कृष्णा

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कृष्णा के संस्मरण
Posted on 18 Oct, 2010 01:17 PM कृष्णा का कुटुम्ब काफी बड़ा है। कई छोटी-बड़ी नदीयां उससे आ मिलती हैं। गोदावरी के साथ-साथ कृष्णा को भी हम ‘महाराष्ट्र-माता’ कह सकते हैं। जिस समय आज की मराठी भाषा बोली नहीं जाती थी, उस समय का सारा महाराष्ट्र कृष्णा के ही घेरे के अंदर आता था।एकादशी का दिन था। गाड़ी में बैठकर हम माहुली चले। महाराष्ट्र की राजधानी सातारा से माहुली कुछ दूरी पर है। रास्ते में दाहिनी तरफ श्री शाहु महाराज के वफादार कुत्ते की समाधि आती है। रास्ते पर हमारी ही तरह बहुत से लोग माहुली की तरफ गाड़ियां दौड़ा रहे थे। आखिर हम नदी के किनारे पहुंचे। वहां इस पार से उस पार तक लोहे की एक जंजीर ऊंची तनी हुई थी। उसमें रस्सी से एक नाव लटकाई गई थी, जो मेरी बाल-आंखों को बड़ी ही भव्य मालूम होती थी।

नदियां बनी जहर
Posted on 07 Feb, 2009 09:26 AM संजीव/जनसत्ता/मुजफ्फरनगर/17 जन.09

प्रदूषित होते पानी का असर फसल पर भी अब पड़ रहा है। जहर बनते नदियों के पानी व जल संरक्षण नहीं होने से आने वाले समय में प्रदूषित पानी को लेकर समस्या अधिक गहरी हो जाएगी।
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