जबलपुर जिला

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अनुभवजन्य कहावतों का वैज्ञानिक पक्ष
Posted on 09 Aug, 2015 01:07 PM मुढ़ैनी, मनासा, मोड़ीमाता और मोरवन की चौपालों में एकत्रित लोगों का कहना था कि उनके क्षेत्र के बड़े-बूढ़ों को सैकड़ों अनुभवजन्य कहावतें याद हैं। उन कहावतों में जीवन के प्रत्येक पक्ष पर सुझाव, मार्गदर्शन या वर्जना प्रगट करता संदेश होता है। सामान्य बातचीत में भी उनका उपयोग होता है। झांतला के नेमीचन्द छीपा इत्यादि कई लोगों ने महीनों से सम्बन्धित अनेक कहावतें सुनाई।
मानोट से कुटरई
Posted on 09 Aug, 2015 12:06 PM मौसम साफ था और हवा शरद का स्पर्श लिए थी। ऊँचे पेड़ों से धूप छन-छनकर आ रही थी। मेरे साथियों का उत्साह उफान पर था। उन्हें यहाँ मनचाहा एकान्त और शान्ति प्राप्त हो रही थी। कुछ दिन पूर्व ही वे महानगरों की गहमागहमी, शोरगुल और आपाधापी में डूबे हुए थे। अब वे यहाँ वनों,पहाड़ों और हरे-भरे खेतों को निहार रहे थे, निस्तब्धता को आत्मसात कर रहे थे। और नदी से लगी ऊबड़-खाबड़
नर्मदा नदी की आत्मकथा
Posted on 08 Aug, 2015 03:49 PM हमारा देश आज जैसा है, सदा वैसा ही नहीं रहा। आज जहाँ हिमालय है करोड़ों वर्ष पूर्व वहाँ उथला समुद्र था। किसी भूकम्प ने उसे हिमालय में बदल डाला, हालाँकि इसमें लाखों वर्ष लगे।
जंगल रहे, ताकि नर्मदा बहे
Posted on 08 Aug, 2015 03:25 PM यह कैसा शीर्षक! जंगल रहे, ताकि नर्मदा बहे! सात कल्पों के क्षय होने पर भी क्षीण न होने की पौराणिक ख्याति वाली और भू-वैज्ञानिक दृष्टि से भी विश्व की प्राचीनतम नदियों में से एक, नर्मदा तो युगों से बहती चली आ रही है। जंगलों के रहने या न रहने से नर्मदा के बहने का क्या सम्बन्ध है?
भेड़ाघाट से ग्वारीघाट (जबलपुर)
Posted on 08 Aug, 2015 11:18 AM समुद्र की तलाश में निकला पानी है नदी और नदी की तलाश में निकला पदयात्री है परकम्मावासी। एक न एक दिन दोनों की तलाश पूरी होती है। कल दोपहर तक मैं भी अपने गंतव्य तक पहुँच जाऊँगा। मैं उस यात्री की तरह हूँ, जो अपने घर के समीप वाले मोड़ पर पहुँच गया हो। परिक्रमा के इस अंतिम चरण में कान्ता सहयात्री बनकर चल रही है, इसका आनन्द अनोखा है। हालाँकि मुझे हमेशा लगा है कि मे
शिवपुत्री नर्मदा
वन क्षेत्र विनाश के कारण मिट्टी का बहाव चिन्ताजनक
Posted on 02 Apr, 2015 03:33 PM

इंग्लैंड की डरहम यूनिवर्सिटी में किए गए शोध से खुलासा हुआ है कि नर्मदा नदी बेसिन और विन्ध्यांचल क्षेत्र में अत्यधिक वनों की कटाई व कृषि भूमि में विस्तार से यह क्षेत्र खतरनाक पर्यावरणीय परिस्थिति से गुजर रहे हैं जिसके कारण क्षेत्र में मृदा अपरदन (मिट्टी के कटाव) में अत्यधिक वृद्धि रिकार्ड की गई है जो अपने उच्चतम स्तर पर हैं।

save earth
नर्मदा नदी की निर्मलता में योजनाओं की बाढ़
Posted on 24 Mar, 2015 04:02 PM

विश्व जल दिवस पर विशेष


जल मानव सभ्यता के लिए सबसे जरूरी प्राकृतिक संसाधन है। इसलिए नदियों को मानव सभ्यता की पालक माना जाता है। बिजली, सिंचाई और आजीविका का आधार होने के कारण नदियाँ विकास की धुरी रही हैं। जल ग्रहण क्षेत्र की जमीन का दोषपूर्ण उपयोग एवं घटते वृक्ष आवरण की वजह से भू-क्षरण और प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।
river
नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए जन-आन्दोलन जरूरी
Posted on 17 Mar, 2015 10:14 AM

जन अभियान परिषद की कार्यशाला में ऊर्जा मन्त्री श्री शुक्ल

 

Narmada
टूटी खिड़की से हरसूद
Posted on 02 Jan, 2015 04:44 PM कैसा लगता है अपने ही हाथों बनाए घर को एक दिन अपने ही हाथों से तोड़
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