किन्नौर जिला (हिमाचल प्रदेश)

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परियोजनाओं पर तुरंत प्रतिबंध
Posted on 31 Jan, 2014 03:51 PM पनबिजली विशेषज्ञ और पर्यावरणविद् आरएल जस्टा से अश्वनी वर्मा की बातचीत

अंधाधुंध परियोजनाओं से क्या नुकसान हो सकते हैं?
सतलुज के पेट में सुरंगे
Posted on 31 Jan, 2014 03:42 PM हिमाचल प्रदेश अपने ठंडे मौसम और कुदरती खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन कुछ समय से इसके कई क्षेत्रों में पनबिजली परियोजनाओं का जाल सा बिछता गया है। इससे वन संपदा और पर्यावरण काफी नुकसान हुआ है। इन परियोजनाओं से संभावित खतरों का आंकलन कर रहे हैं अश्वनी वर्मा।

पर्यावरणविद और परियोजना विशेषज्ञों का मानना है कि सतलुज नदी पर बिजली परियोजनाओं के कारण गंभीर संकट पैदा हो गया है। सतलुज की तीन सौ बीस किलोमीटर की लंबाई में डेढ़ सौ किलोमीटर को बिजली परियोजनाओं की सुरंगे घेर लेंगी। ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि कहीं केदारनाथ जैसी तबाही हिमाचल में भी न घटित हो जाए। किन्नौर जिले में यह आभास होने लगा है। किन्नौर को बचाने के लिए जरूरी है कि उत्तराखंड में उत्तरकाशी से गंगोत्री तक को जिस तरह पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जा रहा है, वैसे इस क्षेत्र को भी किया जाए।

यों तो हिमाचल अपने ठंडे मौसम, ठंडे मिजाज, प्राकृतिक सुंदरता और संपदा के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल के कुछ सालों से स्थितियाँ बदल रही हैं। इसका प्राकृतिक वैभव नष्ट हो रहा है, नदियों की लूट मची है। अपने भविष्य को लेकर आशंकित सीधे-सादे लोगों का मिजाज गरम हो रहा है। इस सबके पीछे अगर सबसे बड़ी कोई वजह है तो चारों तरफ फैल गई पनबिजली कंपनियां।

पिछले जुलाई में हुई बारिश के वक्त प्रदेश में सौ से अधिक लोगों की मौत हुई, जिसमें अकेले किन्नौर जिले में उनतीस लोग काल के गाल में समा गए। इसके अलावा फसलों और दूसरी तमाम चीजों को भारी क्षति पहुंची। इसकी तुलना उत्तराखंड में हुई तबाही से की गई और माना गया कि इसके पीछे कहीं न कहीं प्राकृतिक संपदा का अंधाधुंध दोहन और वनों की कटाई है।

किन्नौर में पनबिजली कंपनियों का जाल फैल गया है। यह स्थिति विस्फोटक है और नागरिकों में इनके खिलाफ गुस्सा भर रहा है। इससे पर्यावरणविदों की नींद उड़ी हुई है।
शौंग-टौंग – ऊंचे हिमालय क्षेत्र की विवादग्रस्त बांध-परियोजना
Posted on 03 Oct, 2013 12:38 PM सरकार ने तय किया कि यदि 1000 एकड़ एक जगह पर न भी दिया जा सके तो दो
डेढ़ सौ किलोमीटर में दम घुट कर लुप्त हो जाएगी सतलुज
Posted on 08 Feb, 2011 10:10 AM

यदि सतलुज ताल में प्रोजेक्टों के तहत कैट प्लान पर करोड़ों रुपए की राशि वृक्षारोपण पर सही ढंग से सही समय पर खर्च नहीं की गई और वनीकरण तथा संरक्षित क्षेत्र मुहिम समय पर सिरे नहीं चढ़ी, तो सतलुज में गाद की समस्या विकराल रूप ले सकती है…

हिमालय में खुलता एक मोर्चा
Posted on 24 Jul, 2010 11:51 AM
पिछले दिनों हिमाचल के रोहतांग से लेह तक एक सुरंग के उद्घाटन की खबर को मीडिया में काफी जगह मिली थी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसका उद्घाटन करने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद गई थीं। राज्य के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस सुरंग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण करार देते हुए चीन पर आरोप लगाया था कि वह सीमा पर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा संबंधी निर्माण कार्य करवा रहा है, जिससे पर्यावरण और सीमा
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