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संयुक्त राष्ट्रसंघ के जलशांति वर्ष-2024 के अवसर पर एक अपील
मानवीय जीवन में जब जल का तीर्थपन था, तब मानवीय मन में जल-सुरक्षा, शांति और सम्मान भी था।  जल के बाजारू दुरुपयोग और दुर्व्यवहारों ने बहुत कुछ बदल दिया है।  इसीलिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने न्यूयॉर्क के दूसरे विश्व सम्मेलन में 2024 को जलशांति वर्ष घोषित कर दिया है।  Posted on 09 Jun, 2024 02:55 PM

भारत में हम लोग जल को शांति का प्रतीक मानते आये हैं।  जब भी हम यज्ञ अग्नि से करते हैं, तो उसकी शुरूआत, और सम्पन्नता भी, जल से ही होती है।  यज्ञ-स्थल की जल से परिक्रमा करके, शांति को आहूत करते हैं।  मतलब यह कि भारत जलशांति, व्यवहार, संस्कार और तीर्थपन में सदाचारी रहा है।  भारत और दुनिया के सभी धर्मों में जल को जीवन आधार माना गया है।  सभी धर्मों में अलग- अलग तरीकों से इसके दर्शन होते हैं। 

संयुक्त राष्ट्रसंघ का जलशांति वर्ष-2024
बढ़ते समुद्री स्तर से पनामा द्वीप खाली करने की तैयारी
गार्दी सुगडुब द्वीप से लगभग 300 परिवारों को द्वीप छोड़कर के कहीं सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा गया है, इस द्वीप पर रहने वाले गुना समुदाय की जीविका समुद्र और पर्यटन पर निर्भर है। जानिए वजह क्या है Posted on 08 Jun, 2024 07:21 PM

जलवायु संकट अपने चरम होता जा रहा है। छोटे-छोटे द्वीप खाली करने पड़ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते समुद्री स्तर से अबकी पनामा द्वीप वासियों को द्वीप खाली करना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण पनामा के छोटे-छोटे द्वीपों को खाली करने की तैयारी चल रही है। गदी सुगडुब द्वीप से लगभग 300 परिवारों को द्वीप छोड़कर के कहीं सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा गया ह

प्रतिकात्मक तस्वीर
गर्म होते महासागर, ऑक्सीजन की कमी और अम्लीकरण : महासागरों में 10 गुना बढ़ेंगे 'Hot Days'
एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम? Posted on 06 Jun, 2024 02:15 PM

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की हीटवेव अध्ययन

एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 2020 से लेकर 2100 तक हिंद महासागर की सतह का तापमान 1.7 से 3.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इस बढ़ोतरी से समुद्री हीटवेव्स और चरम चक्रवातों की घटनाएं बढ़ेंगी, जिससे मानसून पर असर पड़ेगा और समुद्र का जलस्तर ऊंचा हो जाएगा।

गर्म होते महासागर
पर्यावरण प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संकट
पी.विविर के अनुसार, "प्राकृतिक या मान-जनित कारणों से जल की गुणवत्ता में इस प्रकार के परिवर्तनों को प्रदूषण कहा जाता है, जो आहार, मानव एवं जानवरों के स्वास्थ्य, कृषि, मत्सत्य व्यवसाय, आमोद-प्रमोद के लिये अनुपयुक्त या खतरनाक होते है।" Posted on 04 Jun, 2024 08:51 PM

पर्यावरण के किसी भी तत्व में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन, जिससे जीव जगत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है। पर्यावरण प्रदूषण में मानव की विकास प्रक्रिया तथा आधुनिकता का महत्वपूर्ण योगदान हैं। यहां तक मानव की वे सामान्य गतिविधियां भी प्रदूषण कहलाती है, जिनसे नकारात्मक फल मिलते हैं। उदाहरण के लिए उद्योग द्वारा उत्पादित नाइट्रोजन आक्साइड प्रदूषक हैं। हालांकि उसके तत्व प्रदूषक नही है। य

पर्यावरण प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संकट
पर्यावरण प्रदूषण के पीछे तत्विक शक्तियों की खोज
प्रदूषण का मुख्य कारण हैं वे तत्व जो हम प्राकृतिक रूप से प्रदान करते हैं, जिन्हें हम अपने योगदानों से परिवर्तित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, उद्योगों और वाहनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषण का मुख्य कारण बन गए हैं। इन तत्वों के बढ़ते स्तरों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव होता है, इसे समझने के लिए हमें उनके प्रभाव की अध्ययनी की आवश्यकता होती है। Posted on 04 Jun, 2024 08:03 PM

प्रदूषण आज मानवता के सामने एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसका सीधा असर पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर हो रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तेजी से बढ़ती उन्नति ने विभिन्न तत्वों के प्रयोग में बदलाव किया है, जिनसे प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हुई है। इस अभियान में, हम पर्यावरण प्रदूषण के पीछे तत्विक शक्तियों की खोज करने का प्रयास करेंगे, जिनसे हमारे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के कारणों को समझने में

पर्यावरण प्रदूषण के पीछे तत्विक शक्तियां
पर्यावरण प्रदूषण : एक वैश्विक चुनौती
पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वातावरण में अचानक आने वाले परिवर्तनों से पूरे विश्व में अफरा-तफरी मच सकती है। रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों डा० रेडाल व पीटर स्क्वार्ट्ज़ ने आगाह किया था कि इन बदलावों पर तत्काल प्रभाव से विचार नहीं किया गया तो विश्व के देशों के बीच पेयजल और बिजली की कमी से संघर्षों एवं युद्धों का सिलसिला भी प्रारम्भ हो सकता है। A Pentagon report says that sudden changes in the environment can cause chaos in the entire world. The lead authors of the report, Dr. Redal and Peter Schwartz, had warned that if these changes are not considered with immediate effect, then the lack of drinking water and electricity could lead to conflicts and wars among the countries of the world. Posted on 03 Jun, 2024 03:58 PM

पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक चुनौती है, क्योंकि पेंटागन की एक रिपोर्ट में 2004 में ही चेतावनी दी गयी थी कि इससे जान-माल दोनों के नुकसान होने की संभावना है। एन्ड्रयू मार्शल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि वातावरण में अचानक आने वाले परिवर्तनों से पूरे विश्व में अफरा-तफरी मच सकती है। रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों डा० रेडाल व पीटर स्क्वार्ट्ज़ ने आगाह किया था कि इन बदलावों पर तत्काल प्रभाव स

पर्यावरण प्रदूषण : एक वैश्विक चुनौती
स्थान विशेष तथा प्रवाह की दिशा के अनुसार नदियों के जल का गुण
देश विशेष के अनुसार ताम्रवर्ण की मिट्टी में उत्पन्न जल वातादि दोषों को उत्पन्न करने वाला है, धूसर मिट्टी में उत्पन्न जल जड़ताकारक, दुष्पच तथा अनेक दोषों को उत्पन्न करता है। पहाड़ के ऊपर से उत्पन्न जल वातनाशक स्वच्छ, पथ्य, हल्का तथा स्वादिष्ट है और श्याम (काली) वर्ण की मिट्टी से उत्पन्न जल श्रेष्ठ है तथा त्रिदोष शामक एवं सभी प्रकार के रोगों को नाश करने वाला है। Posted on 02 Jun, 2024 09:08 AM

सभी पूर्वाभिमुख बहने वाली नदियां भारी (गुरु) होती हैं और पश्चिमाभिमुख बहने वाली नदियां निश्चय ही हल्की होती हैं। प्रत्येक देश में अपने गुण विशेष से नदियां गौरव (भारीपन) तथा लाघव (हल्कापन) को घारण करती हैं।

प्रतिकात्मक तस्वीर
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 1)
भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अगल-अलग तकनीकों को विकसित किया है। Posted on 01 Jun, 2024 08:09 PM

केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने आठवीं योजना से कृत्रिम जल भरण (Artificial Recharge) पर काफी अध्ययन करके विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी है जो विभिन्न भौगोलिक एवं जमीन के नीचे की स्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। शहरी क्षेत्रों (Urban-Areas) के लिए शहरी क्षेत्रों में कच्चा स्थान कम होने के कारण इमारतों की छत व पक्के क्षेत्रों से प्राप्त वर्षा-जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों (Aquifer) में पुनर्भरित (Rec

चेकडैम
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) | Methods and techniques of ground water recharging approved by Central Ground Water Board
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) में हम आगे की कुछ तकनीकों के बारे में जानेंगे। भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अगल-अलग तकनीकों को विकसित किया है। Posted on 01 Jun, 2024 03:36 PM

केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) में हम आगे की कुछ तकनीकों के बारे में जानेंगे। भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्राम

मॉडर्न रिचार्ज कुआं
वातावरणीय प्रदूषण एवं प्रजनन स्वास्थ्य
यह लेख आईसीएमआर के अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान के वैज्ञानिक 'जी' एवं प्रभारी निदेशक डॉ सुनील कुमार द्वारा "वातावरणीय प्रदूषण, जीवन शैली एवं प्रजनन स्वास्थ्य शीर्षक से उनकी पुस्तक में प्रकाशित आलेख पर आधारित है। This article is based on an article published by Dr. Sunil Kumar, Scientist 'G' and Director-in-charge, National Institute of Occupational Health, Ahmedabad, ICMR, in his book titled "Environmental Pollution, Lifestyle and Reproductive Health." Posted on 28 May, 2024 04:10 PM

विगत लगभग 50-60 वर्षों से प्रजनन स्वास्थ्य में गिरावट की सूचनाएं विश्व के विभिन्न भागों विशेषकर पश्चिमी तथा औद्योगिक देशों से प्रकाश में आ रही हैं जिसके प्रमुख कारणों में व्यावसायिक तथा वातावरणीय प्रदूषण का भी हाथ हो सकता है। सामान्य नागरिक भी अपनी दिनचर्या के दौरान वातावरण में उपस्थित अनेक प्रदूषकों से लगातार प्रभावित होते रहते हैं, जो वातावरण में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा पर निर्भर होता है। व

Environmental pollution and reproductive health
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