल
Posted on 15 Aug, 2009 12:52 AM

1 - इन्दौर शहर में वर्ष 2006 की गर्मियों में पानी की आपूर्ति के लिये किराये पर लिये गये टेंकरों के एवज में 2 करोड़ रूपये की राशि चुकाई गई थी। नगर निगम ने वर्ष 2007 में अपने 37 टैंकरों के अलावा 130 टैंकर किराये पर लिये थे। इस साल इतनी शिकायतें आईं कि नगर निगम प्रशासन दबाव में आ गया। इसके बावजूद जल संकट दूर नहीं हुआ और 14 मई 2007 को इन्दौर में राजनैतिक दलों और आम लोगों ने प्रशासन का उग्र व

पसीना बहाकर बूंदों की मनुहार
Posted on 26 Jul, 2009 07:48 AM

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के मार्गदर्शन में अभियान की शुरूआत 16 फरवरी को हुई थी। अभियान को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भू-जल संवर्द्धन पुरस्कार 2008 के लिए चुना है। इंदौर में भी शहरी क्षेत्र के 107 कुएं, बावडियों की चिंता की जा रही है और हुक्माखेडी में चल रहा अभियान इसकी महत्वपूर्ण कडी है।इंदौर। 'अमृतम जलम्' के तहत हुक्माखेडी (बिजलपुर) में चल रहे तालाब गहरीकरण में रविवार को सैकडों लोग जुडे। विश्व जल दिवस पर प्यासी धरती को तरबतर करने के लिए कई भागीरथों ने पसीना बहाकर बूंदों की मनुहार की। इनमें उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक जीतू जिराती, बडी संख्या में ग्र्रामीणों के साथ शहरी नागरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व खेल संगठनों के नुमाइंदे भी शामिल हुए।

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के मार्गदर्शन में अभियान की शुरूआत 16 फरवरी को हुई थी। अभियान को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भू-जल संवर्द्धन पुरस्कार 2008 के लिए चुना है। इंदौर में भी शहरी क्षेत्र के 107 कुएं, बावडियों की चिंता की जा रही है और हुक्माखेडी में चल रहा अभियान इसकी महत्वपूर्ण कडी है।

मालवा की प्रमुख नदियाँ
Posted on 25 Jul, 2009 09:05 PM
मालवा में प्रवाहित होने वाली विभिन्न नदियों का यहाँ की सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक जीवन में विशेष महत्व रहा है। कुछ नदियाँ बड़ी है, जैसे चंबल, काली सिंधु, शिप्रा, पार्वती, बेतवा, माही व नर्मदा। उनकी सहायक नदियों से पूरे क्षेत्र में सिचाई की सुविधा मिल जाती है। चम्बल तथा उसकी सहायक नदियाँ, काली सिंध तथा पार्वती मिलकर, चंबल के निम्न हिस्से में एक त्रिभुजाकार जलोढ़ बेसिन बनाती है, जो वर्तमान में राणा प
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