जोधपुर जिला

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खडीन : रेगिस्तानी इलाके में सतही जल-प्रवाह का कृषि कार्यों में प्रयोग (Khadin : An ingenious construction designed to harvest surface runoff water for agriculture)
Posted on 01 Mar, 2018 12:11 PM
खडीन खेत के किनारे सिद्ध-पाल बाँधकर वर्षा-जल को कृषि भूमि पर संग्रह करने तथा इस प्रकार संग्रहीत जल से कृषि भूमि में पर्याप्त नमी पैदाकर उसमें फसल उत्पादन करने की एक परम्परागत तकनीक है।
नाडी : राजस्थान की प्राकृतिक जल-संग्रह तकनीक (Natural methods of water conservation in Rajasthan - Naadi)
Posted on 20 Feb, 2018 06:52 PM
राजस्थान में थार मरुस्थलीय क्षेत्र पानी की कमी वाला क्षेत्र है। कम वर्षा तथा भूमिगत जल प्रदूषित होने के कारण यहाँ के निवासियों ने प्राचीन काल से ही जल-संग्रह के ऐसे तरीके विकसित किए, जिससे मनुष्यों तथा पशुओं की पानी की आवश्यकताऐं पूरी की जा सकें। इनमें से एक प्रमुख तरीका है- नाडी या तालाब। इस तकनीक में प्राकृतिक आगोर द्वारा वर्षा का जल इकट्ठा किया जाता है।
विपत्ति में एक शहर
Posted on 20 Feb, 2018 05:32 PM
जिन जलस्रोतों ने जोधपुर को अकाल से बचाया, आज उनकी अनदेखी की जा रही है। अत्यधिक दोहन से भूजल भी काफी गिर चुका है।
उपेक्षित तालाब
खाटू-सिरोही लिनियामेंट के कारण जोधपुर में भूकम्प का खतरा
Posted on 20 Nov, 2017 10:47 AM
जोधपुर। जमीन के नीचे इंडियन प्लेट पर खाटू से लेकर सिरोही तक का लिनियामेंट एक्टिव हो गया है यानी यहाँ की जमीन कमजोर होने से भू-गर्भ की ऊर्जा निकलने का खतरा बढ़ गया है। इसके चलते मारवाड़ और मेवाड़ को पृथक करने वाले इलाकों में भूकम्प की आशंका बढ़ती जा रही है। विशेषकर पाली जिले में, जहाँ रह-रहकर कई बार हल्के भूकम्प आते रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जोधपुर में शनिवार को आया भूकम्प भी
हाड़ौती क्षेत्र में जल का इतिहास एवं महत्त्व (History and significance of water in the Hadoti region)
Posted on 03 Nov, 2017 01:06 PM

जल की उत्पत्ति


भारतीय संस्कृति की यह मान्यता सुविदित है कि मानव शरीर पाँच तत्वों का बना हुआ है। “पाँच तत्व का पींजरा तामे पंछी पौन” यह उक्ति प्रसिद्ध है। ये पाँच तत्व है-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन्हें पंचभूत भी कहते हैं क्योंकि ये वे तत्व हैं जिनसे सारी सृष्टि की रचना हुई है।1

आसीदिद तमोभूतम प्रज्ञातमलक्षणम।
पंचायत समिति शेरगढ़ की भूजल स्थिति
Posted on 28 Nov, 2015 10:03 AM
पंचायत समिति, शेरगढ़ (जिला जोधपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जोधपुर जिले में 7098 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 5610 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
एक अध्ययन: पंचायत समिति फलौदी की भूजल स्थिति
Posted on 30 Oct, 2015 04:08 PM
पंचायत समिति, फलौदी (जिला जोधपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों में बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जोधपुर जिले में 7098 मिलियन घन मीटर थी जो अब घटकर 5610 मिलियन घन मीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की निरन्तर कमी हो रही है।
एक अध्ययन: पंचायत समिति ओसियां की भूजल स्थिति
Posted on 30 Oct, 2015 03:50 PM
पंचायत समिति, ओसियां (जिला जोधपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जोधपुर जिले में 7098 मिलियन घन मीटर थी जो अब घटकर 5610 मिलियन घन मीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की निरन्तर कमी हो रही है।
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