Posted on 21 Oct, 2014 01:28 PMहोशियारपुर के धनोआ गांव से निकलकर कपूरथला तक जाती है 160 किमी लंबी कालीबेई। इसेे कालीबेरी भी कहते हैं। कुछ खनिज के चलते काले रंग की होने के कारण ‘काली’ कहलाई। इसके किनारे बेरी का दरख्त लगाकर गुरुनानक साहब ने 14 साल, नौ महीने और 13 दिन साधना की। एक बार नदी में डूबे, तो दो दिन बाद दो किमी आगे निकले। मुंह से निकला पहला वाक्य था: “न कोई हिंदू, न कोई मुसलमां।’’ उन्होंने ‘जपजीसाहब’ कालीबेईं के किनारे ही रचा। उनकी बहन नानकी भी उनके साथ यहीं रही। यह 500 साल पुरानी बात है।
अकबर ने कालीबेईं के तटों को सुंदर बनाने का काम किया। व्यास नदी इसे पानी से सराबोर करती रही। एक बार व्यास ने जो अपना पाट क्या बदला; अगले 400 साल कालीबेईं पर संकट रहा।
Posted on 10 Sep, 2009 08:26 PM पांच नदियों के नाम पर बसे पंजाब में आज उन नदियों की बात करना पिछड़ा कहलाना होगा। पंजाब की मिट्टी, पंजाब का पशुधन, पंजाब का पानी, पंजाब के परिंदों का दिन दूनी-रात चौगुनी गति से गायब होना जितने माथों की शिकन होना चाहिए था, जितने दिलों की उदासी होना चाहिए था, उतना है नहीं। ऋषियों, गुरूओं, संतों द्वारा प्राकृतिक संपदाओं के गुणगान, लोकगीतों में बहारों की धमक, किसी प्रिय के आगमन के लिए परिंदों को
Posted on 04 Apr, 2009 06:48 AMपंज़ाब राज्य का लगभग 80% भूजल मनुष्यों के पीने लायक नहीं बचा है और इस जल में आर्सेनिक की मात्रा अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुँच चुकी है… यह चौंकाने वाला खुलासा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किये गये एक अध्ययन में सामने आई है। पानी में आर्सेनिक की मात्रा का सुरक्षित मानक स्तर 10 ppb होना चाहिये, जबकि अध्ययन के मुताबिक पंजाब के विभिन्न जिलों से लिये पानी के नमूने में आर्सेनिक की मात्रा 3.5 से 688