होशंगाबाद जिला

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क्यों है दालों का संकट
Posted on 17 Aug, 2015 09:44 AM मिट्टी की उर्वरता कायम रखने में दलहन की खेती बहुत महत्त्वपूर्ण होती
pulses
नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ चौथा अन्तरराष्ट्रीय नदी महोत्सव का समापन
Posted on 18 Feb, 2015 10:32 AM जीवनदायिनी नदियाँ लगतार प्रदूषित हो रही हैं: शिवराज
नर्मदा मेरे हृदय में बसी हैं : उमा भारती

Nadi mahotsava
बिजली न डीजल, फिर भी सिंचाई
Posted on 13 Feb, 2015 03:16 PM

प्रकृति, वन्य जीव और जंगल का संरक्षण करते हुए कृषि के लिए पानी की व्यवस्था करना सम्भव हुआ। इससे

irrigation
चतुर्थ नदी महोत्सव
Posted on 25 Jan, 2015 12:40 PM तारीख : 13-15 फरवरी 2015
स्थान : बान्द्राभान, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
आयोजक : नर्मदा समग्र


प्रतीक का अर्थ


. चौथे नदी महोत्सव का विषय है 'नदी जलग्रहण क्षेत्र, रसायन और समस्याएँ।' कार्यक्रम का प्रतीक चिन्ह इसे कला के माध्यम से दर्शाता है। एक पहाड़ का गहरा हरा रंग उत्तम कृषि को दर्शाता है, वहीं दूसरा हल्का हरा रंग रसायन व कीट नाशकों के प्रभाव से कृषि उत्पाद में गिरते 'रस' तत्व की कमी और भूमि में होने वाले भूमि तत्व कि गिरावट को दर्शाता है।

पेड़, जंगल का प्रतीक है और उसका अकेला होना छिदरे हुए जंगल की ओर ध्यान आकर्षित करवाता है। झोपड़ी, किसान का घर है, केकड़ा (कर्क रोग) किसान के घर में प्रवेश कर रही असाध्य बीमारियों का प्रतिनिधि है। नीली रेखा नदी है जिसमें सम्पूर्ण जलग्रहण क्षेत्र का जल आ रहा है, जो रासायनिक प्रयोग के कारण काली (मृत) हो रही है।
नर्मदा का पूर्णिमा मेला
Posted on 13 Jan, 2015 03:22 PM
इस बार सोमवती पूर्णिमा पर स्नान के लिए नर्मदा गए। अमावस्या पर भी गए थे। आज छोटा मेला भी लगा था। काफी रौनक थी। भीड़ भी थी।
नर्मदा
देनवा नदी के किनारे
Posted on 21 Oct, 2014 03:28 PM

होशंगाबाद जिले में दक्षिण में पूर्व से पश्चिम तक सतपुड़ा की लम्बवत की खूबसूरत पहाड़ियां हैं। दे

Denwa river
बाई चारा मत डरो, ‘बंजारी ढाल’ को याद करो
Posted on 07 Jul, 2014 04:48 PM जब तवा परियोजना आई, तब फिर सैकड़ों लोगों को विस्थापित किया गया। रा
नदी सूखने से रोजी पर संकट
Posted on 24 May, 2014 11:45 AM सदानीरा दुधी विगत कुछ बरसों से बरसाती नदी बन गई है। गरमी आते ही जवाब देने लगती है। इस साल अभी दुधी की पतली धार चल रही है। पलिया पिपरिया में यह दिखती है लेकिन नीचे परसवाड़ा में कुछ जगह डबरे भरे हैं, धार टूट गई है। इस नदी के किनारे रहने वाले रज्झर अब इन डबरों और कीचड़ में मछली पकड़ते हुए दिखाई देते हैं। इस नदी में पहले मछलियां मिलती थी और रज्झर समुदाय के लोगों का यह पोषण का मुख्य स्रोत हुआ करती थी। अब जब नदी सूख गई है, बहुत मुश्किल है। “पहले हम दुधी नदी में मच्छी पकड़ते थे, अब नदी सूख गई। खकरा और माहुल के पत्तों से दोना-पत्तल बनाते थे, अब उनका चलन कम हो गया। जंगलों से महुआ-गुल्ली, तेंदू, अचार लाते थे, वे अब नहीं मिलते। ऐसे में हमारा रोजी-रोटी का संकट बढ़ रहा है।” यह कहना है पलिया पिपरिया के रज्झर समुदाय के लोगों का।

होशंगाबाद जिले की बनखेड़ी तहसील के पलिया पिपरिया गांव में नदी किनारे रज्झर मोहल्ला है। इस मोहल्ला के ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे करीब 20 साल पहले तक दुधी नदी में मछली पकड़ते थे।

सदानीरा दुधी विगत कुछ बरसों से बरसाती नदी बन गई है। गरमी आते ही जवाब देने लगती है। इस साल अभी दुधी की पतली धार चल रही है। पलिया पिपरिया में यह दिखती है लेकिन नीचे परसवाड़ा में कुछ जगह डबरे भरे हैं, धार टूट गई है। इस नदी के किनारे रहने वाले रज्झर अब इन डबरों और कीचड़ में मछली पकड़ते हुए दिखाई देते हैं।
dry river
सुनील भाई का जाना
Posted on 23 May, 2014 02:29 PM सुनील और राजनारायण ने आदिवासियों के साथ मिलकर 1985 में किसान आदिवास
Sunil bhai
नदी जो रोजी-रोटी थी
Posted on 18 May, 2014 02:37 PM मैं जब गांव से लौटने लगा तो नदी सूखी थी। कुछ डबरे भरे हुए थे उनमें
dudhi river
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