कावेरी

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पूरी संस्कृति है कावेरी
Posted on 16 Nov, 2009 09:26 AM

दक्षिण भारत के कर्नाटक में दो पर्वत मालाएं हैं-पश्चिम और पूर्व, जिन्हें पश्चिमी और पूर्वी घाट के नाम से जाना और पुकारा जाता है। पश्चिमी घाट के उत्तारी भाग में एक बहुत ही सुंदर 'कुर्ग' नामक स्थान है। इसी स्थान पर 'सहा' नामक पर्वत है, जिसे 'ब्रह्माकपाल' भी कहते हैं, जिसके कोने में एक छोटा-सा तालाब है। यही तालाब कावेरी नदी का उद्गम स्थल है। यहां देवी कावेरी की मूर्ति है, जहां एक दीपक सदा जलता रहता

कावेरी उद्गम
भारत का जल संसाधन
Posted on 25 Feb, 2009 10:05 AM

संपादक- मिथिलेश वामनकर/ विजय मित्रा

Rainwater harvesting natural method
जल नीति राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बननी चाहिये
Posted on 21 Sep, 2008 07:37 PM

प्रोफेसर रासा सिंह रावत अजमेर के सांसद हैं। कहते हैं कि जब मैं छोटा था तो अजमेर में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनो ही ओर का मानसून आता था। लेकिन वनों के कटने और रेगिस्तान के विस्तार के कारण वनस्पति का अभाव हो गया। परिणामस्वरुप अजमेर भी मारवाड़ व मेवाड़ की तरह अकाल की चपेट में आ गया। वर्षाभाव की वजह से तालाब सूख गये। राजस्थान सरकार ने अब तय किया है कि अजमेर जिले के गाँवों को भी बीसलपुर का पानी

अजमेर
कावेरी विवाद आख़िर है क्या?
Posted on 19 Sep, 2008 05:29 PM

कावेरी विवाद

बीबीसी/ भारतीय संविधान के मुताबिक कावेरी एक अंतर्राज्यीय नदी है। कर्नाटक और तमिलनाडु इस कावेरी घाटी में पड़नेवाले प्रमुख राज्य हैं। इस घाटी का एक हिस्सा केरल में भी पड़ता है और समुद्र में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है जो पांडिचेरी का हिस्सा है। इस नदी के जल के बँटवारे को लेकर इन चारों राज्यों में विवाद का एक लम्बा इतिहास है।

कावेरी विवाद तमिलनाडु से कर्नाटक तक फैला हुआ है
तीर्थोद्भव के नाम से विख्यात है कावेरी का उद्गम स्थल
Posted on 15 Oct, 2010 09:42 AM

भारतीय संस्कृति में नदियों को पवित्र तथा जीवनदायिनी माना गया है। उनके उद्गम स्थलों पर, विशेष अवसरों पर लगने वाले मेलों को भी एक पर्व या उत्सव के रूप में करते हैं। भारत की प्रत्येक नदी के उद्गम स्थल का अपना एक धार्मिक महत्त्व है तथा वे एक तीर्थ के रूप में स्थापित हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध स्थल है, दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के ‘कोडमू’ जिले में कावेरी नदी के उद्गम स्थल तला कावेरी का।

Kaveri udgam
हम कावेरी के बेटे-बेटी
Posted on 08 May, 2010 08:40 AM

प्रकृति ने नदियों को बनाते, बहाते समय देश-प्रदेश नहीं देखे थे। लेकिन अब देश-प्रदेश अपनी नदियों के टुकड़े कर रहे हैं। कावेरी का विवाद तो कटुता की सभी सीमाएं पार कर गया है। यह झगड़ा आज का नहीं, सौ बरस पुराना है। लेकिन नया है इस कटु प्रसंग में सख्य, सहयोग और संवाद का प्रयास। इसे बता रहे हैं महादेवन रामस्वामि।

विश्व की सभी महान नदियां मानव-जाति की अनेक सुविख्यात सभ्यताओं की जन्म-भूमि रही हैं। इन नदियों के किनारे उभरी और विकसित हुई इन सभ्यताओं का अस्तित्व बस नदी से जुड़ा रहा है। नदी ने उन्हें दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए जल प्रदान किया है। पीने का पानी, निस्तार के लिए पानी, सिंचाई के लिए पानी, पशुओं के लिए पानी, ऊर्जा के लिए पानी क्या नहीं दिया इनने। नदी पर नाव द्वारा प्रयाण करके उन्होंने अपनी आसपास की दुनिया के बारे में जाना और अन्य क्षेत्रों, पास और दूर के समाजों के साथ संबंध बनाया। मौसम व समय के अनुसार बदलती नदी की प्रणाली को आधार बनाकर इन सभ्यताओं ने अपनी जीवन-शैली, अपने रीति-रिवाज, लोक-कथाओं व मान्यताओं को ऐसे सुंदर तरीके से रचाया कि नदी का प्रवाह जीवन के हर काम में
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